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हॉप शूट्स : दुनिया की सबसे महंगी सब्जी, कीमत 82 हजार रुपए प्रतिकिलो

Published - 05 Feb 2021

हॉप शूट्स (Hops Shoots) की खेती : जानें, क्या है हॉप शूट्स और कैसे होती है इसकी खेती?

इन दिनों हॉप शूट्स की खेती काफी चर्चा में है। इसका प्रमुख कारण इसकी कीमत है। कहा जा रहा है कि ये दुनिया की सबसे महंगी सब्जी है जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार मेें कीमत 1000 यूरो यानि करीब 82 हजार रुपए प्रति किलोग्राम है। जब किसी सब्जी की इतनी ज्यादा कीमत मिले तो हर कोई इसे उगाना चाहेगा। हाल ही में बिहार के औरंगाबाद के करमडीह गांव के किसान अमरेश सिंह हॉप शूट्स की खेती शुरू किया है। उन्होंने काशी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक की देखरेख में 5 गुंथों की भूमि पर प्रायोगिक आधार इस खेती की शुरुआत की है। यदि इसमें सफलता मिलती है तो भारत में भी इसकी खेती के मार्ग खुल जाएंगे जो किसानों के लिए काफी बड़े मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है।

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क्या है हॉप शूट्स / हॉप्स शूट्स की खेती

हॉप्स शूट्स की खेती की शुरुआत जर्मनी में हुई थी। यूरोप के कई देशों में इसकी खेती की जाती है। हॉप पौधे की नई टहनियां, जो दिखने में शतावरी (एस्पैरेगस) जैसी होती हैं। हॉप शूट, हॉप पौधे के नए बढ़ते सिरे होते हैं, जो एक बारहमासी पौधा है। इसके सिरे ठंड में कोहरे से मर जाते हैं लेकिन जैसे ही मार्च में ज़मीन गर्म होने लगती है ये सिरे फिर से निकलने लगते हैं। उगते समय इनका रंग बैंगनी होता है लेकिन कुछ ही समय बाद ये बदलकर चमकीले हरे हो जाते हैं। कुछ नमी और धूप के मिलते ही ये पौधे तेज़ी से बढ़ते है। इस सब्जी के फूलों को हॉप शंकु कहा जाता है। सब्जी के डंठल भी खाए जाते हैं।

 


 

इन देशों में है इसकी ज्यादा डिमांड

इस सब्जी की यूरोप के देशों में भारी डिमांड है। ब्रिटेन, आयरलैंड, स्कॉटलैंड, जर्मनी आदी यूरोपिय देशों के लोगों की यह पसंदीदा सब्जी है। इस सब्जी में कई तरह के एंटीबायॉटिक पाए जाते हैं। इसलिए यह सेहत के लिहाज से 
काफी फायदेमंद होती है।

 

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हॉप शूट्स के उपयोग

इसकी टहनियां सॉफ्ट होती हैं, जिनका इस्तेमाल सलाद के तौर पर भी करते हैं। इसकी सब्जी बनाकर खाई जाती है। इसके अलावा इसका अचार भी बनता है। वहीं इसका उपयोग एंटीबायोटिक्स बनाने के लिए किया जाता है। होप शूट से बनी दवा टीबी के इलाज में फायदेमंद है। इस सब्जी के फूलों का उपयोग बीयर बनाने के लिए किया जाता है।


कई रोगों में फायदेमंद है हॉप शूट्स / हॉप शूट्स के लाभ

  • मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार वुमेन फिटनेस डॉट नेट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने इसमें एक ऐसे रसायन की खोज की है जिससे रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है। यही नहीं, इससे कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में भी मदद मिलती है।
  • किंग्स कॉलेज लंदन में प्रोफेसर स्टुअर्ट मिलिगन की एक शोध टीम की अगुआई में हॉप शूट्स में होपिन नामक एक हार्मोनली एक्टिव पदार्थ की खोज की (तकनीकी रूप से 8-प्रेनिलाइनिंगेनिन कहा जाता है), जो सबसे शक्तिशाली फाइटो ऑस्ट्रोजेंस में से एक है। इन रसायनों में महिला हार्मोन एस्ट्रोजन के समान संरचनाएं होती हैं और इनका प्रभाव भी लगभग वैसा ही होता है। हॉप शूट्स अनिद्रा को दूर करने में भी सहायक होता है। जिन लोगों को रात में अच्छी नींद नहीं आती, इंग्लैंड में उन लोगों को डॉक्टर हॉप से भरी हुई तकिया लगाने की सलाह देते आ रहे हैं। होप्स के अर्क को पीने से भी नींद न आने की समस्या दूर होती है। जड़ी बूटी और पौधे की दवाओं से संबंधित मामलों के अध्ययन के लिए जर्मन फेडरल हेल्थ एजेंसी के आयोग ई ने 1978 में स्वतंत्र रूप से समीक्षा की और कहा कि नींद की समस्याओं, बेचैनी और चिंता को दूर करने में हॉप्स फायदेमंद है।
  • हॉप्स पाचन में भी सहायक होता है। भूख को बढ़ाने, पाचन को सही करने व शराब को छुड़ाने के लिए पारंपरिक चीनी चिकित्सा और मूल अमेरिकी चिकित्सा दोनों में सदियों से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • इस सब्जी का इस्तेमाल दांत के दर्द और टीबी जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी किया जाता है। चीन के चिकित्सक टीबी यानि क्षय रोग का इलाज़ करने के लिए भी एंटीबायोटिक के रूप में हॉप्स का इस्तेमाल करते हैं।


हॉप शूट्स की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत

हालांकि यह कहना मुश्किल है कि कौन सा सब्जी सबसे महंगा है, क्योंकि सब्जियों की कीमत का पता लगाने के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय मूल्य सूचकांक नहीं है। हॉपशूट्स डॉट कॉम के मुताबिक, यूनाइटेम किंगडम के एक टॉप सप्लायर ने हॉप शूट्स को लगभग 76,000 रुपए प्रति किलो में बेचा है।

 

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कैसे होती है हॉप शूट्स की खेती

ब्रिटेन,जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों में इस सब्जी की खेती की जाती है। इन्हें जंगलों में उगाया जाता है और वह भी सिर्फ वसंत के महीने में इसे उगाने का काम होता है। इन्हें उगाने के लिए थोड़ी धूप व नमी की जरूरत होती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये हैं कि यह एक दिन में 6 इंच तक बढ़ जाती हैं। जब इन्हें काटने की बारी आती है तो इसमें काफी ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि समय रहते इन्हें नहीं काटा जाता है तो इनकी टहनियां मोटी हो जाती है जिन्हें खाया नहीं जा सकता है। भारत में सरकार इन दिनों इस सब्जी की पैदावार पर वैज्ञानिक अनुसंधान कर रही है। बताया जा रहा है कि बनारस स्थित सब्जी अनुसंधान संस्थान में इसकी खेती पर अनुसंधान चल रहा है। वहां भी पौधे लगाए गए है और उसे अनुकूल वातावरण देकर विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।

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