मार्च के महीने में किसान करें, इन फसलों की खेती, हो जाएंगे मालामाल

Share Product प्रकाशित - 21 Feb 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

मार्च के महीने में किसान करें, इन फसलों की खेती, हो जाएंगे मालामाल

जानें, मार्च के महीने में बोई जानें वाली फसलें और उनके लाभ

मार्च का महीना कई फसलों की बुवाई के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस समय का मौसम जायद की फसल बुवाई के लिए अनुकूल माना जाता है। लेकिन इन दिनों पड़ रही तेज गर्मी ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। किसान तेज गर्मी से गेहूं की फसल में नुकसान होने की संभावना को लेकर चिंतित हैं। हालांकि सरकार ने इसके लिए निगरानी कमेटी का गठन कर दिया है ताकि मौसम से गेहूं की फसल पर पड़ने वाले प्रभावों पर नजर रखी जा सके, क्योंकि इस बार पिछले साल की तुलना में अधिक रकबे में किसानों ने गेहूं की बुवाई की है जिससे बंपर उत्पादन की उम्मीद है। इस बीच यदि किसान मार्च माह में बोई जाने वाली खेती करें तो अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। मार्च माह में किन फसलों के लिए मौसम अनुकूल रहता है और इस माह कौनसी फसलों की बुवाई करें? इस बात की जानकारी किसान भाइयों को होना जरूरी है ताकि उन्हें बेहतर लाभ मिल सके। 

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आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में किसान भाइयों को मार्च माह में बोई जाने वाली फसलों की जानकारी दे रहे हैं जिससे किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं, तो आइये जानते हैं मार्च माह में बोई जाने वाली फसलों और उनकी किस्मों के बारें में।

1. ग्वार फली की खेती (Cultivation of Guar Pod)

किसान मार्च के महीने में ग्वार फली की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी जायद की फसल के लिए किसान मार्च में इसकी बुवाई कर सकते हैं। ग्वार की खेती हरी सब्जी, दानों और चारे के लिए की जाती है। किसान भाई इसकी बुवाई साल में दो बार कर सकते हैं जिसमें जायद की फसल के लिए फरवरी से मार्च तक और वर्षा ऋतु की फसल के लिए इसकी बुवाई जून-जुलाई के महीने में की जा सकती है। जिन राज्यों में शुष्क जलवायु है वहां इसकी पैदावार के लिए खेत का चयन और इसकी तैयारी पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है। इसकी कई किस्में है जो अच्छा उत्पादन देती हैं। ग्वार का बाजार भाव भी अच्छा मिल जाता है। ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए लाभ का सौंदा साबित हो सकती है। ग्वार के बेहतर उत्पादन के लिए किसान इसकी उन्नत किस्मों का चयन करें। ग्वार की हरी फलियों के लिए शरद बहार, पूसा सदाबहार, पूसा नवबहार, पूसा मौसमी, गोमा मंजरी, आईसी-1388, एम-83 और पी-28-1-1 आदि किस्मों काफी अच्छी मानी गई हैं। यदि आप दानों के लिए इसकी खेती कर रहे हैं तो इसके लिए दुर्गापुर सफेद, मरू ग्वार, दुर्गाजय, एफएस-277, अगेती ग्वार-111 आदि किस्में अच्छी रहेगी। इसके अलावा आप हरे चारे के लिए इसकी बुवाई करना चाहते हैं तो आप इसकी ग्वार क्रांति, बुंदेल ग्वार-1, बुंदेल ग्वार-2, बुंदेल ग्वार-3 जैसी किस्मों की बुवाई कर सकते हैं।  

2. लोबिया की खेती (Cultivation of Cowpea)

लोबिया की खेती भी किसान मार्च के महीने में कर सकते हैं। लोबिया का भी बाजार भाव काफी अच्छा मिलता है। लोबिया को बोड़ा, चौला या चौरा की फलियों आदि नामों से जाना जाता है। इसकी खेती हरी फली, सूखे बीज और हरी खाद और चारे के लिए की जाती है। इस तरह की खेती करते समय किसान को इसकी किस्मों का चयन उसी हिसाब से करना चाहिए जिस उद्‌देश्य से किसान इसकी खेती करना चाहते हैं। यदि आप दोने के लिए लोबिया की खेती करना चाहते हैं तो आप इसकी दाने वाली किस्में जैसे- सी-152, पूसा फाल्गुनी, अम्बा (वी-16), स्वर्णा (वी-38), जीसी-3, पूसा सम्पदा (वी-585) का चयन कर सकते हैं। वहीं चारे के लिए इसकी खेती करना चाहते हैं तो आप इसकी चारें वाली किस्में जैसे- जीएफसी-1, जीएफसी-2 और जीएफसी-3 आदि उन्नत किस्मों का चुनाव कर सकते हैं। यदि आप इसकी हरी फलियों के लिए इसकी खेती करना चाहते हैं तो इसकी पूसा कोमल, अर्का गरिमा, पूसा फाल्गुनी, पूसा बरसाती, पूसा दो फसली किस्में काफी अच्छी मानी गईं हैं।

3. खीरा की खेती (Cultivation of Cucumber)

खीरा की खेती करके भी किसान अच्छा पैसा कमा सकते हैं। खीरा का प्रयोग अधिकतर सलाद के रूप में किया जाता है। इसे कच्चा खाने के साथ ही इसकी सब्जी भी बनाई जाती है। इसकी बाजार में काफी मांग रहती है। इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं। ऐसे में इसकी खेती करके बेहतर कमाई की जा सकती है। खीरे की उन्नत किस्मों में स्वर्ण अगती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण शीतल आदि हैं। इसकी विदेशी किस्में भी है जिसमें जापानी लौंग ग्रीन, चयन स्ट्रेट-8 और पोइनसेट आदि भी अच्छी मानी जाती हैं।

4. ककड़ी की खेती 

ककड़ी का सेवन गर्मी में पानी की कमी को पूरा करने में सहायक होता है। इसकाे खाने से शरीर में शीतलता रहती है। ककड़ी का सेवन कच्चे सलाद के रूप में या सब्जी बनाकर दोनों रूपों में किया जाता है। लेकिन इसका प्रयोग सलाद के रूप में करना ज्यादा लाभकारी रहता है। ककड़ी की उन्नत किस्मों में प्रिया, हाइब्रिड-1 और हाइब्रिड-2, जैनपुरी ककड़ी, पंजाब स्पेशल, दुर्गापुरी ककड़ी, लखनऊ अर्ली और अर्का शीतल इसकी अच्छी किस्में हैं। किसान भाई इन किस्मों की बुवाई करके इससे अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।  

5. करेला की खेती (Bitter Gourd Cultivation)

मार्च माह में करेले की खेती करके भी किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। डायबिटीज और शुगर के मरीजों के लिए तो करेला औषधी का काम करता है। वहीं करेला शरीर के खून को साफ करने में भी मदद करता है। करेले के गुणों के कारण ही इसकी बाजार मांग भी अच्छी बनी रहती है और इसके भाव भी काफी अच्छे मिलते हैं। ऐसे में किसान इसकी खेती से काफी अच्छा लाभ ले सकते हैं। इसकी उन्नत किस्मों में कल्याणपुर बारहमासी, पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, अर्का हरित, प्रिया को-1, एसडीयू-1, कल्याणपुर सोना, पूसा शंकर-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1 आदि अच्छी पैदावार देने वाली किस्में हैं।  

6. लौकी की खेती (Gourd Farming)

लौकी का सेवन सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। जिन लोगों को अपच या कब्ज की समस्या रहती है उन्हें लौकी का सेवन करना चाहिए। लौकी शीघ्र पचने वाली सब्जी है। डॉक्टर भी मरीजों को हल्का खाना खाने की सलाह में लौकी की सब्जी या मूंग की दाल के सेवन की सलाह देते हैं। लौकी की कई प्रकार से सब्जी व खाने की चीजें बनाई जाती हैं। कई किसान लौकी की खेती करके अच्छा पैसा कमा रहे हैं। लौकी की खेती के लिए आप इसकी उन्नत किस्में जैसे- अर्का नूतन, अर्का श्रेयस, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश, अर्का गंगा, अर्का बहार, पूसा नवीन, पूसा हाइब्रिड 3, काशी बहार, काशी कीर्ति, काशी गंगा आदि प्रमुख किस्में हैं। इसके अलावा इसकी हाइब्रिड किस्मों में पूसा हाइब्रिड 3, अर्का गंगा आदि किस्में अच्छी मानी जाती हैं। लौकी की ये किस्में 50 से 55 दिनों में तैयार हो जाती हैं तथा इन किस्मों की औसत उपज 32 से 58 टन प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।

7. तुरई (तोरई) की खेती (Cultivation of Zucchini)

तुरई या तोरई की खेती भी किसानों के लिए लाभकारी होती है। सब्जी की ये फसल बहुत कम समय में तैयार हो जाती है। इसकी बाजार मांग भी अच्छी रहती है। इसकी बेहतर उत्पादन देने वाली किस्मों की बुवाई करके किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इसकी बेहतरीन किस्मों में पूसा चिकनी, पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, काशी दिव्या, कल्याणपुर चिकनी आदि उन्नत किस्में हैं। वहीं इसकी घिया तोरई, पूसा नसदान, सरपुतिया, कोयम्बूर 2 आदि किस्में अधिक प्रचलन में हैं। इन किस्मों से 70 से 80 दिन में फसल तैयार हो जाती है। यदि पैदावार की बात करें तो इन किस्मों से करीब 100 से लेकर 150 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

8. पालक की खेती (Spinach Farming)

पालक को खेती किसी भी तरह से किसानों के लिए नुकसान का सौंदा नहीं है। सर्दी हो या गर्मी इसकी मांग बाजार में बनी रहती है। आजकल तो शादी पार्टियों में पालक के पत्तों को सलाद में सजावट के तौर पर भी इस्तेमाल होने लगा है। वैसे तो पालक की कई प्रजातियां आती है। लेकिन इसमें से जोबनेर ग्रीन, पूसा पालक, पूसा ज्योति, पूसा हरित, लांग स्टैंडिग, पंत कंपोजिटी 1, हिसार सलेक्टशन 26 आदि उन्नत किस्में हैं। इन किस्म के पौधे लंबे होते हैं और इसके पत्ते कोमल और खाने में स्वादिष्ट होते हैं। और खास बात ये हैं कि पालक की फसल कम समय में तैयार हो जाती है और इसे अन्य सब्जी फसलों के साथ भी उगाया जा सकता है।  

9. भिंडी की खेती (Okra Farming)

गर्मियों के लिए भिंडी की खेती करके भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। भिंडी की मांग भी बाजार में अच्छी खासी है। ऐसे में भिंडी की खेती भी किसानों के लिए लाभ का सौंदा है। आजकल तो भिंडी की लाल प्रजाति की खेती भी होने लगी है। किसान भिंडी की अर्का अभय, हिसार उन्नत, परभानी क्रांति, पंजाब-7, अर्का अनामिका, वी.आर.ओ.-6, पूसा ए-4 आदि किस्मों की बुवाई करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भिंडी की फसल करीब 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इससे औसतन करीब 40 से 48 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

10. पेठा की खेती (Petha Cultivation)

पेठा की खेती व्यवसायिक रूप से की जाती है। बाजार में पेठे की मांग मिठाई के रूप में 12 महीने बनी रहती है। ऐसे में पेठे की खेती किसानों के लिए काफी इनकम देने वाली है। इसकी खेती करके इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। पेठा खाने में शीतल होता है और इस कारण इसे लोग खाना पसंद करते हैं। इसकी खेती के लिए कई उन्नत किस्में हैं जिनमें पूसा हाइब्रिड1, पूसा विकास, पूसा विश्वास, कासी हरित कद्‌दू, हरका चंदन, अरका सूर्यमुखी, कल्यानपुर पंपकिंग 1, यलो स्टेटनेप, नरेंद्र अमृत, सीएस 14, सीओ 1 व 2, गोल्डेन कस्टर्ड आदि इसकी बेहतरीन प्रजातियां हैं।

11. अरबी की खेती (Cultivation of Arabic)

अरबी की खेती भी इस माह की जा सकती है। अरबी की उन्नत किस्मों में पंचमुखी, सफेद गौरिया, सहस्त्रमुखी, सी-9, सलेक्शन आदि बेहतरीन किस्में हैं। इसके अलावा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इंदिरा अरबी-1 किस्म भी जो छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अनुमोदित की गई है वे भी अच्छी है। इसके अलावा इसकी नरेंद्र अरबी-1 भी अच्छे उत्पादन देने वाली किस्म है।

12. तरबूज की खेती (Farming of Watermelon)

फलों की खेती में तरबूज की खेती भी किसान इस माह कर सकते हैं। गर्मियों के मौसम में तो इस फल की बाजार मांग बहुत ज्यादा रहती है। इसके बाजार भाव भी अच्छे मिलते हैं। ये फल खाने में स्वादिष्ट और शीतल प्रकृति का होता है। गर्मियों में इसे खाने से पानी की पूर्ति होती है। इसकी कई उन्नत प्रजातियां हैं जिनकी खेती करके किसान इससे अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इसकी उन्नत किस्मों में शुगर बेबी, अर्का ज्योति, आशायी यामातो, डब्ल्यू.19, पूसा बेदाना, अर्का मानिक आदि शामिल हैं। इसके अलावा इसकी मधु, मिलन और मोहनी जैसी हाइब्रिड किस्में भी आती है जो बेहतर उत्पादन देती हैं।

13. खरबूजे की खेती (Cultivation of Melon)

खरबूजे की खेती भी किसानों के लिए बेहतर मुनाफा देने वाली फसल है। इस फल की मांग भी गर्मियों में काफी रहती है। गर्मियों के मौसम में इस फल का धार्मिक महत्व भी होता है। इस फल को दान स्वरूप मंदिरों में चढ़ाया जाता है। स्वाद में मीठा होने के कारण इसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। ये प्रकृति में शीतल होता है इसलिए इसे लोग गर्मियो के मौसम में अधिक खाते हैं। इसके बीज से निकाली गई गिरी की बाजार में काफी मांग रहती है। मिठाइयों को सजाने और ठंडाई बनाने में इसकी गिरी का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है। खरबजे की उन्नत किस्मों में पूसा शरबती (एस-445), पूसा मधुरस, हरा मधु, आई.वी.एम.एम. 3, पंजाब सुनहरी, दुर्गापुरा मधु, एम-4, स्वर्ण, एमएच10, हिसार मधुर सोना, नरेंद्र खरबूजा 1, पूसा मधुरस, पूसा रसराज आदि कई बेहतरीन किस्में हैं जो इसका अच्छा उत्पादन देती हैं।

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