शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए टॉप 5 किस्में देगी बंपर पैदावार

Share Product प्रकाशित - 14 Oct 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए टॉप 5 किस्में देगी बंपर पैदावार

जानें, कौनसी है ये टॉप 5 किस्में और क्या है इनकी विशेषता और लाभ

शरदकालीन गन्ने की खेती (sugar cane field) का समस आ गया है। इस समय किसान गन्ने उत्तम प्रभेदों की बुवाई करके काफी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि गन्ना की खेती नकदी फसल (cash crop) के रूप में की जाती है। गन्ने से गुड़ व चीनी तैयार की जाती है। चीनी का उत्पादन गन्ने पर ही निर्भर करता है। गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत कृषि क्रियाओं के साथ ही अच्छे प्रभेदों की आवश्यकता होती है। वैसे भी कहा गया है जैसा बीज बोया जाएगा वैसी ही फसल तैयार होगी। इसलिए किसान गन्ने के बेहतर उत्पादन के लिए गन्ने की बेहतर किस्मों का चुनाव करें ताकि उनसे उत्पादित उत्तम क्वालिटी का गन्ना उत्पादित कर, उन्हें बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको गन्ने की अधिक पैदावार देने वाली टॉप 5 शरदकालीन गन्ने की किस्मों की जानकारी दे हैं। तो आइए जानते हैं, इसके बारे में।

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क्या है शरदाकालीन ऋतु में गन्ने की खेती का उचित समय

शरदकालीन गन्ने की खेती का सबसे बेहतरीन समय 15 सितंबर से 30 नवंबर तक का होता है। इस समय गन्ने के प्रभेदों की बुवाई करने पर बेहतर पैदावार मिलती है। वहीं बसंतकाल के दौरान पूर्वी क्षेत्र के लिए मध्य जनवरी से लेकर फरवरी तक इसकी बुवाई की जा सकती है। मध्य क्षेत्र के लिए फरवरी से मार्च और पश्चिमी क्षेत्र के लिए मध्य फरवरी से मध्य अप्रैल का समय अच्छा माना जाता है।

कौनसी है गन्ने की टॉप 5 किस्में

गन्ने की बहुत सी किस्में हैं लेकिन उनमें से हम यहां आपको गन्ने की टॉप 5 ऐसी किस्मों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो अधिक उत्पादन देती है और उनमें कीट, रोगों का प्रकोप होने की संभावना भी कम रहती है। गन्ने की टॉप 5 किस्में इस प्रकार हैं।

गन्ने की सीओ 05011 (करण-9) किस्म

गन्ने की सीओ 05011 (करण-9) किस्म लंबी, मध्यम मोटी, बैंगनी रंग के साथ हरे रंग किस्म है। इसका आकार बेलनाकर होता है। खास बात यह है कि गन्ने की इस किस्म में लाल सड़न और उकठा रोग का प्रकोप कम होता है यानि यह किस्म लाल सड़न और उकठा प्रतिरोधी किस्म है। यह किस्म 2012 में जारी की गई। इस किस्म को आईसीएआर-गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केंद्र करनाल और भारतीय गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान की ओर से विकसित किया गया है। यह किस्म प्रमुख रूप से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य उत्तर प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए अनुसंशित की गई है। यहां के किसान इस किस्म की बुवाई करके गन्ने का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है।

सीओ 05011 (करण-9) किस्म से कितनी मिलेगी उपज

गन्ने की सीओ 05011 (करण-9) की प्राप्त उपज की बात की जाए तो गन्ने की इस किस्म से औसत उपज 34 टन प्रति एकड़ प्राप्त की जा सकती है।

गन्ने की सीओ- 0124 (करण-5) किस्म

गन्ने की गन्ने की सीओ- 0124 (करण-5) किस्म को वर्ष 2010 में गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान, करनाल और गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान, कोयंबटूर की ओर से संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। यह सिंचित अवस्था में मध्यम देर से पकने वाली किस्म है। यह जलभराव और भराव दोनों स्थितियों में अच्छी उपज देती है। खास बात यह है कि गन्ने की यह किस्त लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी है।

गन्ने की सीओ- 0124 (करण-5) किस्म से कितनी मिलेगी उपज

बेतहर कृषि क्रियाओं का उपयोग करके गन्ने की सीओ- 0124 (करण-5) किस्म से प्रति एकड़ करीब 30 टन तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

गन्ने की सीओ- 0237 (करण-8) किस्म

गन्ने की सीओ- 0237 (करण-8) वर्ष 2012 में गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केंद्र करनाल ने विकसित की है। यह एक अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म है। इस किस्त की खास बात यह है कि गन्ने की यह किस्म जल जमाव के प्रति सहनशील है। इसके अलावा यह किस्त लाल सड़न रोग के प्रति भी प्रतिरोधी किस्त मानी जाती है। इस किस्त की खेती मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व मध्य उत्तरप्रदेश के किसान करते हैं।

गन्ने की सीओ- 0237 (करण-8) किस्म से कितनी मिलेगी उपज

गन्ने की सीओ- 0237 (करण-8) किस्म से करीब 28.5 टन प्रति एकड़ के हिसाब से उपज प्राप्त की जा सकती हैं।

गन्ने की सीओ 0238 (करण-4) किस्म

गन्ने की सीओ 0238 (करण-4) किस्म को आईसीएआर के गन्ना प्रजनन संस्थान अनुसंधान केंद्र, करनाल और भारतीय गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर की ओर से जारी किया गया है। यह किस्त को वर्ष 2008 विकसित किया गया व 2009 में इसे किसानों के लिए जारी किया गया। इस किस्म की खास बात यह है कि यह किस्म पानी की कमी और जल भराव दोनों ही स्थितियों में अच्छा उत्पादन देती है। गन्ने की यह किस्म मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के लिए अधिसूचित की गई है।

सीओ 0238 (करण-4) से कितनी मिलेगी उपज

अब बात की जाए इस किस्म से प्राप्त उपज की तो गन्ने की सीओ 0238 (करण-4) से करीब 32.5 टन प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म की रिकवरी दर 12 प्रतिशत से अधिक है। इस किस्म की खेती सबसे ज्यादा पंजाब में होती है। यहां करीब 70 प्रतिशत किसान इसकी खेती करते हैं।

गन्ने की सीओ-0118 (करण-2) किस्म

गन्ने की सीओ 0118 (करण-2) किस्म गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, करनाल की ओर से विकसित की गई है। इसे वर्ष 2009 में जारी किया गया था। इस किस्म का गन्ना आकार में लंबा, मध्यम मोटा और भूरे बैंगनी रंग का होता है। इस किस्म के गन्ने के रस की क्वालिटी काफी अच्छी होती है। गन्ने की इस किस्म को पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य उत्तर प्रदेश क्षेत्र के लिए अनुसंशित किया गया है। इन राज्यों के किसान इसकी खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

सीओ-0118 (करण-2) किस्म से कितनी मिलेगी पैदावार

गन्ने की सीओ-0118 (करण-2) किस्म से किसानों को प्रति एकड़ 31 टन तक उपज प्राप्त हो सकती है।

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