बटन मशरूम की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, ऐसे उठाएं लाभ

Share Product प्रकाशित - 24 Feb 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

बटन मशरूम की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, ऐसे उठाएं लाभ

जानें, बटन मशरूम की खेती का सही तरीका और इसके लाभ

किसानों को परंपरागत फसलों की खेती के साथ ही अन्य लाभकारी फसलों की खेती भी करनी चाहिए। आधुनिक समय में यदि किसान बाजार की मांग को ध्यान में रखकर खेती करें तो उन्हें काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है। आज देश के कई किसान लाभकारी फसलों की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफा हो रहा है। लाभकारी फसलों की खेती से तात्पर्य, उन फसलों की खेती से है जो कम लागत और श्रम में अधिक मुनाफा दें सकें। इसी क्रम में किसानों की रूचि बटन मशरूम की खेती में हो रही है। इससे उन्हें बेहतर मुनाफा भी मिल रहा है। बटन मशरूम की खेती की खास बात ये हैं कि इसकी खेती कम लागत में अधिक लाभ देती है। इसकी खेती करके किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। बटन मशरूम की बाजार मांग भी काफी अच्छी रहती है और दाम भी बेहतर मिलते है। इस देखते हुए बटन मशरूम की खेती किसानों के लिए लाभ का सौंदा साबित हो रही है।

Buy Used Tractor

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को बटन मशरूम के लाभ, इसकी खेती का सही तरीका और इससे जुड़ी अन्य जानकारी दे रहे हैं, तो आइये जानते हैं बटन मशरूम की लाभकारी खेती के बारें में।

क्या है बटन मशरूम (What is Button Mushroom)

सफेद मशरूम जो आकृति में बटन के समान दिखाई देता है। इसलिए इसे बटन मशरूम के नाम से जाना जाता है। यह मशरूम शुरुआत में बटन के आकार के समान छोटे व मोटे तने वाले होते हैं। जब ये पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाते हैं तो ये छतरीनुमा आकृति के रूप में दिखाई देते हैं। बटन मशरूम एक शीतकालीन छत्रक है। मैदानी इलाकों में इसकी खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। इसे मार्च से अक्टूबर तक उगाया जा सकता है। इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा के अलावा इसमें कैलोरी मात्रा कम होती है जो सेहत के लिए काफी लाभकारी होती है। बटन मशरूम की दो प्रजातियां है पाई जाती है जिसमें एगेरिकस बाइस्पोरस और एगेरिकस बाइटोरकस। इन प्रजातियों के उन्नत प्रभेद का इस्तेमाल कर इसका बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जाता है।

बटन मशरूम के लाभ

बटन मशरूम में फाइवर की मात्रा अच्छी खासी होती है। इसके अलावा इसमें सेलेनियम, पोटैशियम, विटामिन-डी, प्रोटीन भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इसका सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभकारी माना गया है। जो लोग अपने वजन से परेशान है उनके लिए इसका सेवन काफी लाभकारी है। ये वजन को कंट्रोल करता है। इसमें कॉलिन नामक तत्व पाया जाता है जो स्मरण शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। मशरूम का सेवन डायबिटीज को कंट्रोल करने मदद करता है। यह इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही शरीर में खून की कमी की समस्या को भी दूर करता है। इसका सेवन दिल और हडि्डयों के लिए काफी फायदेमंद है। 

बटन मशरूम की किस्में

बटन मशरूम की दो प्रजातियां बेहतर मानी जाती है। इसमें एगेरिकस बाइस्पोरस के तहत इसकी एम.एस.-39, एन.सी.एस.-6 और एन.सी.एस.-11 प्रभेद किस्म अच्छी मानी जाती है। वहीं एगेरिकस बाइटोरकस प्रजाति के प्रभेद एन.सी.बी.-1, एन.सी.बी.-6 और एन.सी.बी.-13 बेहतर उत्पादन देती है।  

बटन मशरूम के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु

बटन मशरूम के लिए ठंडी जलवायु अच्छी रहती है इसलिए इसकी खेती सर्दियों के मौसम में करना बेहतर होता है। इसकी खेती के लिए 22 से लेकर 25 सेंटीग्रेट तापमान अच्छा रहता है। हांलाकि कोल्ड स्टोरेज सुविधा हो तो इसकी खेती साल के 12 महीने की जा सकती है।

बटन मशरूम का कम्पोस्ट तैयार करने में किन चीजों का करें उपयोग

बटन मशरूम को उगाने के लिए कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है। इसके लिए भूसा, गेहूं की चापड़, यूरिया और जिप्सम को एक साथ मिलाकर व सड़ाकर तैयार किया जाता है। इस मिश्रण को कई तरह की सूक्ष्मजीव रासायनिक क्रिया द्वारा कार्बनिक पदार्थों का विघटन कर कम्पोस्ट में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह पूर्ण रूप से जैविक विधि होती है।

बटन मशरूम का कम्पोस्ट बनाने में काम आने वाली सामग्री की मात्रा

गेहूं का भूसा- बटन मशरूम का कम्पोस्ट तैयार करने के लिए कम से कम 5 क्विंटल सूखा भूसा होना चाहिए। वैसे किसान अपनी आवश्यकतानुसार गेहूं का भूसा कम्पोस्ट तैयार करने में इस्तेमाल कर सकते हैं।

गेहूं की चापड़- बटन मशरूम का कम्पोस्ट बनाने के लिए 100 किलोग्राम सूखे भूसे के लिए 15 किलोग्राम चापड़ का उपयोग किया जाता है।

यूरिया- बटन मशरूम का कम्पोस्ट बनाने में 100 किलोग्राम सूखे भूसे में कम से कम एक किलोग्राम 800 ग्राम यूरिया का उपयोग किया जाता है।

जिप्सम- 100 किलोग्राम सूखे भूसे में 3 किलोग्राम 500 ग्राम जिप्सम की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा तीन बांस की लकड़ी या लोहे के बोर्ड जिसमें दो बोर्ड की ऊंचाई 1.5 मीटर व लंबाई आवश्यकतानुसार और एक बोर्ड की ऊंचाई 1.5 मीटर और चौड़ाई एक मीटर होनी चाहिए।

कैसे तैयार करें बटन मशरूम के लिए कम्पोस्ट

बटन मशरूम का कम्पोस्ट तैयार के लिए दो विधियां इस्तेमाल की जाती है। इसमें पहली दीर्घकालीन विधि है और दूसरी अल्पकालीन विधि है। लेकिन पहली विधि जो दीर्घकालीन है उसका उपयोग सर्वाधिक किया जाता है, इसके पीछे कारण ये हैं कि इस विधि से कम्पोस्ट तैयार करने में लागत कम आती है जबकि अल्पकालीन विधि में लागत ज्यादा आती है। इस कारण अधिकांश किसान इसकी दीर्घकालीन विधि का ही उपयोग करते हैं। हम यहां बटन मशरूम का कम्पोस्ट तैयार करने की पहली विधि- दीर्घकालीन विधि की जानकारी दे रहे हैं ताकि आप कम लागत में बटन मशरूम की खेती करके बेहतर मुनाफा कमा सकें। 

दीर्घकालीन विधि से कम्पोस्ट तैयार करने का तरीका

इस विधि से कम्पोस्ट तैयार करने में करीब 27 दिनों का समय लगता है। इसमें भूसे एवं अन्य मिलाये जाने वाले मिश्रण को कम से कम 7 से लेकर 8 बार उलट-पलट करके कम्पोस्ट तैयार किया जाता है। इस दौरान जो क्रियाएं की जाती हैं, वे इस प्रकार से हैं-

सबसे पहले पूरे भूसे को गीला किया जाता है। भूसे को इस अवस्था में दो दिन रखा जाता है। इसे पूर्व गीली अवस्था या प्रीवेटिंग फेज भी कहते हैं। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि भूसा पूरी तरह से गीला हो जाना चाहिए, लेकिन पानी रिस के बाहर नहीं निकलना चाहिए। इसी अवस्था में यूरिया और गेहूं चापड़ की पूरी मात्रा इसमें मिला देनी चाहिए। इसके बाद इसकी पलटाई की जाती है जो इस प्रकार से हैं

पहली पलटाई

इसकी पहली पलटाई छठे दिन की जाती है। इसके लिए भूसा या पुआल बनाते समय एक ओर बोर्ड नहीं लगाए जाते हैं और शेष तीनों तरफ बोर्डों को लगाकर दुबारा से एक बॉक्स की सी आकृति बना ली जाती है। अब पूर्व में बनाए गए भूसे को तोड़कर इस बॉक्स में भरा जाता है। भूसे को भरते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पुआल का ऊपर का भूसा नीचे, नीचे का ऊपर, बगलों वाला बीच में एवं बीच वाला बाहर की ओर डाला जाना चाहिए। इस प्रकार सारे भूसे का विघटन एक समान रूप से करना चाहिए। पुआल बनाते समय बीच-बीच में भूसे में समान मात्रा में पानी डालते रहना चाहिए। पुआल के पूरा तरह बन जाने के बाद बोर्ड को हटा देना चाहिए। इस दौरान पुआल को फर्श पर नमक का हल्का छिड़काव करना चाहिए ताकि पुआल एवं उसके आसपास फर्श पर मक्खियां बैठकर अंडे नहीं दे पाएं। इस प्रकार भूसे को मक्खियों से होने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पुआल बनाते समय भूसे पर आवश्यकतानुसार नियमित पानी का छिड़काव करना चाहिए तथा पुआल बनने के बाद बोर्डों के हटने पर हल्का सा नमक का छिड़काव किया जाना जरूरी है। ये दोनों क्रियाएं प्रत्येक पलटाई पर आवश्यक रूप से करनी चाहिए। 

दूसरी पलटाई

इसकी दूसरी पटवाई नौ वें दिन करनी चाहिए। इसमें सारी क्रियाएं प्रथम पटलाई जैसी ही हैं।

तीसरी पलटाई

इसकी तीसरी पलटाई 12 वें दिन की जाती है। इस पलटाई पर पुआल यानि भूसे में जिप्सम की निर्धारित मात्रा 100 किलोग्राम सूखे भूसे में 3.5 किलोग्राम के हिसाब से मिला देनी चाहिए। जिप्सम का प्रयोग करने से कम्पोस्ट का पीएच मान सही रहता है और कम्पोस्ट में चिपचिपाहट भी कम रहती है। अन्य सभी क्रियाएं प्रथम पलटाई जैसी ही होती हैं।

इसकी चौथी पलटाई 15वें दिन की जाती है।

इसकी पांचवी पलटाई 18 वें दिन की जाती है।

इसकी छठी पलटाई 21 वें दिन की जाती है। इस समय मिश्रण में से अमोनिया की गंध पूरी तरह से समाप्त हो जानी चाहिए।

इसकी सातवीं पलटाई 24वें दिन की जाती है।

इसकी आठवीं पलटाई 27वें दिन की जाती है। यदि और पलटाई की जरूरत नहीं हो तो इस तैयार कम्पोस्ट में मशरूम की बिजाई की जा सकती है।

कैसे करें बटन मशरूम की बिजाई

जब कम्पोस्ट अच्छी तरह से तैयार हो जाए तब उसमें बीज मिलाया जाता है। बीज की मात्रा एक प्रतिशत की दर से होनी चाहिए यानि 100 किलोग्राम कम्पोस्ट में एक किलोग्राम बीज मिलाना चाहिए। इसे आप मिलवां विधि या परतदार विधि जो भी आपको अच्छी लगे उस विधि से मिला सकते हैं। अब कम्पोस्ट एवं बीज मिले इस मिश्रण को क्यारी के रूप में 45 X 60 सेमी. के आकार वाली पॉलीथीन में भर दें। इन बिजाई की गई थैलियों को रेक्स पर कमरा या झोपड़ी ( इनमें से जो भी आपने मशरूम के उत्पादन के लिए जगह चुनी है) में बीज बढ़वार के लिए रख दें। इस समय कमरे का तापमान करीब 25 डिग्री सेल्सियस से कम और पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए। 15-20 दिन के बाद थैलियों अथवा क्यारियों के अंदर बीज की बढ़वार पूरी हो जाती है।

बटन मशरूम की केसिंग करना

बीज की बढ़वार के बाद इसकी केसिंग की जरूरत पड़ती है। इसके लिए दो साल पुरानी गोबर की खाद को काम में लिया जाता है। इस गोबर की खाद को 2 प्रतिशत फार्मलिन घोल से उपचारित किया जाता है। इसके बाद बैग का खोलकर इसके मुंह को नीचे की ओर समेटकर कम्पोस्ट की सतह को समतल करके स्प्रे से पानी देकर 1.5 इंच की मोटी केसिंग परत बिछाई जाती है। इसके बाद फुट स्प्रेयर से इस परत पर इतना का छिड़काव किया जाता है कि सारी परत अच्छी तरह से गीली हो जाए। इसी दिन से इन बैगों की सिंचाई नियमित रूप से करनी चाहिए।

कैसे करें बटन मशरूम की सिंचाई

केसिंग परत बिछाने के बाद इसकी नियमित रूप से सिंचाई की जानी चाहिए। प्रतिदिन कम से कम तीन बार इसकी सिंचाई करनी चाहिए। इसके लिए फुट स्प्रेयर पंप का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि इसकी एक समान रूप से सिंचाई की जा सके। 

बटन मशरूम की तुड़ाई

केंसिंग परत बिछाने के बाद करीब 10 से लेकर 12 दिन बाद बटन मशरूम के पिन हेड निकलना शुरू होते हैं। ये पिन हेड 6 से लेकर सात दिनों में बड़े हो जाते हैं। जिसे हाथ से तोड़ लेना चाहिए। जब मशरूम का शीर्ष यानि ऊपरी भाग 2 से 4 सेमी का हो जाए तब उसे खुलने से पूर्व तोड़ लेना चाहिए। इस तरह बटन मशरूम प्रथम तुड़ाई के बाद लगातार दो माह तक इसकी उपज प्राप्त की जा सकती है।

क्या है बाजार में बटन मशरूम का भाव/कीमत

बटन मशरूम की पोष्टिकता के कारण इसका का बाजार में भाव काफी अच्छा मिलता है। बाजार में इसकी पैकिंग करके बेचा जाता है ताकि ये ताजा रहें। इसका बाजार भाव करीब 100 रुपए किलोग्राम तक मिल जाता है। 

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों महिंद्रा ट्रैक्टर, फार्मट्रैक ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

हमसे शीघ्र जुड़ें

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back