प्रकाशित - 07 Sep 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खरीफ फसलों का सीजन चल रहा है। ऐसे में किसानों को खाद की आवश्यकता होती है। इसमें सबसे ज्यादा यूरिया खाद किसानों द्वारा खरीदा जाता है। यूरिया खाद से पैदावार में बढ़ोतरी होती है लेकिन भूमि की उर्वरकता के लिए इसका अधिक उपयोग अच्छा नहीं माना गया है। हालांकि अब बाजार में नैनो यूरिया जैसी प्राकृतिक लिक्विड खाद आ गई है जो कम मात्रा में भी अधिक असरकारक होती है। यूरिया पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी के बाद किसानों को यूरिया बहुत ही सस्ती दर पर उपलब्ध कराया जाता है। इसके बाद भी किसानों को यूरिया मिलने में कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे कारण यह है कि कुछ दुकानदार बाजार में यूरिया की कृत्रिम कमी दिखाकर अधिक लाभ कमाने के चक्कर में यूरिया की कालाबाजारी करते हैं। इससे किसानों को मजबूरन अधिक दाम पर बाजार से यूरिया खरीदना पड़ता है। ऐसे लोगों पर अब सरकार ने लगाम लगा दी है। खरीफ सीजन के लिए यूरिया का एक रेट फिक्स कर दिया गया है। अब किसानों को इसी रेट पर यूरिया बेचा जाएगा। इससे ज्यादा रेट पर यूरिया बेचता हुआ कोई मिला तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने किसानों के हित में यह फैसला लिया है। इससे लाखों किसानों को लाभ होगा। किसानों को निरंतर सस्ती दर पर यूरिया उपलब्ध हो सकेगा।
इस संबंध में लखनऊ के जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह के मुताबिक यूरिया की एक बोरी का रेट 266.50 रुपए की प्रति बोरी के हिसाब से निर्धारित किया गया है। किसान को इसी रेट पर यूरिया उपलब्ध होगा। प्रदेश में सभी सरकारी, निजी कृषि केद्रों और दुकानों पर यूरिया, डीएपी की भारी मात्रा मौजूद है। इसी के साथ ही सरकार ने यूरिया की मात्रा की सीमा को भी निर्धारित कर दिया है। यदि इस मात्रा से अधिक कोई विक्रेता स्टॉक करता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार का मानना है मात्रा निर्धारित करने से यूरिया की अवैध रूप बिक्री पर रोक लगेगी और किसानों को यूरिया मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी।
किसानों को सस्ती दर पर यूरिया उपलब्ध हो इसके लिए सरकार की ओर से यूरिया पर भारी सब्सिडी दी जाती है। हालांकि सरकार की ओर से दी गई सब्सिडी किसानों के खाते में न आकर कंपनियों को सीधा भुगतान कर दी जाती है। इससे जो यूरिया की 45 किलो की बोरी कंपनी की ओर से 2450 रुपए की आती है, उस पर सरकार की ओर से सब्सिडी देने के बाद किसानों को यूरिया की एक बोरी मात्र 266.50 रुपए में पड़ती है। इस तरह से देखा जाए तो सरकार यूरिया पर सब्सिडी के रूप में बड़ी मोटी राशि खर्च कर रही है।
जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह के मुताबिक नियमों के अनुसार यदि कोई खाद विक्रेता निर्धारित मानकों से अधिक मात्रा या अनाधिकृत उर्वरक बेचता पाया जाता है तो प्रशासन उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। वहीं किसान द्वारा ज्यादा रेट लेने की शिकायत मिलने पर दुकान का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
जिला कृषि अधिकारी अनुसार सूत्रों से यह जानकारी प्राप्त हो रही है कि कंपनियां यूरिया, डीएपी, एसएसपी एवं एनपीके उर्वरकों को शीघ्र बिक्री करने पर इन्सेन्टिव देने का प्रलोभन दे रही है। ऐसे में फुटकर उर्वरक विक्रेताओं द्वारा उर्वरकों को बिना वास्तविक बिक्री किए उसको फर्जी तरीके से जान पहचान वाले किसानों की बायो मैट्रिक करवाकर पीओएस मशीन से बिक्री की जा रही है जो गलत है। उन्होंने कहा कि जनपद के सभी फुटकर एवं खुदरा उर्वरक विक्रताओं को सचेत किया जाता है कि वह किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आए और फर्जी तरीके से अवास्तविक किसानों को उनकी बायो मैट्रिक लगवाकर खाद की बिक्री नहीं करें। इस समय सभी तहसीलों में उर्वरक निरीक्षकों द्वारा सघन जांच कराई जा रही है। इसमें यदि कोई विक्रेता पीओएस में उपलब्ध स्टाक से वास्तविक और भौतिक रूप से उपलब्ध स्टॉक का मिलान करने पर भिन्नता पाई जाती है तो उसके विरूद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1685 की धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
प्रदेश के सभी सरकारी, निजी कृषि केद्रों और दुकानों पर यूरिया, डीएपी की भारी मात्र उपलब्ध है। किसान भाईयों से अपील है कि वे निर्धारित मूल्य पर यूरिया की खरीद करके रसीद अवश्य प्राप्त करें। किसान खाद की दुकानों पर सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक यूरिया, डीएपी की खरीद कर सकते हैं।
यूपी के कृषि विभाग ने खाद का अवैध विक्रय रोकने और वास्तविक किसान तक यूरिया उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विकास भवन में एक कट्रोल रूम शुरू किया है। यदि कोई खाद विक्रेता या किसान इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों में शामिल होता है तो इसके लिए टोल फ्री नंबर 9198938099 या 7839882167 पर शिकायत दर्ज की जा सकती हे।
यूरिया सहित अन्य खेती के काम आने वाले उर्वरकों पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी के बाद किसानों को बहुत ही सस्ते दामों पर खाद प्राप्त होता है। सरकारी सब्सिडी के बाद जो रेट सरकार की ओर से तय किए गए हैं, वे इस प्रकार से हैं
खाद/उर्वरक का नाम | प्रति बोरी मात्रा | प्रति बोरी रेट |
यूरिया (Urea) | 45 किलोग्राम | 266.50 रुपए |
डीएपी (DAP) | 50 किलोग्राम | 1350 रुपए |
एनपीके (NPK) | 50 किलोग्राम | 1470 रुपए |
एमओपी (MOP) | 50 किलोग्राम | 1700 रुपए |
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