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गोट बैंक : कर्ज में बकरियां ले जाओ, मेमने लौटाओ

Published - 17 Feb 2021

बकरी पालन को बढ़ावा देने की पहल : जानें, क्या है गोट बैंक और इससे कैसे मिलता है फायदा?

महाराष्ट्र में अनोखा गोट बैंक संचालित किया जा रहा है। इस बैंक की खास बात ये हैं कि इसमें कर्ज के तौर पर बकरियां दी जाती है और इसके बदले में बतौर ईएमआई चार मेमने वापस लिए जाते हैं। इस तरह यहां रुपए-पैसों का लेनदेन न होकर बकरी व उसके मेमनों का लेन-देन होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि इस तरह करने से क्या फायदा? पर ऐसा करने से गोट बैंक व इससे जुडऩे वाले लोगों को काफी फायदा हो रहा है। बैंक को चालू करने का उद्देश्य बकरी पालन को बढ़ावा देना है। इस अनोखी शुरुआत का असर ये हो रहा है कि प्रदेश में बकरी पालन को प्रोत्साहन मिल रहा है और ग्रामीण लोगों को रोजगार भी। आइए जानते हैं इस गोट बैंक के बारे में कि हमारे किसान भाई इस बैंक से कैसे लाभ उठा कर अतिरिक्त आदमनी प्राप्त कर सकते हैं।

 

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क्या है गोट बैंक

यह अनोखा बैंक महाराष्ट्र के अकोला जिले के सांघवी मोहाली गांव में पिछले दो साल से संचालित है। इस बैंक का पूरा नाम गोट बैंक ऑफ कारखेड़ा है। इस बैंक की शुरुआत 52 वर्षीय नरेश देशमुख ने साल 2018 में की थी। ये बैंक कर्ज़ तो देता है मगर पैसे नहीं, बल्कि एक गर्भवती बकरी देता है और बदले में लेता है चार मेमने। महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में ये बैंक अब तक पांच सौ ज्यादा बकरियां दे चुका है और बदले में एक हजार से ज्यादा मेमने किस्तों में ले चुका है। बता दें कि बीसवीं पशुगणना के अनुसार, देश में बकरियों की कुल संख्या 14.89 करोड़ है, इनमें से महाराष्ट्र में बकरियों की संख्या 1.06 करोड़ है।

 


गोट बैंक खोलने से क्या हो रहा है फायदा?

इस गोट बैंक को खोलने का मुख्य मकसद बकरी पालन को बढ़ावा देने के साथ ही इससे कमाई करना है। मीडिया में प्रकाशित खबरों में वाशिम जिले कारखेड़ा गांव के रहने वाले नरेश देशमुख बताते हैं, हमने देखा कि ग्रामीण क्षेत्र में अब खेती से गुजारा होना संभव नहीं है। गांवों में अतिरिक्त कमाई के लिए लोग गाय-भैंस या फिर बकरी पालते हैं। इन सब में जिसमें सबसे अच्छी कमाई बकरी पालन में है। महिलाएं खेतों में काम करती हैं और साथ में एक बकरी भी पालती हैं। एक बकरी से सात-आठ महीने में दो या तीन बच्चे हो जाते हैं और अगर उन बच्चों को अच्छी तरह से पाला जाए तो वो भी 12 महीने में तैयार हो जाते हैं। इस तरह से हमने कैलकुलेट किया तो इसमें हमें फायदा दिखा।

 

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कैसे हुई गोट बैंक की शुरुआत

उन्होंने साल 2018 में बैंक से लोन लेकर 40 लाख रुपए की 340 बकरियां खरीदीं और प्रति बकरी 1,100 रुपए पर 340 परिवारों को दे दी। नरेश देशमुख ने मीडिया को बताया कि बैंक में 1,100 रुपए के एग्रीमेंट पर लोन के रूप में एक गाभिन बकरी दी जाती है, किस्त के तौर पर कर्ज़दार को 40 महीने में बकरी के चार मेमने बैंक को वापस करने होते हैं। इसके अलावा जितने बच्चे होते हैं वो बकरी पालक अपने पास रखता है। दो साल में हमारे पास करीब एक हजार मेमने किस्त के रूप में हमारे पास वापस आए हैं।


500 से ज्यादा महिलाओं को दी जा चुकी हैं बकरियां

मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर बकरी पालन से महिलाओं की आय बढ़ाने को लेकर साल 2018 में बैंक से लोन लेकर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नरेश देशमुख ने गोट बैंक की शुरुआत की। गोट बैंक ऑफ कारखेड़ा से अब तक 500 से ज्यादा महिलाओं को बकरियां दी जा चुकी हैं। आने वाले दिनों में 800 और बकरियां देने वाले हैं। नरेश देशमुख की कोशिश रहती है कि बकरियां महिलाओं को ही दें। इसके बारे में वो बताते हैं, हमने दो साल पहले जब पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू किया था तो 340 के करीब बकरियां बांटी थीं, उसके बाद हमने उसकी स्टडी की कि किसे बकरियां देना ज्यादा फ़ायदेमंद है। हमने पाया कि महिलाओं को बकरी देने पर ज्यादा फायदा होता है। हमारी कोशिश रहती है कि एक महिला को दस बकरी देने के बजाए कई लोगों को बकरी दें, जिससे सभी को फायदा हो। बता दें कि गोट बैंक आफ कारखेड़ा ने महिला एवं बाल विकास विभाग की योजना महिला आर्थिक विकास महामंडल के साथ भी अनुबंध किया है, जल्द ही इससे जुड़ी महिलाओं को भी बकरियां दी जाएंगी।


बकरी पालन में ज्यादा होता है फायदा

ये अनोखा गोट बैंक अकोला जिले में तीन एकड़ भूमि पर बना हुआ है। इस बैंक के माध्यम से नरेश देशमुख ने प्रदेश के अकोला, सांगली, वाशिम, यवतमाल, अमरावती जिलों में बकरियां दी थीं। लेकिन उनकी कोशिश है कि महाराष्ट्र ही नहीं दूसरे राज्यों में भी बैंक की शाखाएं खुलें। वो कहते हैं कि अगर किसी ने एक लाख रुपए बैंक में जमा किए तो उतना फायदा नहीं होगा, लेकिन अगर आप उसी एक लाख में बकरी खऱीद लें तो अच्छा फायदा हो जाएगा।

 

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आप कैसे शुरू कर सकते हैं गोट बैंक

यदि आप अपना गोट बैंक खोलना चाहते हैं तो आपको यहां से ट्रेनिंग भी मिल जाएगी। इस संबंध में नरेश देशमुख का कहना है कि इसके लिए हम लोगों को ट्रेनिंग भी देते हैं कि कैसे आप बैंक शुरू कर सकते हैं। इसके लिए तीन एकड़ ज़मीन की जरूरत होती है, जिसमें बकरियों का शेड बन जाता है और बकरियों के लिए चारा भी उगाया जा सकता है। इसके साथ ही वहां पर पीपल, सुबबूल जैसे पेड़ भी लगा सकते हैं, जिससे बकरियों के चारे के लिए पत्तियां भी मिल जाएं और गर्मियों में छाया भी मिलती रहे। बता दें कि आप ये बैंक एक लाख रुपए की बकरियां खरीद कर शुरू कर सकते हैं और अपने इलाके में लोगों को बकरी पालन से जोडक़र इससे फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इससे एक ओर लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं आपको भी अच्छा फायदा होगा।

 

 

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