औषधीय पौधों की खेती की खबरें

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औषधीय पौधों की खेती के बारे में

भारत में औषधीय पौधों की खेती

औषधीय फसलों के मामले में भारत सबसे धनी देश है। औषधीय पौधों को जड़ी-बूटियों के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में प्राचीनकाल से औषधीयों का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। प्राय: कहा जाता है कि भारतभूमि पर सिर्फ कुछ वनस्पति को छोडक़र सभी में कुछ न कुछ औषधिय गुण है। भारत में औषधीय पौधों की खेती उनके लाभों और महत्व के कारण व्यापक रूप से की जाती है। औषधीय पौधों का महत्व उनमें पाए जाने वाले रसायनों के कारण होता है। औषधीय फसलों का उपयोग मानसिक रोगों, मिर्गी, पागलपन और मानसिक मंदता के उपचार में किया जाता है।

औषधीय पौधों की खेती के लाभ

वर्तमान में लोगों का रुझान पारंपरिक चिकित्सा पद्धति या आयुर्वेद की ओर बढ़ा है। औषधीय पौधों का महत्व लोग समझ रहे हैं। औषधीय फसलें अब ज्यादा लाभ कमाने के लिए की जाती है। औषधीय पौधे की खेती में एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर पारंपरिक कृषि/बागवानी फसलों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक शुद्ध लाभ अर्जित किया जा सकता है। औषधीय फसल की खेती से निर्यात के जरिए विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है।

भारत में औषधीय फसलों की सूची

भारत की प्रमुख औषधीय फसलों में हल्दी, ब्राह्मी, तुलसी, नोनी, अश्वगंधा, चिरायता, अतीस, सर्पगंधा, स्टेविया, शतावर, लेमनग्रास, एलोवेरा, अश्वगंधा, ईसबगोल, कलिहारी, गिलोय, सफेद मूसली आदि शामिल है।                 

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