Published - 15 Oct 2020
किसानों को अब फसल नुकसान का मुआवजा जल्द मिलने की उम्मीद जागी है। राज्य सरकारों ने जिले के कलेक्टरों को अपने क्षेत्र में अतिवृष्टि से किसानों की खरीफ फसल को हुए नुकसान की रिपोर्ट मांगी है ताकि किसानों को मुआवजा देकर उनकी हानि की भरपाई की जा सके। बता दें कि इस साल मानसून की बारिश से जहां कई राज्यों में किसानों की फसलों को जीवनदान मिला, वहीं कई राज्यों में बाढ़ के हालात बन गए। इसके चलते इन राज्यों के किसानों की खरीफ की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा। इसे देखते हुए राज्य सरकारों ने अपने-अपने क्षेत्रों में सर्व का कार्य शुरू कराया है।
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इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की सचिव तथा राहत आयुक्त रीता शांडिल्य ने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र जारी कर मानसून 2020 के दौरान जिलों में अतिवृष्टि तथा बाढ़ आदि कारणों से खरीफ की फसलों की क्षति की जानकारी शीघ्र निर्धारित प्रपत्र में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। राजस्व सचिव ने कलेक्टरों को लिखे पत्र में कहा है कि अतिवृष्टि बाढ़ आदि कारणों से फसल क्षति होने पर प्रभावित कृषकों को आर्थिक अनुदान सहायता उपलब्ध कराए जाने के लिए फसल क्षति का सही आंकलन बेहद आवश्यक है क्योंकि राहत राशि का मापदंड निर्धारित करने के प्रयोजन के लिए क्षति का प्रतिशत कृषक द्वारा यथा स्थिति फसलों के तहत बोये गए कुल क्षेत्र के आधार पर परिमाणित किया जाना है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा फसल क्षति के संबंध में जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में निहित प्रावधानों के अनुसार प्रभावित किसानों को आर्थिक अनुदान सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
उन्होंने कलेक्टरों से कहा है कि नियमानुसार यदि किसी किसान ने यथास्थिति खरीफ/रबी में कोई एक हेक्टेयर क्षेत्र बोया है और बोये समस्त क्षेत्र प्राकृतिक आपदा से 60 प्रतिशत की सीमा तक क्षतिग्रस्त हो गया, तो फसल हानि का प्रतिशत 60 प्रतिशत माना जाएगा। यदि किसी कृषक ने यथास्थिति खरीफ/रबी के दौरान 4 हेक्टेयर क्षेत्रफल बोया हुआ है और उसमें से प्राकृतिक आपदा के कारण एक हेक्टेयर क्षेत्र में 50 प्रतिशत का नुकसान होकर शेष तीन हेक्टेयर क्षेत्रफल प्राकृतिक आपदा से अप्रभावित रहा है तो फसल हानि का प्रतिशत 12.50 प्रतिशत माना जाएगा।
फसल व हानि के लिए आर्थिक अनुदान दिए जाने की आवश्यक शर्त है कि हानि का प्रतिशत 33 प्रतिशत से अधिक हो। उस स्थिति में जबकि फसल पककर तैयार नहीं भी होती है, फसल का आंकलन किया जाना नजरी आधार पर किया जाता है। इस स्थिति में गलती की संभावना विद्यमान रहती है, इसलिए यह आवश्यक है कि खरीफ फसल हानि का आंकलन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग तथा कृषि एवं कृषक कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जाए तथा 33 प्रतिशत से अधिक फसल हानि होने पर किसान द्वारा धारित कुल रकबे में से फसल हानि के रकबे का परिमाणिक आंकलन कर यथास्थिति प्रावधानों के अनुरूप आर्थिक अनुदान राशि की गणना की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि एक खरीफ सत्र में फसल हानि होने पर प्रभावित कृषक विशेष को एक ही बार आर्थिक अनुदान प्राप्त होगा।
राजस्व सचिव ने कलेक्टरों को कहा कि फसल हानि का आंकलन करते समय प्रभावित क्षेत्र का फोटोग्राफ्स् भी अनिवार्यत: लिया जाना चाहिए। प्रभावित कृषक को देय परिगणित आर्थिक अनुदान की गणना सही-सही किया जाना भी आवश्यक है। राजस्व सचिव ने कलेक्टरों से कहा है कि मानसून-2020 के दौरान माह अगस्त में हुई अतिवृष्टि एवं बाढ़ से हुई फसल क्षति की वास्तविक जानकारी निर्धारित प्रपत्र में 15 दिनों के अन्दर उपलब्ध कराई जाए।
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