जैविक खेती की ओर बढ़ते कदम : गोबर से खाद बनाने की मशीन से अच्छी कमाई

Share Product Published - 26 Oct 2020 by Tractor Junction

जैविक खेती की ओर बढ़ते कदम : गोबर से खाद बनाने की मशीन से अच्छी कमाई

जानें, कैसे बनता है इस मशीन से गोबर खाद, क्या है इसकी उपयोगिता

सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास कर रही है। इसका प्रमुख कारण है कि लगातार यूरिया सहित अन्य कीटनाशकों के प्रयोग से भूमि की उर्वरक क्षमता कम होती जा रही है और खेत बंजर होते जा रहे हैं जिससे खेती योज्य भूमि का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है। इस समस्या को लेकर सरकार ये प्रयास कर रही है कि किसानों की रूचि जैविक खेती की ओर बढ़े जिससे प्राकृतिक तरीके से खेती कर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बढ़ाया जा सके। जैविक खेती के लिए सरकार से भी मदद मिलती है। 

हाल ही बिजनौर के एक किसान ने अपने स्तर पर जैविक खेती की शुरुआत भी कर दी है। इस किसान ने ऐसी मशीन लगाई है जो कुछ ही समय में गोबर को खाद में बदल देती है। मीडिया में प्रकाशित जानकारी के अनुसार बिजनौर के सिकंदरी गांव के रहने वाले किसान राजीव सिंह ने गोबर से खाद बनाने वाली मशीन लगाई है। इससे किसान गोबर के खाद की जरूरत को तुरंत पूरा कर सकते हैं। किसान राजीव सिंह के अनुसार उन्हें मशीन लगवाने में आत्मा परियोजना प्रभारी योगेंद्रपाल सिंह योगी ने जागरूक किया है।

 

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जैविक खेती : गोबर खाद मशीन

इस मशीन की सहायता से कम समय में गोबर को खाद में तब्दील किया जा सकता है। इसमें खर्चा भी कम आता है और किसानों को जब जरूरत हो वह गोबर यहां लाएं और खाद बनवाकर उसे ले जाए। इससे किसान को एक ओर अतिरिक्त आमदनी भी हो जाती है और दूसरी ओर गांव के किसानों को ताजा खाद उपलब्ध हो रहा है। इससे गांव के किसानों को फायदा मिल रहा है और जैविक खेती को बढ़ावा भी। इस संबंध में आत्मा परियोजना प्रभारी योगेंद्रपाल सिंह योगी का कहना है कि राजीव सिंह की मशीन से जैविक खेती से किसानों को जुडऩे का मौका मिलेगा। किसानों की खेत की सभी पोषक तत्वों की जरूरत को मशीन से पूरा किया जा सकता है। इससे खेती की लागत घटेगी और किसान की आय भी बढ़ेगी।

 


क्या है गोबर खाद की उपयोगिता

गाय के गोबर में 86 प्रतिशत तक द्रव पाया जाता है। गोबर में खनिजों की भी मात्रा कम नहीं होती। इसमें फास्फोरस, नाइट्रोजन, चूना, पोटाश, मैंगनीज़, लोहा, सिलिकन, ऐल्यूमिनियम, गंधक आदि कुछ अधिक मात्रा में विद्यमान रहते हैं तथा आयोडीन, कोबल्ट, मोलिबडिनम आदि भी थोड़ी थोड़ी मात्रा में रहते हैं। अस्तु, गोबर खाद के रूप में, अधिकांश खनिजों के कारण, मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। पौधों की मुख्य आवश्यकता नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटासियम की होती है। 

वे वस्तुएं गोबर में क्रमश: 0.3- 0.4, 0.1- 0.15 तथा 0.15- 0.2 प्रतिशत तक विद्यमान रहती हैं। मिट्टी के संपर्क में आने से गोबर के विभिन्न तत्व मिट्टी के कणों को आपस में बांधते हैं, किंतु अगर ये कण एक दूसरे के अत्यधिक समीप या जुड़े होते हैं तो वे तत्व उन्हें दूर दूर कर देते हैं, जिससे मिट्टी में हवा का प्रवेश होता है और पौधों की जड़ें सरलता से उसमें सांस ले पाती हैं। गोबर का समुचित लाभ खाद के रूप में ही प्रयोग करके पाया जा सकता है। इस प्रकार दुधारू पशुओं से प्राप्त गोबर उसे पैदावार तो अच्छी होती है साथ ही स्वस्थ उत्पादन प्राप्त होता है। अब तो मशीन से गोबर खाद बनाई जाने लगी है। ऐसी ही मशीन बिजनौर के किसान ने लगाई है जो कुछ ही घंटों में गोबर को खाद बना देती है। इससे किसानों किसानों को जैविक खेती के लिए खेतों में डालने के लिए तुरंत ही ताजा खाद मिल जाएगा।


कैसे तैयार की जाती है इस मशीन से गोबर खाद

गांव सिकंदरी के किसान राजीव सिंह के अनुसार गोबर को गड्ढ़े में डालकर उसमें जीवाणु वाला पानी मिलाया जाता है। फास्फोरस, नाइट्रोजन आदि किसी भी तत्व की पूर्ति के लिए ये जीवाणु मिलाए जाते हैं। अगर खेत में दीमक की समस्या है तो उसे दूर करने के लिए मैटाराइजम मिलाया जाता है। इससे तैयार घोल को मशीन के अंदर ले जाया जाता है। अगर मशीन में दस क्विंटल गोबर डाला जाए तो इससे तीन क्विंटल खाद मिल जाता है। बाकी 70 प्रतिशत जीवामृत/पानी मिलेगा। यह पानी भी पोषक तत्वों से युक्त होता है। इसे भी खेत में डाला जा सकता है।


एक बीघा में कितना लगता है गोबर खाद

गोबर के खाद से मुख्य रूप से कार्बन मिलता है। बिना कार्बन के कोई भी खाद असर नहीं करता है। सामान्य तीन से चार महीने पुरानी कूड़ी में कार्बन कम होता है। ऐसा खाद प्रति बीघा जमीन में 50 से 60 क्विंटल डालना होता है। केंचुए से बनने वाला खाद एक बीघा जमीन में केवल छह क्विंटल ही डालना होता है। जबकि मशीन से तैयार खाद केवल 40 किलो प्रति बीघा ही डालना होता है।


मशीन से बनी गोबर खाद दिलाएंगी दीमक की समस्या से मुक्ति

जमीन की उपजाऊ क्षमता बनाएं रखने के लिए किसान खेतों में गोबर की खाद डालते हैं। लेकिन गोबर की खाद भी हर समय किसान के पास उपलब्ध नहीं होती है। गोबर से खाद बनने में तीन से छह महीने का समय लगता है। अगर खाद तैयार न हो तो किसान कच्चा गोबर ही खेत में डाल देते हैं। इससे खाद का पूरा लाभ खेत को नहीं मिलता है। साथ ही कच्चा खाद दीमक की खुराक भी होता है। कच्ची खाद खेत में डालने से खेत में दीमक डेरा डाल देती हैं और फिर फसलों को भी नुकसान पहुंचाती हैं। लेकिन इस मशीन द्वारा तैयार खाद दीमक की समस्या को खतम करने में सहायक है क्योंकि गोबर से खाद बनाते समय इसमें मैटाराइजम मिलाया जाता है जो दीमक के खात्में के लिए काफी असरकारक माना गया है।

 

 

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