प्रकाशित - 05 Oct 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
सरकार हर साल किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर फसलों की खरीद करती है। इसके लिए सरकार साल में दो बार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। एक रबी फसल सीजन (Rabi crop season) में और दूसरा खरीफ फसल सीजन (Kharif crop season) में। रबी फसलों के तहत अधिसूचित गेहूं सहित 6 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) तय की जाती है और उसी के अनुसार राज्य सरकार किसानों से फसलों की खरीद करती है। इस न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा केंद्र सरकार की ओर से की जाती है जो पूरे देश में समान रूप से लागू होती है। इस बार केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को खुशखबर दे सकती है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी कर सकती है और ये बढ़ोतरी लोकसभा चुनाव से पहले की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार गेहूं की एमएसपी में करीब 150 से लेकर 175 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर सकती है। इतना ही नहीं अन्य रबी फसलों की एमएसपी में भी सरकार काफी अच्छी वृद्धि कर सकती है। इससे देश के करोड़ों किसानों को लाभ होगा।
यदि गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) यानी एमएसपी (MSP) में सरकार बढ़ोतरी करती है तो इसका लाभ प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों को मिलेगा। क्योंकि यहां पर गेहूं की खेती सबसे अधिक की जाती है। बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां सबसे अधिक गेहूं का उत्पादन होता है। गेहूं उत्पादन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर आता है। वहीं दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश है जहां देश के कुल गेहूं उत्पादन का 16 प्रतिशत गेहूं उत्पादित किया जाता है। इसके बाद पंजाब है जहां गेहूं का 15.65 प्रतिशत उत्पादन होता है। चौथे नंबर पर हरियाणा है जहां 11.28 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन होता है। वहीं पांचवें नंबर पर राजस्थान आता है जहां 10.8 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन होता है। इसके अलावा और भी कई ऐसे राज्य है जहां गेहूं का उत्पादन होता है जहां शेष बचे हुए 15 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन होता है। इस तरह देखा जाए तो उपरोक्त 5 राज्यों में कुल गेहूं उत्पादक किसानों की काफी संख्या है जो गेहूं का उत्पादन करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार अगले साल के लिए गेहूं की एमएसपी (MSP) 3 से 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर सकती है। यदि सरकार ऐसा करती है तो गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2300 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगा। अभी फिलहाल गेहूं का एमएसपी 2125 रुपए प्रति क्विंटल है। इसी प्रकार सरकार मसूर की दाल का एमएसपी भी 10 प्रतिशत बढ़ा सकती है। इसके अलावा सरकार सरसों और सूरजमुखी की एमएसपी में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकती है। आशा की जा रही है कि आने वाले एक हफ्ते के दौरान सरकार रबी, दलहन और तिलहन फसलों की एमएसपी बढ़ाने की मंजूरी दे सकती है। बता दें कि सरकार की ओर से रबी विपणन वर्ष 2024-25 के लिए यह बढ़ी हुई एमएसपी लागू की जाएगी।
केंद्र सरकार की ओर से जिन फसलों का एमएसपी प्रतिवर्ष जारी किया जाता है, उनमें देश में उत्पादित की जाने वाली 23 प्रकार की प्रमुख फसलों को शामिल किया गया है। इसके तहत 7 अनाज वाली फसलें आती है जिनमें गेहूं, धान, बाजारा, मक्का, ज्वार, रागी और जौ शामिल हैं। दलहन फसलों में चना, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर को रखा गया है। वहीं 7 तिलहनी फसलें भी हैं जिनमें सरसों, सोयाबीन, सीसम, कुसुम, मूंगफली, सूरजमुखी, निगर्सिड आदि शामिल की गई हैं। इसके अलावा नकदी फसलों की एमएसपी भी सरकार द्वारा तय की जाती है जिसमें गन्ना, कपास, खोपरा और कच्चा जूट आते हैं। इस तरह केंद्र सरकार हर साल कुल 23 फसलों की एमएसपी जारी करती है।
विपणन वर्ष 2024-25 में घोषित किए जाने वाले एमएसपी में रबी की छह फसलों की एमएसपी (MSP) निर्धारित की जा सकती है। इसके तहत गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों, कुसुम (सूरजमुखी) की फसलों को शामिल किया गया है। फसल विपणन वर्ष 2023-24 में गेहूं की एमएसपी में 110 रुपए, जौ में 100 रुपए, चना में 105 रुपए, मसूर में 500 रुपए, सरसों में 400 रुपए और कुसुम (सूरजमुखी) में 209 रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। लेकिन विपणन वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार पिछले बार की तुलना में रबी फसलों की एमएसपी में अधिक बढ़ोतरी का तोहफा किसानों को दे सकती है।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की ओर से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाता है। यह आयोग गन्ना (Sugarcane) को छोड़कर सभी फसलों के लिए एमएसपी तय करता है। यह आयोग अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है। सरकार इन सुझाव का अध्ययन करने के बाद एमएसपी की घोषणा करती है। फसल की एमएसपी फसल की कुल लागत को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती है जिसमें चुकाई जाने मजदूरों की मजदूरी, बैल या मशीन द्वारा जुताई और अन्य काम, पट्टे पर ली जाने वाली जमीन का किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों और खेत निर्माण में लगने वाला खर्च, गतिशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों इत्यादि चलाने पर डीजल/बिजली का खर्च शामिल किया जाता है। इसके अलावा अन्य खर्च तथा परिवार द्वारा किए जाने वाले श्रम के मूल्य को भी इसमें रखा जाता है। इस तरह खेती की लागत के आधार पर फसलों की एमएसपी तय की जाती है।
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