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चीनी निर्यात की अवधि दिसंबर तक बढ़ाई, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने में मिलेगी मदद

Published - 30 Sep 2020

सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात को दी मंजूरी

केंद्र सरकार ने देश से चीनी के निर्यात की अवधि को दिसंबर तक बढ़ा दिया है। इससे चीनी मिलों को राहत मिली है और गन्ना किसानों को चीनी मिलों पर अपना बकाया भुगतान के मिलने की उम्मीद जागी है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि सरकार ने चीनी मिलों को इस साल के लिए आवंटित चीनी कोटे का अनिवार्य निर्यात करने के लिए समय सीमा तीन महीने बढ़ाकर दिसंबर तक कर दी है। सरकार ने सितंबर को समाप्त होने वाले 2019-20 के विपणन वर्ष के लिए अतिरिक्त चीनी के निपटान में मदद के लिए कोटा के तहत 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है।

 

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56 लाख टन चीनी का हो चुका है निर्यात

खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि 60 लाख टन में से 57 लाख टन चीनी का अनुबंध हो गया है और मिलों से लगभग 56 लाख टन चीनी निकल चुकी है। उन्होंने बताया कि इस समय कोविड-19 महामारी के दौरान आवाजाही में कठिनाई के चलते कुछ मिलें अपना स्टॉक भेज नहीं सकीं। सिंह ने बताया कि महामारी के दौरान कई मिलों को लॉजिस्टिक संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ा। इसलिए, हमने  उन्हें अपना कोटा निर्यात करने के लिए दिसंबर तक कुछ और समय देने का फैसला किया है।

 


चीनी मिलों को मिल जाएगा अतिरिक्त समय

सरकार के इस फैसले से चीनी मिलों को अतिरिक्त समय मिल जाएगा जिससे वे अपना इस साल का कोटा निर्यात कर विदेशी मुद्रा कमा सकेंगे जिससे उनके लिए किसानों का बकाया भुगतान करना आसान हो जाएगा। बता दें कि सरकार विपणन वर्ष 2019-20 के दौरान 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए 6,268 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रही है, ताकि अतिरिक्त घरेलू स्टॉक को खत्म किया जा सके और किसानों को गन्ने का भारी बकाया चुकाने में मिलों को मदद मिल सके।


किन-किन देशों को किया जा रहा है चीनी का निर्यात

चीनी मिलों की ओर से ईरान, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों को चीनी का निर्यात किया जा रहा है। आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि इंडोनेशिया में चीनी के निर्यात को लेकर गुणवत्ता संबंधी कुछ मुद्दे थे, जिसका अब समाधान हो गया है और जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिला है।


किसानों का कितना बकाया है चीनी मिलों पर और भुगतान में क्यूं हुई देरी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान चीनी मिलों ने किसानों से लगभग 72,000 करोड़ रुपए का गन्ना खरीदा था। उसमें से लगभग 20,000 करोड़ रुपए किसानों को भुगतान किया जाना अभी बाकी है। इसे लेकर किसानों में रोष व्याप्त था। इधर चीनी मिले अपनी मजबूरी बता कर इस बात से पल्ला झाड रही थी। इसी बीच किसानों के चीनी मिलों पर बकाया राशि के भुगतान को लेकर केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया और चीनी मिलों के प्रति सकारात्मक फैसले लिए जिससे उनके लिए गन्ना किसानों का बकाया चुकाना आसान हो जाए। इसके लिए केंद्र सरकार ने पहले चीनी मिलों में किसानों के बकाया भुगतान की राशि जायजा लिया और इसके बाद चीनी के एमएसपी पर 2 रुपए बढ़ाने की सिफारिश की। इसके बाद अब चीनी मिलों को राहत देते हुए चीनी निर्यात की अवधि को दिसंबर तक बढ़ाया गया है ताकि चीनी मिलों को अपना बकाया कोटा निर्यात करने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाए ताकि वे अपना निर्यात कोटा पूरा करके इससे प्राप्त राशि से किसानों का बकाया चुका सके।


भारत में अधिकतर चीनी मिले निजी क्षेत्र की

देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश गन्ना और चीनी उत्पादन में भी पहले स्थान पर है। देश में उगाए जाए वाले गन्ने के कुल क्षेत्र में यूपी का हिस्सा लगभग 48 प्रतिशत है और यह कुल गन्ना उत्पादन का 50 प्रतिशत योगदान देता है। राज्य के 44 जिलों में चीनी उद्योग ही सबसे बड़ा प्रमुख उद्योग है। राज्य में तकरीबन 53.37 लाख गन्ना किसान हैं जो 182 गन्ना और चीनी मिल सहकारी समितियों के साथ जुड़े हुए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर आता है। बात करें पूरे भारत में चीनी मिलों की तो देश में 513 चीनी मिलें हैं। इनमें से सर्वाधिक 288 मिलें निजी क्षेत्र की, 214 मिलें सहकारिता क्षेत्र की एवं 11 मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं।

 

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