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अधिक उत्पादन देने वाली 8 फसलों की 10 नई किस्में विकसित

Published - 23 Nov 2021

 10 नई किस्में विकसित : कृषि विश्वविद्यालय ने किया तैयार, जानें, इसकी विशेषताएं

खेती की लागत कम करने और उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास निरंतर किया जा रहा है। इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय अहम भूमिका निभा रहा है। कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की ओर से नई-नई किस्में खोजी जाती है और उन्हें विकसित किया जाता है। इसमें संकर किस्में अधिक उत्पादन के साथ ही काफी हद तक कीट रोधी होती है। इसी प्रकार की कुछ किस्मेें बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के  वैज्ञानिकों की ओर से तैयार की गईं हैं। फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केंद्रीय उप समिति ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित 8 फसलों के 10 नई किस्मों को अनुमोदन दे दिया है। 

किन-किन फसलों की है ये उन्नत किस्में

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की ओर 8 फसलों की जो किस्में से तैयार की हैं, जिसमें उड़द, अरहर, सोयाबीन, सरसों, बेबी कॉर्न (मक्का), मड़ुआ की एक-एक तथा तीसी की 3 किस्में शामिल हैं। 

क्या है इन नई किस्मों की विशेषताएं

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की ओर से तैयार की गई इन नई किस्मों की जो विशेषताएं बताई जा रही हैं वे इस प्रकार से हैं-

  • वर्तमान में प्रयोग में लाए जा रहे किस्मों की तुलना में इन नई उन्नत किस्मों की उत्पादन क्षमता 15 से 20 प्रतिशत अधिक है। 
  • इन नए प्रभेदों के प्रयोग से झारखंड राज्य में कृषि उत्पादन और उत्पादकता में काफी वृद्धि होगी। फसलों का आच्छादन भी बढ़ेगा। 
  • इन किस्मों की परिपक्वता अवधि कम रहने के कारण फसल गहनता भी बढ़ेगी। धान की कटाई के बाद परती खेतों का उपयोग भी हो सकेगा। 
  • इन किस्मों को कम पानी में उगाया जा सकेगा। 

1. गेहूं की नई किस्म बिरसा गेहूं-  4 (जेकेडब्लू) और इसकी विशेषताएं

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म बिरसा गेहूं-  4 (जेकेडब्लू) विकसित की है। इसकी विशेषताएं इस प्रकार से हैं- 

  • गेहूं के इस नई किस्म की उत्पादन क्षमता 51.72 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 
  • इस किस्म से फसल करीब 110-130 दिनों में परिपक्व हो जाती है। 
  • यह सूखा एवं ताप सहिष्णु और रोग प्रति किस्म बताई जा रही है। 
  • इसके दाने में 11 प्रतिशत प्रोटीन और उच्च आयरन एवं जिंक की मात्रा विद्यमान होती है। 
  • यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर के तराई क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है। 

2. उड़द की नई किस्म बिरसा उड़द-2 और इसकी विशेषताएं

उड़द की जो नई किस्म बिरसा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने तैयार की है वह है- बिरसा उड़द-2 है। इस किस्म की विशेषताएं इस प्रकार से हैं- 

  • उड़द की इस नई किस्म की उत्पादन क्षमता 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बताई जा रही है। 
  • इस किस्म के उपयोग पर करीब 82 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।  
  • इसकी एक फली में 6-7 बड़े भूरे दाने होते हैं। 
  • यह किस्म सर्कोस्पोरा, लीफ स्पॉट और जड़ विगलन रोग के प्रति प्रतिरोधी है तथा इसमें एफिड का प्रकोप भी कम होता है। 

3.  अरहर की नई किस्म बिरसा अरहर-2 और इसकी विशेषताएं

इसी प्रकार विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अरहर की नई किस्म बिरसा अरहर-2 तैयार की गई है। इसे भी उत्पादन की दृष्टि से बेहतर बताया जा रहा है। इसकी कुछ विशेषताएं इस प्रकार से हैं-

  • बिरसा अरहर-2 अरहर के इस दलहनी प्रभेद में प्रोटीन की मात्रा 22.48 प्रतिशत है। 
  • इसका अंडाकार दाना भूरे रंग का होता है। 
  • इसकी उत्पादन क्षमता 27.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 
  • बिरसा अरहर-2 किस्म 235-240 दिन में परिपक्व होकर तैयार हो जाती है। 
  • यह विल्ट और बोरर के प्रति प्रतिरोधक है। 

4. सोयाबीन की नई किस्म बिरसा सोयाबीन-3 और इसकी विशेषताएं

कृषि वैज्ञानिकों की ओर से सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए इसकी नई किस्म बिरसा सोयाबीन-3 तैयार की है। इसकी प्रमुख विशेषाएं इस प्रकार से हैं- 
•    सोयाबीन की इस नई किस्म बिरसा सोयाबीन-3 का बीज हल्का पीला रंग का अंडाकार होता है। 
•    इस किस्म में तेल की मात्रा 19 प्रतिशत और प्रोटीन 38.8 प्रतिशत होती है। 
•    इस नई किस्म की उत्पादन क्षमता 27.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 
•    यह किस्म अवधि 115-120 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। 
•    यह नई किस्म विभिन्न रोगों के और कीड़ों के प्रति सहिष्णु है। इस किस्म में भुआ पिल्लू का प्रकोप नहीं होता है। 

5. सरसों की बिरसा भामा मस्टर्ड-1 किस्म और इसकी विशेषताएं

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से सरसों का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक नई किस्म प्रस्तुत की गई है जिसे बिरसा भामा मस्टर्ड-1 नाम दिया गया है। इसे बीएयू एवं भाभा आणविक अनुसंधान केंद्र के संयुक्त सहयोग से विकसित किया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं- 

  • सरसों की इस नई किस्म का दाना बड़े आकार का होता है। 
  • इसमें तेल की मात्रा लगभग 40 प्रतिशत होती है।
  • यह किस्म अल्टरनरिया ब्लाइट, व्हाइट रस्ट और एफिड के प्रति सहिष्णु है। 
  • इस किस्म से फसल 112-120 दिनों में तैयार हो जाती है। 
  • इस किस्म की उत्पादन क्षमता 14.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 

6.  मक्का की नई किस्म बिरसा बेबी कार्न-1 और इसकी विशेषताएं

विश्वविद्यालय की ओर से मक्का की नई किस्म बिरसा बेबी कार्न-1 को विकसित किया गया है। बताया जा रहा है कि ये किस्म कई रोगों को प्रति सहिष्णु है और इससे अच्छा उत्पादन मिल सकता है। इसकी प्रमुख विशेषाएं इस प्रकार से हैं-

  • मक्का की इस नई किस्म की औसत उपज क्षमता 16.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 
  • इस नई किस्म से फसल 50-65 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। फसल की कटाई 48 वें दिन से शुरू हो जाती है और 65वें दिन तक जारी रहती है। इसकी तीन बार तुड़ाई होती है।
  • इसके अलावा मक्का की ये नई किस्म कई रोगों के प्रति सहिष्णु है। 
  • इस किस्म की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि उपयुक्त है।

7. तिलहनी फसल तीसी की तीन किस्में और इनकी विशेषताएं

बिरसा विश्वविद्यालय की ओर से तीसी की तीन नई किस्में तैयार की गई हैं। यह किस्में बिरसा तीसी-1, तीसी-2 दिव्या और तीसी-3 प्रीतम हैं। इन किस्मों की विशेषताएं इस प्रकार से हैं- 

  • बिरसा तीसी-1 : तीसी की इस नई किस्म बिरसा तीसी-1 में तेल की मात्रा 34.6 प्रतिशत मिलती है। इसकी औसत उपज 11.4 क्विटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई है लेकिन उपज क्षमता 17.12 क्विंटल तक है। इस किस्म से तीसी की फसल 128-130 दिनों में तैयार होती है। यह किस्म अल्टरनरिया ब्लाइट और रस्ट के प्रति उच्च प्रतिरोधी तथा विल्ट एवं बडफ्लाई के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। 
  • तीसी-2 दिव्या : तीसी की जारी की गई दूसरी नई किस्म तीसी-2 दिव्या है। इसमें में तेल की मात्रा लगभग 40 प्रतिशत होती है। इसमें हृदय के लिए लाभकारी ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा 60 प्रतिशत होती है। इस किस्म की औसत उपज क्षमता 15.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा इसकी अधिकतम पर क्षमता 21.15 क्विंटल तक हो सकती है।  इस किस्म से फसल 127 से 130 दिनों तैयार हो जाती है। यह किस्म विभिन्न रोगों और कीड़ों के प्रति प्रतिरोधी है। 
  • तीसी-3 प्रियम : तीसी की तीसरी किस्म तीसी 3 प्रियम है। इसमें तेल की मात्रा 37 प्रतिशत और ओमेगा 3 की मात्रा 53 प्रतिशत होती है। इसकी औसत उपज 12.5 क्विंटल तथा उपज क्षमता 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। इस किस्म के उपयोग से फसल 128-130 दिन की अवधि में तैयार हो जाती है। इसमें अधिकांश रोगों और कीड़ों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी पाई जाती है। 

8. बिरसा मड़ुआ-3 

मडुआ की नई किस्म बिरसा मडुआ-3 में नमी की कमी के प्रति सहिष्णु बताई जा रही है। यह नेक और फिंगर ब्लास्ट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। इस किस्म की औसत उपज क्षमता 28.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसकी परिपक्वता अवधि करीब 110-112 दिन है।   

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