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बाजार में हाईब्रिड टमाटर की बढ़ी मांग, मिल रहे हैं अच्छे दाम

Published - 17 Sep 2020

हाईब्रिड टमाटर से होगा दुगुना मुनाफा, किसानों की बढ़ेगी आदमनी

आधुनिक समय में कृषि में नए-नए प्रयोगों को अपनाकर उत्पादन तकनीक उन्नत करते हुए पैदावार को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। सरकार भी नवाचार करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि खेती के परंपरागत तरीकों को छोडक़र किसान आधुनिक तरीके से खेती कर उत्पादन को बढ़ाएं ताकि देश की सवा करोड़ आबादी के लिए खाद्यान्न का संकट पैदा नहीं हो। इधर किसान भी नए तरीकों को अपनाकर खेती को उन्नत बनाने में लगा हुआ है। आज किसान नई विधियों को अपनाकर खेती करने की ओर अग्रसर हो रहा है। यही कारण है कि आज ऐसी विधियां व तकनीक प्रयोग में लाई जा रही है जिससे उत्पादन बढऩे के साथ ही श्रम व समय की भी बचत हो। इसी दिशा में उन्नत बीजों को अपनाकर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। 

 

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हाईब्रिड बीजों के प्रयोग से उत्पादन में बढ़ोतरी 

आजकल किसानों को ध्यान हाईब्रिड खेती की ओर अधिक हो गया है। हाईब्रिड बीजों को अपनाकर किसान उत्पादन को और अधिक बढ़ा सकते हैं। साधारण बीज की तुलना में हाईब्रिड बीजों के प्रयोग से उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है। इस दिनों आलू, प्याज व टमाटर के दाम मंडी में आसमान छू रहे हैं वहीं अन्य सब्जियां भी महंगी हो रही है। इससे आजमन का बजट बढ़ गया है। इस समस्या के समधान के लिए किसानों को हाईब्रिड बीजों का उपयोग कर टमाटर की खेती को करनी चाहिए ताकि उत्पादन बढऩे के साथ ही किसान की आमदनी में भी इजाफा हो सके।

 


हाईब्रिड टमाटर में बढ़ी किसानों की रूचि, मिल रहा है अधिक मुनाफा ( Hybrid Tomatoes )

बाजार में अच्छे दाम मिलने से किसानों का रूचि अब हाईब्रिड टमाटर के उत्पादन पर हो रही है। इसमें खास बात यह है कि ये 40 डिग्री तापमान पर भी नमी को बरकरार रखता है जिससे टमाटर जल्दी खराब नहीं होता और साधारण बीजों की तुलना में इसके इस्तेमाल से उत्पादन भी दुगुना होता है। इसे देखते हुए यूपी के बलिया, गाजीपुर, बाराबंकी, मऊ, सुलतानपुर, बनारस, सोनभद्र समेत कई जिलों में किसानों ने हाइब्रिड बीज से टमाटर की खेती शुरू कर दी है। जानकारों का दावा है कि इससे फसल की पैदावार डेढ़ से दो गुना तक बढ़ेगी। इसके अलावा यह साधारण बीजों की तुलना में तापमान के साथ बेहतर सामजंस बनाने में सफल होते है। गाजीपुर जिले के किसान गोरख राय बताते हैं कि वे पहले देशी बीज वाले टमाटर लगते थे, लेकिन अब हाइब्रिड टमाटर से खेती होती है। इससे मुनाफा बढ़ रहा है।


क्या है हाईब्रिड टमाटर

हाईब्रिड टमाटर से तात्पर्य यह है कि टमाटर की उन्नत पैदावार के लिए हाईब्रिड बीजों का इस्तेमाल करना, जिससे पैदावार बढ़ाई जा सके। हाईब्रिड बीज बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि साधारण बीज से एक बीघा में अमूमन 15 क्विंटल पैदावार होती है। वहीं हाइब्रिड बीजों की खेती के बाद यह पैदावार 25 से 30 क्विंटल तक पहुंच जाएगी। सबसे अच्छी बात यह है कि यह 40 डिग्री के तापमान में भी नमी बरकरार रखता है जिससे टमाटर की स्वस्थ व अधिक पैदावार प्राप्त होती है।


हाईब्रिड टमाटर के बीजों की किस्में ( टमाटर की किस्में )

बाजार में हाइब्रिड बीजों की कई किस्म उपलब्ध हैं। इसमें सेमिनियस हाइब्रीड बीजों अभिलाष , गर्व, टीओएस -369, करिश्मा, गणेश, अभिरंग, अशोका, अरिजित शामिल हैं। इसकी बाजार में कीमत प्रति दस ग्राम 350 से 500 रुपए है। इसमें करीब 3500 पौधे तैयार होते है। इसके अलावा इसकी अन्य संकर किस्मों में पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड -4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस. 440 आदि किस्में भी शामिल है।


हाईब्रिड टमाटर की खेती के लिए जलवायु व भूमि

टमाटर की फसल की खेती के लिए आदर्श तापमान 18 से 27 डिग्री सेटिग्रेट है। 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर मे लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। तापमान 38 डिग्री से.ग्रे. से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते है। वहीं भूमि की बात करें तो टमाटर की खेती के लिए उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमें पर्याप्त मात्रा मे जीवांश उपलब्ध हो जाते हैं सबसे उपयुक्त रहती है।

 


बीज की मात्रा

एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। वहीं हाईब्रिड किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है।


बुवाई का उचित समय

टमाटर की बुवाई का उचित समय वर्षा ऋतु के लिए जून-जुलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी का होता है। फसल पाले रहित क्षेत्रो में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिए।


बीज उपचार

बुवाई पूर्व थाइरम / मेटालाक्सिल से बीजोपचार करे ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके।


नर्सरी एवं रोपाई

  • नर्सरी मे बुवाई हेतु 1 से 3 मी. की ऊठी हुई क्यारियां बनाकर फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टेरीलाइजशन कर ले अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिला देना चाहिए।
  • बीज को कार्बेन्डाजिम/ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5 से.मी. की दूरी रखते हुए कतारों में बीजो की बुवाई करनी चाहिए। बीज बोने के बाद गोबर की खाद या मिट्टी ढक दें और हजारे से छिडक़ाव करना चाहिए।
  • बीज उगने के बाद डायथेन एम-45/मेटालाक्सिल छिडक़ाव 8-10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
  • 25 से 30 दिन का रोपा खेतों में रोपाई से पूर्व कार्बेन्डिजिम या ट्राईटोडर्मा के घोल में पौधों की जड़ों को 20-25 मिनट उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करनी चाहिए।


ऐसे करें बुवाई

हाइब्रिड बीजों से खेती में ध्यान रखें कि खेत की जुताई बेहतर हुई हो। मिट्टी एकदम सॉफ्ट हो जानी चाहिए। क्यारियों के बीच करीब 80 से 100 सेमी और एक पौधे से दूसरे के बीच 50 से 60 सेमी की दूरी रखना चाहिए। इससे कि पौधा बड़ा होने के बाद अपना सही आकार ले सकेगा।


उर्वरक का प्रयोग

20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद/है एवं 200 किलो नत्रजन, 100 किलो फॉस्फोरस व 100 किलो पोटाश /है। बोरेक्स की कमी हो वहाँ बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिडकाव करने से फल अधिक लगते है।


सिंचाई

सर्दियों मे 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहे। अगर संभव हो सके तो किसानों को सिंचाई ड्रिप इरीगेशन द्वारा करनी चाहिए।


मिट्टी चढ़ाना व पौधों को सहारा देना ( स्टेकिंग ) 

टमाटर मे फूल आने के समय पौधो मे मिट्टी चढ़ाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। टमाटर की लंबी बढऩे वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधों को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के संपर्क में नहीं आ पाते जिससे फल सडऩे की समस्या नहीं रहती है। सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊंचाइयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधों को तारों से सुतली को बांधते है। इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है।

 

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण के लिए आवश्यकतानुसार फसलों की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। फूल और फल बनने की अवस्था मे निंदाई-गुड़ाई नहीं करनी चाहिए। इसके अलवा रासायनिक दवा के रूप मे खेत तैयार करते समय फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन) या से रोपाई के 7 दिन के अंदर पेन्डीमिथेलिन छिडकाव करना चाहिए।

 

टमाटर के प्रमुख कीट

टमाटर में हरा तैला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एंव तम्बाकू की इल्ली कीट का प्रकोप पाया जाता है। इसकी रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करना चाहिए।

 

टमाटर की फसल को होने वाले प्रमुख रोग


टमाटर की फसल को प्रमुख रूप से आर्द्र गलन या डैम्पिंग आफ, झुलसा या ब्लाइट, फल सडऩ रोग का प्रकोप अधिक रहता है। इसके नियंत्रण के उपाय किए जाने जरूरी है।


कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय

  • गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए।
  • पौधशाला की क्यारियों भूमि धरातल से ऊची रखें एवं फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टेरीलाइजेशन कर लें।
  • क्यारियों को मार्च अप्रेल माह मे पोलिथिन शीट से ढकें, भू-तपन के लिए मृदा में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
  • गोबर की खाद मे ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी में मिट्टी मे अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।
  • पौधशाला की मिट्टी को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद छिडकाव करें।
  • पौधरोपण के समय पौध की जडो को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखे।
  • पौध रोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के लिए इमीडाक्लोप्रिड या एसीफेट के 2 से 3 छिडक़ाव करें। माइट की उपस्थिति होने पर ओमाइट का छिडक़ाव करें।
  • फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली के लिए इन्डोक्साकार्ब या प्रोफेनोफॉस का छिडक़ाव ब्याधि के उपचार के लिए बीजोपचार, कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब से करना चाहिए। खड़ी फसल मे रोग के लक्षण पाये जाने पर मेटालेक्सिल + मैन्कोजेब या ब्लाईटोक्स का घोल बनाकर छिडक़ाव करें। चूर्णी फफूंद होने सल्फर घोल का छिडक़ाव करें।

 

 


फलों की तुड़ाई, उपज एवं विपणन

जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था में फलों की तुडाई शुरू कर देनी चाहिए तथा फलों की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलों दागी फलों छोटे आकार के फलों को छांटकर अलग कर लें। ग्रेडिंग किए फलों को कैरेट मे भरकर अपने निकटतम सब्जी मंडी या जिस मंडी में अच्छा टमाटर का भाव हो वहां ले जाकर बेचें। साधारण टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल/हैक्टेयर होती है। वहीं हाईब्रिड टमाटर की उपज 700 -800 क्विंटल/हैक्टेयर तक हो सकती है।


कितनी हो सकती है कमाई

यदि हाईब्रिड टमाटर की औसतन पैदावार हम प्रति हैक्टेयर 600 क्विंटल मानें तो भी इसकी लागत करीब 88158 रुपए आती है। यदि बाजार में आप इसे न्यूनतम मूल्य 800 रुपए प्रति क्विंटल भी बेचते हो तो भी आपको 600 क्विंटल टमाटर से 4,80,000 रुपए की आमदनी हो सकती है। यहां दिया गया आंकड़ा न्यूनतम है। आप बाजार में भावों के हिसाब से इससे अधिक कमाई भी कर सकते हैं। खर्चा हटाने के बाद आपका शुद्ध लाभ करीब 3,91,842 रुपए होगा।

 

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