कोरोना लॉकडाउन से देशभर में रुकी फसलों की सरकारी खरीद ?

Share Product Published - 27 Mar 2020 by Tractor Junction

कोरोना लॉकडाउन से देशभर में रुकी फसलों की सरकारी खरीद ?

जानिए कोविड-19 से फसलों के नुकसान का मुआवजा मिलेगा या नहीं

कोरोना वायरस (कोविड-19) की दहशत कम होती नहीं दिख रही है। 27 मार्च 2020 गुरुवार दोपहर तक भारत में 17 लोगों की मौत हो चुकी थी। वहीं 724 लोग संक्रमित है। इसके अलावा विश्व के अन्य देशों में हालात और भी भयावह है। विश्व के अन्य देशों में 24 हजार 57  लोगों की मौत हो चुकी है और सक्रमण के 5 लाख 31 हजार 860 मामले हैं। देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 14 अप्रैल तक 21 दिन का लॉकडाउन पीरियर चल रहा है। ऐसे में समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद बंद कर दी गई। किसानों की फसल खेत में खड़ी है और किसान उसे काटने की तैयारी कर रहा है। ट्रैक्टर जंक्शन इस पोस्ट के माध्यम से किसानों के हर सवाल का जवाब दे रहा है जो उनके मन में है।

 

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समर्थन मूल्य पर खरीद प्रक्रिया बंद 

केंद्र सरकार ने इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 105 मिलियन टन होने की संभावना व्यक्त की है। कोरोना लॉकडाउन की वजह से फसलों को काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। मजदूर खेत में जाने से डर रहे हैं। दूसरी तरफ बेमौसम बरसात का सिलसिला भी देश के उत्तरी राज्यों में जारी है जिससे किसानों को फसलों में नुकसान होने की संभावना है। देशभर में लॉक डाउन के कारण कृषि मशीनें भी एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं जा पा रही है।

 

 

कोरोना (कोविड-19) से फसल नुकसान का मुआवजा : मिलेगा या नहीं

देशभर में लॉकडाउन के कारण ट्रांसपोर्टेशन के वाहन भी बंद है। देशवासियों से अपने-अपने घरों में रहने की अपील की गई है। जनजीवन थम गया है। लॉकडाउन का कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब देशभर के खेतों में फसलों की कटाई अंतिम चरण में चल रही है और किसानों को इसे जल्दी से जल्दी बेचना चाहते हैं। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत मानव निर्मित जोखिम को शामिल नहीं किया गया है, जिससे देश का कोई भी किसान यह दावा नहीं कर सकता है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण हुए नुकसान का बीमा किया जाएगा। यदि खेत में पड़ी फसल का नुकसान बारिश या ओले से होता है तो यह प्राकृतिक आपदा है। फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ी गई फसल की क्षति होने पर भी किसानों को बीमा का लाभ दिया जाता है। किसानों को कोविड-19 जैसी महामारी से नुकसान की भरपाई के देश में फिलहाल कोई योजना नहीं है। सरकार अन्य योजनाओं के माध्यम से किसानों को फायदा पहुंचा रही है। अब किसानों की भरपाई बस सरकार के राहत पैकेज से ही हो सकती है।

 

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समर्थन मूल्य पर कब शुरू होगी सरकारी खरीद

देश में लॉकडाउन की घोषणा से पहले देश के कई राज्यों में एक अप्रैल व 15 अप्रैल से रबी फसलों की समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद शुरू होनी थी। लेकिन लॉकडाउन के बाद हालत उलट हो गए हैं। अब फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद कब शुरू होगी यह देश में लॉकडाउन हटने की तिथि 15 अप्रैल के बाद ही पता चलेगा। फसलों की संभावित खरीद से पहले ही पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान ने अपने राज्यों में गेहूं की खरीद अनिश्चित समय के लिए स्थगित कर दी है। लॉक डाउन के कारण मंडियां भी बंद है। ऐसे में किसानों के पास बाजार में भी बेचने का विकल्प उपलब्ध नहीं है।

ट्रैक्टर जंक्शन सभी किसान भाइयों को सलाह देना चाहता है कि किसान भाई परिवार के सहयोग से खेत में खड़ी फसलों को काटकर अपने घर व गोदामों में रखे। लॉक डाउन हटने के बाद फिर से सरकारी खरीद शुरू होगी और मंडियां भी खुल जाएंगी। इसके अलावा कई राज्यों में अभी तक समर्थन मूल्य पर पंजीकरण की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। पंजीकरण के बाद ही किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं। 

किसान कैसे करें फसलों का सुरक्षित भंडारण

देशभर के किसान फसलों की कटाई में जुटे हैं। अब उनके सामने फसलों को बेचने की समस्या है। लेकिन लॉकडाउन के कारण 15 अप्रैल से पहले फसलों को बेचना लगभग असंभव है। अत: जिन किसानों ने अपनी फसल काट ली है वह भंडारण की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें। 

  • भंडार में अन्न रखने से पहले मालाथियान 50 ई.सी. एक भाग एवं 300 भाग पानी में घोलकर अच्छी तरह से भंडार में छिडक़ाव करें।
  • बीज से लिए रखी अन्न की बोरियों पर भी मालाथियान धूल का भुरकाव कर दें।
  • अगर अन्न में कीड़ लगने शुरू हो जाए तो उसे शीघ्र बेच दें।
  • कीड़े लगने की दशा में प्रधुमन भी कर सकते हैं। इसके लिए वायुरोधी बर्तन में ई.डी.बी. 3 मिली प्रति क्विंटलन की दर से काम में लाएं।
  • देशी तरीके से भंडारण करने के लिए एक सौ किलोग्राम अनाज में 5 किलोग्राम सूखी नीम या सदाबहार या कनेर की पत्तियां अच्छी तरह से मिलाकर रखने से कीटों का बचाव होता है।

 

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