Published - 04 Dec 2021 by Tractor Junction
रबी फसलों की बुवाई का समय चल रहा है। इस समय कई राज्यों गेहूं की बुवाई की जा रही है। ऐसे में गेहूं की बेहतर पैदावार और उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से कई राज्यों में किसानों को गेहूं की उन्नत किस्मों की बुवाई के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए किसानों को गेहूं की उन्नत किस्मों के बीज की खरीद पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है। सरकार का मनाना है कि इससे क्षेत्र में उत्पादन में बढ़ोतरी होगी जिससे किसानों को अधिक लाभ होगा।
इसी क्रम में मध्यप्रदेश के कृषि विभाग की ओर से राज्य में किसानों को गेहूं की पूसा तेजस (8656) किस्म की बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इंदौर में इस किस्म की खेती से किसानों को अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ है। रतलाम जिले के लिए ये किस्म बेहतर मानी गई है, क्योंकि यहां इस की बुवाई के लिए परिस्थितियां अनुकूल है। यदि इस किस्म का बेहतर परिणाम मिला तो अगले साल इसका रकबा बढ़ा दिया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कृषि विभाग का दावा है कि इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल तक उत्पादन बढ़ सकता है। इसके साथ ही भाव भी अच्छा मिलेगा। बता दें कि गेहूं की यह किस्म खाने के साथ सर्वाधिक दलिया, पास्ता और ब्रेड बनाने में उपयोग की जाती है। बता दें कि मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के हर विकास खंड में पहली बार 25-25 हेक्टेयर में पूसा तेजस की खेती की गई है। लगभग 125 किसानों ने एक हेक्टेयर या इससे अधिक रकबे में किस्म की बुवाई की है। इसके लिए ब्लाकवार छह कलस्टर बनाए गए हैं। किसानों को एक कलस्टर में 25 हेक्टेयर का रकबा शामिल कर प्रेरित किया जा रहा है। पूजा तेजस की उपज क्षमता 80 से 85 क्विंटल प्रति हैैक्टेयर बताई जा रही है।
कृषि विभाग की ओर से यहां के किसानों को ग्राम बीज योजना, सामान्य बीज वितरण अनुदान पर या राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में फसल पद्धति के माध्यम से सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा किसानों को बुवाई के पहले प्रशिक्षण भी दिया गया। बता दें कि कृषि अनुसंधान केंद्र से प्रमाणित बीज किसानों को उपलब्ध कराया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश में किसानों को बीज खरीदने के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है।
हरियाणा सरकार ने गेहूं की एचडी-2967 किस्म के प्रमाणित बीज पर सब्सिडी की समय सीमा को रबी मार्केटिंग सीजन 2021-22 तक बढ़ाने का फैसला लिया है। बता दें कि हरियाणा सरकार द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत सरकारी एजेंसियों द्वारा बेचे जाने वाले गेहूं के प्रमाणित बीजों पर किसानों को हर साल सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी गेहूं की उन्हीं किस्मों पर दी जाती हैं जिन्हें विकसित हुए 10 वर्ष से कम हुए हों।
गेहूं की एचडी-2967 किस्म को अक्टूबर, 2011 में नोटिफाई किया गया था। इसकी सब्सिडी की समय सीमा अक्टूबर, 2021 में खत्म हो जाएगी। सरकार द्वारा इस किस्म की अच्छी पैदावार के मद्देनजर इसके प्रमाणित बीज पर सब्सिडी के समय को रबी सीजन 2021-22 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। बता दें, कि गेहूं पर 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी प्रदान की जाती है।
इस किस्म पत्ती झुलसा रोग के प्रति भी अच्छी प्रतिरोधी है। इसकी पकने की अवधि उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में 143 दिन हैं। इस किस्म की बुवाई से औसत उपज 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उपज क्षमता 66.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इसके अलावा गेहूं की एचडी 2967 किस्म का तूड़ा अच्छा बनता है। इस किस्म की बढ़वार अधिक होती है, जिससे एक एकड़ फसल में अन्य किस्मों से अधिक तूड़ा निकलता है। बता दें कि तूड़े को सूखे चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। किसान तूड़े को बेच भी सकते हैं। यह काफी महंगा बिकता है।
गेहूं की किस्म एचडी- 2967 बीज की कीमत प्रति बैग 940 रुपए है। इसमें एक बैग में 40 किलो बीज होता है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा गेहूं की यह किस्म को पीला रतुआ रोग के प्रति अति संवेदनशील बताया गया है। इस रोग के मुख्यत: लक्षण पत्तों की सतह पर पीले रंग की धारियां दिखाई देना, पाउडरनुमा पीला पदार्थ पत्तो पर होना, शुरू में इस रोग से ग्रस्त खेत में कहीं-कहीं गोलाकार दायरों का दिखना तथा तापमान बढऩे पर पीली धारियों के नीचे की सतह पर काले रंग में बदलाव आना शामिल है।
उपरोक्त किस्मों के अलावा गेहूं की कई अन्य किस्में है जो जल्दी तैयार होती है और बेहतर उत्पादन भी देती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि गेहूं की किस्म का चयन अपने क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति और कृषि विभाग की सलाह लेकर ही करें। गेहूूं की अन्य अधिक उत्पादन देने वाली किस्में इस प्रकार से हैं।
गेहूं की एचआई-8663 किस्म उच्च गुणवत्ता, ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्म है। यह गर्मी को सह सकता है। 120-130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। उपज 50-55 क्विंटल होती है।
गेहूं पूसा तेजस किस्म को मध्य भारत के लिए चिह्नित किया है। यह प्रजाति तीन-चार सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है। उत्पादन 55-75 क्विंटल प्रति हेकटेयर होता है।
भारतीय अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के इंदौर स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने गेहूं की दो नई प्रजाति विकसित की है। आईएआरआई के क्षेत्रीय केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक कृषि विस्तार डॉ.अनिल कुमार सिंह का कहना है नई गेहूं प्रजाति पूसा उजाला की पहचान ऐसे प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिए की गई है जहां सिंचाई की सीमित सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। इस प्रजाति से एक-दो सिंचाई में 30 से 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होती है। इसमें प्रोटीन, आयरन और जिंक की अच्छी मात्रा होती है।
इस किस्म को न्यूट्रीफार्म योजना के तहत विकसित किया है। इसमें प्रचुर मात्रा में जिंक होता है। इस किस्म से दो-तीन सिंचाई में ही 110 दिन मेें फसल तैयार हो जाती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 50-60 क्विंटल है।
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