लोबिया की खेती कैसे करें : जानें, उन्नत किस्में और खेती का सही तरीका

Share Product प्रकाशित - 01 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

लोबिया की खेती कैसे करें : जानें, उन्नत किस्में और खेती का सही तरीका

हरी खाद बनाने में भी किया जाता है लोबिया का उपयोग

लोबिया दलहन फसल की श्रेणी में आती है। इसे खरीफ और जायद दोनों सीजन में उगाया जा सकता है। इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी हो सकती है। इसकी खेती से दो तरीके से लाभ होता है। लोबिया की फलियों से सब्जी बनाई जाती है। इसका उपयोग पशुचारा और हरी खाद के लिए किया जाता हैं। इस तरह से देखा जाए तो लोबिया से किसान काफी लाभ कमा सकते हैं। लोबिया एक बहुउपयोगी फसल है। लोबिया को बोड़ा, चौला या चौरा भी कहा जाता है। यह सफेद रंग का और बहुत बड़ा पौधा होता है। इसके पौधे की फलियां पतली, लंबी होती हैं। इसके फल एक हाथ लंबे और तीन अंगुल तक चौड़े और बहुत कोमल होते है। इसकी खेती करके किसान काफी अच्छा मुनाफ कमा सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को लोबिया की खेती की जानकारी दे रहे हैं।

Buy Used Tractor

लोबिया की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु

लोबिया की खेती (Cultivation of cowpea) के लिए गर्म व आर्द्र जलवायु अच्छी रहती है। इसकी खेती के लिए 24-27 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच का तापमान ठीक रहता है। अधिक ठंडे मौसम में इसकी खेती करने से बचना चाहिए क्योंकि अधिक सर्द मौसम में पौधों की बढ़वार रूक जाती है। ये ठीक से विकास नहीं कर पाता है।

लोबिया की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए भूमि (मिट्टी)

लोबिया की खेती (lobiya ki kheti) सभी प्रकार की भूमियों (मिट्टी) में की जा सकती है जिसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो। क्षारीय भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।

लोबिया की बुवाई का क्या है उचित समय

बारिश के मौसम में इसकी बुवाई जून के अंत से लेकर जुलाई माह तक की जा सकती है। इसके अलावा गर्मी के मौसम के लिए इसकी बुवाई फरवरी-मार्च में की जाती है।

कौनसी है लोबिया की उन्नत किस्में

लोबिया की कई उन्नत किस्में हैं जो अच्छा उत्पादन देती हैं। आपको पहले ये तय करना है कि आप लोबिया की खेती किस उद्देश्य से कर रहे हैं, उसी हिसाब से आपको इसकी किस्मों का चयन करना चाहिए। लोबिया की उन्नत किस्में इस प्रकार से हैं।

दाने के लिए लोबिया की उन्नत किस्में- इसकी दाने वाली किस्मों में सी- 152, पूसा फाल्गुनी, अम्बा (वी- 16), स्वर्णा (वी- 38), जी सी- 3, पूसा सम्पदा (वी- 585) और श्रेष्ठा (वी- 37) आदि प्रमुख है।

चारे के लिए लोबिया की उन्नत किस्में - इसकी चारे वाली किस्मों में जी एफ सी- 1, जी एफ सी- 2 और जी एफ सी- 3 आदि अच्छी किस्में हैं।

खरीफ और जायद के लिए उन्नत किस्में - लोबिया की ऐसी उन्नत किस्में भी है जो खरीफ और जायद दोनों मौसम में उगाई जा सकती है। इन किस्मों में बंडल लोबिया- 1, यू पी सी- 287, यू पी सी- 5286 रशियन ग्रेन्ट, के- 395, आई जी एफ आर आई (कोहीनूर), सी- 8, यू पीसी- 5287, यू पी सी- 4200, यू पी सी- 628, यू पी सी- 628, यू पी सी- 621, यू पी सी- 622 और यू पी सी- 625 आदि किस्में आती हैं।

लोबिया की बुवाई के लिए कितनी रखें बीज की मात्रा

लोबिया की बुवाई के लिए सामान्यत: 12-20 कि.ग्रा. बीज/हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है। बेलदार प्रजाति के लिए बीज की कम मात्रा ली जा सकती है। बता दें कि बीज की मात्रा प्रजाति तथा मौसम पर निर्भर करती है। इसलिए मौसम और किस्म के आधार पर बीज की मात्रा का निर्धारण करना चाहिए।

लोबिया के बीजों की बुवाई का क्या है सही तरीका

लोबिया की बुवाई में बीज की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इनके बीच निर्धारित दूरी हो ताकि पौधा ठीक तरीके से विकास कर सके। लोबिया की किस्म के अनुसार इसकी दूरी का निर्धारण किया जा सकता है। यदि आप इसकी झाड़ीदार किस्मों के बीज की बुवाई कर रहे है तो इसके लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60  सेमी. तथा बीज से बीज की दूरी 10 सेमी. रखनी चाहिए। वहीं इसकी बेलदार किस्मों को लगा रहे है तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 80-90 सेमी. रखना उचित रहता है। बुवाई से पहले बीज का राजजोबियम नामक जीवाणु से उपचार कर लेना चाहिए। बुवाई के समय भूमि में नमी का होना जरूरी है, इससे बीजों का जमाव अच्छा होता है। 

लोबिया में कितनी देनी चाहिए उर्वरक और खाद की मात्रा

लोबिया की बुवाई से एक माह पहले खेत में गोबर या कम्पोस्ट की 20-25 टन मात्रा डालनी चाहिए। इसके अलावा नत्रजन की 20 किग्रा, फास्फोरस 60 कि.ग्रा. तथा पोटाश 50 कि.ग्रा. मात्र प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में अंतिम जुलाई के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए। वहीं नत्रजन की 20 कि.ग्रा. की मात्रा फसल में फूल आने के समय देनी चाहिए।

लोबिया की खेती में कैसे करें खरपतवार पर नियंत्रण

लोबिया के पौधे के आसपास अवान्छनीय पौधे उग जाते हैं जिन्हें खरपतवार कहा जाता है। खरपतवार के कारण पौधा अच्छी तरह विकसित नहीं हो पाता है, इससे फसल को हानि होती है और उत्पादन में गिरावट आती है इसलिए इस पर नियंत्रण किया जाना चाहिए। इसके लिए लोबिया के पौधों की दो से तीन निराई व गुड़ाई करनी चाहिए। वहीं यदि रासायनिक तरीका अपनाना चाहते हैं तो स्टाम्प 3 लीटर/हेक्टेयर की दर से बुवाई के बाद दो दिन के अंदर प्रयोग करना चाहिए।

लोबिया में कब-कब करें सिंचाई

खरीफ सीजन में इसकी फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। बस इतनी सिंचाई करनी चाहिए ताकि भूमि में नमी बनी रहे। वहीं सूखा पडऩे पर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। वहीं गर्मी की फसल के लिए सिंचाई जरूरी है। आमतौर गर्मी में इसकी फसल को पर 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। यह सिंचाई 10 से 15 दिनों के अंतराल में करनी चाहिए।

लोबिया की तुड़ाई/कटाई कब करें 

  • यदि लोबिया की खेती हरी फलियों के उपयोग की है तो आप इसकी तुडाई बुवाई के 45 से 90 दिन बाद किस्म के आधार पर कर सकते है।
  • वहीं चारे वाली फसल की कटाई सामान्यत: बुवाई के 40 से 45 दिन बाद की जाती है। 
  • इसके अलावा दाने की फसल के लिए कटाई, बुवाई के 90 से 125 दिन बाद जब फलियां पूर्णरूप से पक जाए तब करनी चाहिए। 
  • बता दें कि लोबिया की नर्म व कच्ची फलियों की तुड़ाई नियमित रुप से 4-5 दिन के अंतराल में की जा सकती है। वहीं झाड़ीदार प्रजातियों में 3-4 तुड़ाई तथा बेलदार प्रजातियों में 8-10 तुड़ाई की जा सकती है।

कितनी मिलेगी उपज/पैदावार

उपरोक्त बताई गई विधि से उगाई फसल से करीब 12 से 17 क्विंटल दाना व 50 से 60 क्विंटल भूसा प्राप्त किया जा सकता है। वहीं चारे वाली फसल से 250 से 400 क्विंटल तक हरा चारा प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है।

क्या है लोबिया का बाजार भाव

मुंबई मंडी में लोबिया का 30 जून 2022 का भाव 7128 रुपए प्रति क्विंटल रहा। वहीं केरल की पलक्कड़ मंडी में लोबिया का भाव 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल रहा।

लोबिया की अधिक पैदावार लेने के लिए किन बातों का रखें ध्यान

  • तीन वर्ष में एक बार ग्रीष्म कालीन में खेत की गहरी जुताई जरूर करनी चाहिए।
  • बुवाई पूर्व बीज उपचार करना आवश्यक होता है।
  • पोषक तत्वों की मात्रा मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही देनी चाहिए।
  • पौध संरक्षण के लिए एकीकृत पौध संरक्षण के उपायों को अपनाना चाहिए।
  • फसल में खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है।

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों जॉन डियर ट्रैक्टरकुबोटा ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

हमसे शीघ्र जुड़ें

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back