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कोरोना वायरस से दूध की खपत 25 फीसदी घटी अब सरकार से राहत की उम्मीद ?

Published - 31 Mar 2020

कोरोना वायरस का दूध उत्पादक किसानों पर असर

ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। देशभर में कोरोना का साइड इफेक्ट लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु के मामले और कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। देशभर में लॉकडाउन के चलते हर तबका मुसीबत में है, किसान भी इससे अछूते नहीं है। देश का किसान रबी फसल की कटाई में जुटा हुआ है। देश के कई प्रांतों के किसानों ने रबी फसल की कटाई का काम पूरा कर लिया है लेकिन वह अपनी उपज को बेच नहीं पा रहा है। पशुपालन से जुड़े किसानों पर भी लॉकडाउन का असर पड़ा है। देश में दूध की खपत करीब 25 फीसदी तक घट गई और किसानों को गांव में दूध कम दामों पर बेचना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को सरकार से उम्मीद है कि उनके लिए भी कुछ राहत भरे कदम उठाए जाएं।

 

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कोरोना से देश में दूध की खपत 25 फीसदी तक कम

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन के चलते होटल, रेस्तरां, हलवाई की दुकानें और चाय की थडिय़ां बंद है। जिससे दूध की खतप करीब 25 फीसदी तक कम हो गई है। इससे पशुपालक किसानों की कमाई में 5 से 7 रुपए प्रति लीटर तक की कमी आई है। देश में मांग की तुलना में दूध की आपूर्ति बढ़ गई है। देश के कुछ इलाकों में तो किसान आधी कीमत पर दूध बेचने को मजबूर है। देश के दूरदराज इलाकों में परिवहन सेवाएं बंद होने के कारण निजी और सरकारी कंपनियां दूध की खरीद नहीं कर पा रही हैं। देश के प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक औ तमिलनाडू में कोविड-19 के पैर परसारने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।

 

किसानों को गाय के दूध के 31 और भैंस के दूध के 50 रुपए लीटर मिलता है दाम

अमूल ब्रांड से दुग्ध उत्पादक बेचने वाली देश की सबसे बड़ी दुग्ध कंपनी गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर.एस. सोढ़ी के हवाले छपी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में होटल, रेस्टोरेंट और चाय की दुकानें बंद होने से पिछले एक महीने के दौरान दूध की खपत में 25 फीसदी की कमी आई है। आइसक्रीम और दूध से बने उत्पादों की खुदरा दुकानें बंद होने से दूध की खपट घटी है। लेकिन घरों में घी, मक्खन और दूध की खपत बढ़ी है। सोढ़ी के अनुसार बड़ी दूध की कंपनियों को तो ऊंची कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि उनका किसानों के साथ पुराना नाता है। जीसीएमएमएफ किसानों को गाय के दूध के लिए 31 रुपए प्रति लीटर और भैंस के दूध के लिए 50 रुपए प्रति लीटर का भुगतान करती है।

 

यह भी पढ़ें : 8.69 करोड़ किसानों को अप्रैल के पहले सप्ताह में मिलेंगे 2 हजार रुपए

 

अब कुछ किसान कम कीमत पर दे रहे हैं दूध

एक मीडिया रिपोर्ट्स  के अनुसार दूध की खपत में कमी के कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू और गुजरात में किसानों को सस्ती कीमत पर दूध बेचना पड़ रहा है। गांवों में दूध की मौजूदा कीमत 30 से 31 रुपए प्रति लीटर है लेकिन कुछ किसान आधी कीमत पर ही दूध कंपनियों को दूध दे रहे हैं। इससे किसानों की कमाई 5 से 7 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से कम हुई है। आपको बता दें कि निजी और छोटी सहकारी कंपनियां ज्यादा आपूर्ति की स्थिति में किसानों को कम कीमत देकर मौके का फायदा उठाती है। 

 

निर्यात प्रभावित होने से स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों में भी गिरावट

वहीं दुनियाभर में लॉकडाउन के कारण निर्यात प्रभावित होने से स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों में भी गिरावट आई है। यह स्थिति अभी कुछ हफ्ते और रहेगी। करीब एक महीने बाद गर्मियां शुरू होने के साथ ही दूध की आपूर्ति में कमी आएगी और कीमतें फिर से अपनी पुरानी स्थिति में पहुंच जाएंगी। अमूमन जब दूध की आपूर्ति खपत से अधिक होती है तो दुग्ध कंपनियां स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) बनाती हैं ताकि मांग बढऩे और आपूर्ति घटने पर इसे बेचा जा सके। निर्यात रुकने के कारण एसएमपी की कीमतों में भारी गिरावट आई है।

 

खेप रोक दी गई और कोई ऑर्डर नहीं आ रहा है। बाजार में पर्याप्त मात्रा में एसएमपी उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद अतिरिक्त दूध को एसएमपी में बदलने और ज्यादा मांग के समय आपूर्ति के लिए रखना व्यावहारिक नहीं है। कई दुग्ध कंपनियों के पास कार्यशील पूंजी नहीं है। क्योंकि उन्हें बैंक से फंड नहीं मिल रहा है। मांग कम होने से घरेलू बाजार में एसएमपी 230 रुपए प्रति किलो के भाव से मिल रहा है जबकि एक माह पहले इसकी कीमत 310 रुपए प्रतिकिलो के आसपास थी।

 

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