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रबी फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 11 टिप्स, कम लागत में होगी अधिक पैदावार

Published - 10 Nov 2021

अपनाएं ये 11 टिप्स किसानों को होगा भरपूर मुनाफा

इस समय देश के विभिन्न राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीद जारी है। वहीं दूसरी ओर किसानों रबी फसल की बुवाई का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को कई योजनाओं के माध्यम से रबी फसल की बुवाई के काम में सहयोग दिया जा रहा है। बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार रबी फसल की के अधिक उत्पादन पर जोर दे रही है। विशेषकर तिलहन फसलों में सरसों और सोयाबीन की बुवाई पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। इसके लिए किसानों को सब्सिडी पर बीज भी मुहैया कराया जा रहा है। सरसों के उत्पादन बढ़ाने के लिए कई राज्यों में इसके प्रमाणिक बीजों पर सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है तो कहीं पर किसानों को फ्री बीज वितरित जा रहे है ताकि तिलहन का उत्पादन बढ़ाया जा सके। ऐसे में किसान भाई अधिक उत्पादन प्राप्त के लिए क्या करेंं ताकि पैदावार भी अधिक हो और किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल सके। इसके लिए किसानों को रबी फसल की बेहतर पैदावार के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स् अपनाने चाहिए। आज हम हमारे किसान भाइयों को ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से रबी फसल उत्पादन बढ़ाने के 11 टिप्स बता रहे हैं जो आपकी फसल की लागत कम करने और उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित होंगे। 

1.  खेत की गहरी जुताई करें

रबी फसल को बोने से पूर्व खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। जुताई के लिए ट्रैैक्टर, रोटावेटर, कल्टीवेटर आदि की सहायता से खेत प्रयोग करें। इससे कम श्रम और समय में खेत की तैयारी की जा सकती है। खेत की जुताई ढलान के आढे  करें। इससे यह फायदा होगा कि वर्षा का जल भूमि में अधिक अंदर तक जा सकेगा। यह जुताई गर्मी के मौसम में करने से अधिक लाभ मिलता है। 

2. समय पर बुवाई करें

रबी सीजन आ गया है तो किसानों को रबी से संबंधित फसलों को उनके तय किए गए समय के अनुसार बुवाई करनी चाहिए। यदि सही समय पर बुवाई की जाती है तो उत्पादन भी अधिक मिलता है। बता दें कि अगेती फसल बोने पर ज्यादा और पिछेती फसल बोने पर कम उत्पादन मिलता है।

3. बीजोपचार /बीजों का टीकाकरण करें

बुवाई से पूर्व बीजों का टीकाकरण करना बेहद जरूरी है। किसानों को चाहिए कि फसल बुवाई से पूर्व ही उसके बीजों को उपचारित कर लें और इसके बाद ही बुवाई करें। बीजोपचार या बीजो को टीका लगाने से यह फायदा होता है कि फसल में बीमारियों और रोग का प्रकोप कम होता है और स्वस्थ्य उत्पादन प्राप्त होता है।

4. प्रमाणिक और उन्नत बीज ही बोएं

किसानों को चाहिए कि हमेशा प्रमाणिक और उन्नत बीज ही बोएं। बीज हमेशा अपनी विश्वसनीय दुकान से खरीदें। बीज  खरीदते समय उसकी रसीद अवश्य लें। प्रमाणिक बीज बोने से उत्तम गुणवत्ता वाला बीज सामान्य बीज की अपेक्षा 20 से 25 प्रतिशत अधिक कृषि उपज देता है। अत:शुद्ध एवं स्वस्थ प्रमाणित बीज अच्छी पैदावार का आधार होता है। प्रमाणित बीजों का उपयोग करने से जहां एक ओर अच्छी पैदावार मिलती है वहीं दूसरी ओर समय एवं पैसों की बचत होती है। 

5. उचित बीज दर रखेंं

जो भी फसल बोई जा रही हो उसके लिए उचित बीज दर रखें। बीजों की कतार में बुवाई करें और कतार से कतार के बीच समुचित दूरी रखें। पौधों के पौधों की दूरी उचित रहने से यह फायदा होगा कि फसल की अच्छी बढ़वार होगी और अधिक उत्पादन प्राप्त होगा। 

6. फसल चक्र अपनाएं

भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को फसल चक्र का पालन करना चाहिए। फसल चक्र से तात्पर्य यह है कि बदल-बदल कर फसलें बोनी चाहिए। बदल-बदल कर फसलें बोने फसलों पर कीटों और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। रबी फसलों के लिए- गेहूं, जौं, चना, सरसों, मटर, बरसीम, रिजका - हरे चारे की खेती, मसूर, आलू, राई, तंबाकू, लाही, जई। इस प्रकार से फसल चक्र अपनाया जा सकता है।

7. मिलवा फसलें लेंं यानि इंटर क्रोपिंग खेती करें

इंटर क्रोपिंग का अर्थ है एक ही ऋतु में एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसलों को उगाना। इसे मिश्रित फसल भी कहते हैं। इस तरह दो या दो से अधिक फसलें एक निश्चित दूरी पर पंक्ति में या बिना पंक्ति के बोई जाती है, तो उसे इंटर क्रोपिंग कहा जाता है। इंटर क्रोपिंग फसल लेने का सबसे अधिक फायदा ये हैं कि जोखिम कम हो जाता है। मान लें आपने गेहूंं और चना की एक साथ फसल ली। इसमें से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ और चना की फसल को फायदा। तो आपके गेहूं के नुकसान की फसल भरपाई चने की फसल से हो जाएगी। इस तहर इंटरक्रोपिंग जोखिम को कम करने में मददगार है। 

8. दलहनी-तिलहनी फसलों में जिप्सम का प्रयोग करें

गंधक की कमी को दूर करने और गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों ने बुवाई से पहले 250 किलो जिप्सम प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में मिलाने की सिफारिश की है। जिप्सम (70-80 प्रतिशत शुद्ध) में 13-19 प्रतिशत गंधक तथा 13-16 प्रतिशत कैल्शियम तत्व पाए जाते हैं। क्षारीय भूमि सुधार हेतु मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट, (जीआर वैल्यू) की सिफारिश के  अनुसार जिप्सम का उपयोग करना चाहिए। दलहनी और तिलहनी फसलों में जिप्सम का उपयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। दाने चमकीले होते हैं और 10-15 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त होती है। इसके अलावा तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा अधिक हो जाती है। जिप्सम का उपयोग क्षारीय भूमि को सुधारने और फसलों को पाले से बचाने के लिए भी किया जाता है।

9. सिंचाई के लिए करें फव्वारा व ड्रिप सिस्टम का उपयोग

फसलों की सिंचाई के लिए किसान भाई फव्वारा व ड्रिप सिंचाई और पाइप लाइन का उपयोग करें। इससे एक ओर कम पानी में अधिक सिंचाई संभव हो सकेगी। वहीं बूंद-बूंद जल का उपयोग होगा। इसका परिणाम ये होगा कि पूरी फसल को समान मात्रा में पानी मिल सकेगा जिससे अधिक क्षेत्रफल में कम पानी से सिंचाई हो जाएगी। पानी की बचत होगी और उत्पादन भी बेहतर होगा। 

10.  फसलों की क्रांतिक अवस्थाओं में करें सिंचाई

फसल की क्रांतिक अवस्था से तात्पर्य फसल की उस अवस्था जिसमें उसे निश्चित मात्रा में पानी मिलना ही चाहिए। ये क्रांतिक अवस्था अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग होती है। रबी की फसल गेहूं में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए  4 से 6 सिंचाइयां की जाती है। इसकी क्रांतिक अवस्था आ अनुमान 180 से 120 मिली लीटर के मध्य लगाया जाता है। क्रांतिक अवस्था में सिंचाई करने से कम पानी की स्थिति में भी अच्छी पैदावार प्राप्त होती है। 

11. मित्र कीटों का संरक्षण करें

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मित्र कीटों को खेतों में संरक्षित करना चाहिए। यदि शत्रु एवं मित्र कीट का अनुपात 2:1 है, तो कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रेइंग मेंटिस, इंद्रगोपभृंग, ड्रैगन फ्लाई, किशोरी मक्खी, झिंगुर, ग्राउंड विटिल, रोल विटिल, मिडो ग्रासहापर, वाटर बग, मिरिड बग ये सभी मित्र कीट हैं, जो फसलों व सब्जियों में पाए जाते हैं। ये कीट शत्रु व हानिकारक कीटों के लार्वा, शिशु एवं प्रौढ़ को प्राकृतिक रूप से खाकर नियंत्रित करते हैं। इनमें मांसाहारी कीट मित्र कीट होते हैं, जबकि शाकाहारी कीट फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। फसल पर कीट देखते ही किसान अंधाधुंध रासायनिक खाद का उपयोग करने लगते हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं और उत्पादन पर भी असर पड़ता है। इसलिए मित्र कीटों की पहचान करके उनका संरक्षण करना चाहिए। मित्र कीटों के संरक्षण से रासायनिक खाद की कम आवश्यकता पड़ती है और फसल भी अच्छी होती है।

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