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खुशखबरी : गेहूं सहित 6 रबी फसलों की एमएसपी बढ़ाई, यहां देखें नई रेट लिस्ट

प्रकाशित - 19 Oct 2023

जानें, किस फसल पर कितनी हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी

किसानों के लिए खुशखबरी आई है। केंद्र सरकार ने रबी फसलों की बुवाई (sowing of rabi crops) से पहले ही गेहूं, चना, सरसों (wheat, gram, mustard) सहित रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) में बढ़ोतरी कर दी है। इससे किसानों को लाभ होगा। किसानों को अब रबी विपणन सीजन (Rabi Marketing Season) में एमएसपी (MSP) पर फसल बेचने पर पहले से अधिक रेट मिलेगा। रबी फसलों की एमएसपी, बुवाई से पहले घोषित करने के पीछे सरकार का मकसद यह है कि किसान एमएसपी (MSP) के आधार पर फसलों का चयन करके उनकी बुवाई कर सके यानि जिस फसल का ज्यादा एमएसपी बढ़ाया गया है, उस फसल की बुवाई करके किसान ज्यादा मुनाफा काम सकें। सरकार हर साल, दो बार एमएसपी की घोषणा फसलों बुवाई से पहले करती है जिसमें एक रबी फसल का एमएसपी (MSP of Rabi crop) है तो दूसरा खरीफ फसल का एमएसपी (MSP of Kharif crop) घोषित किया जाता है। इस बार भी रबी की बुवाई से पहले सरकार ने रबी की 6 फसलों का एमएसपी (MSP of 6 Rabi Crops) जारी कर दिया है। रबी की जिन 6 फसलों का एमएसपी जारी किया गया है उनमें गेहूं, चना, सरसों, जौ, मसूर, कुसुम (Wheat, gram, mustard, barley, lentils, safflower) शामिल हैं।

किस फसल की एमएसपी पर कितनी हुई बढ़ोतरी (What is the increase in MSP of which crop)

केंद्र सरकार की ओर से सबसे अधिक बढ़ोतरी मसूर की दाल पर 425 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी में बढ़ोतरी की है। इसके बाद रेपीसीड एवं सरसों के एमएसपी में 200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि की है। गेहूं और कुसुम के एमएसपी में प्रत्येक के लिए 150 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। जौ और चने पर क्रमश: 115 रुपए क्विंटल और 105 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।

अब कितना हो गया है रबी फसलों का एमएसपी/रबी फसलों की नई रेट लिस्ट (New rate list of Rabi crops)

रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) बढ़ने से किसानों को रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान फसल बेचने में पहले से ज्यादा मूल्य मिलेगा। रबी फसलों का बढ़ोतरी के बाद एमएसपी (MSP) इस प्रकार से है

फसल का नाम नई एमएसपी (नया रेट) पुरानी एमएसपी (पुराना रेट)
गेहूं  2275 रुपए प्रति क्विंटल   2125 रुपए प्रति क्विंटल 
जौ 1850 रुपए प्रति क्विंटल   1735 रुपए प्रति क्विंटल      
चना 5440 रुपए प्रति क्विंटल   5335 रुपए प्रति क्विंटल   
मसूर 6425 रुपए प्रति क्विंटल   6000 रुपए प्रति क्विंटल  
सरसों-तिलहन 5650 रुपए प्रति क्विंटल  5450 रुपए प्रति क्विंटल 
   कुसुम     5800 रुपए प्रति क्विंटल   5650 रुपए प्रति क्विंटल 

एमएसपी बढ़ने से फसल लागत का कितना मिलेगा मुनाफा (How much profit will be received on crop cost due to increase in MSP)

केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार ने किसानों को लागत का 50 प्रतिशत से अधिक के मुनाफे के साथ एमएसपी जारी किया है। अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ गेहूं के लिए 102 प्रतिशत, रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत, मसूर के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 60 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 52 प्रतिशत है। रबी फसलों की एमएसपी में की गई इस बढ़ोतरी से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा और फसल विविधिकरण (crop diversification) को प्रोत्साहन मिलेगा।

क्या होता है एमएसपी (What is MSP)

न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी सरकार की ओर से किसानों को फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना है। इसके तहत सरकार किसानों के लिए रबी की 6 और खरीफ की 23 फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित करती है। एमएसपी का सबसे बड़ा फायदा किसान को यह है कि यदि बाजार में किसी फसल के भाव गिर जाएं तो किसान एमएसपी पर अपनी फसल बेचकर होने वाले नुकसान से बच सकता है। एमएसपी निर्धारित करने के पीछे सरकार का मकसद किसानों को फसल विक्रय में होने वाले नुकसान से उन्हें बचाना है। एमएसपी के जरिये सरकार, किसानों को यह गारंटी देती है कि यदि किसी वजह से मार्केट प्राइज डाउन हो जाए तो किसान एमएसपी पर फसल बेचकर नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। यानि मार्केट में कितना भी फसल का मूल्य कम हो जाए लेकिन एमएसपी पर फसल की खरीद निर्धारित मूल्य पर ही की जाएगी जो पूरे भारत के लिए एक समान रहेगी।

कैसे निधारित की जाती है फसलों की एमएसपी (How is MSP of crops determined)

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की ओर से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाता है। यह आयोग गन्ना (Sugarcane) को छोड़कर सभी फसलों के लिए एमएसपी तय करता है। यह आयोग अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है। सरकार इन सुझाव का अध्ययन करने के बाद एमएसपी की घोषणा करती है। फसल की एमएसपी (MSP) फसल की कुल लागत को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती है जिसमें चुकाई जाने मजदूरों की मजदूरी, बैल या मशीन द्वारा जुताई और अन्य काम, पट्टे पर ली जाने वाली जमीन का किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों और खेत निर्माण में लगने वाला खर्च, गतिशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों इत्यादि चलाने पर डीजल/बिजली का खर्च शामिल किया जाता है। इसके अलावा अन्य खर्च तथा परिवार द्वारा किए जाने वाले श्रम के मूल्य को भी इसमें रखा जाता है। इस तरह खेती की लागत के आधार पर फसलों की एमएसपी तय की जाती है।

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