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सुपारी की खेती के लिए सरकार ने जारी की 10 करोड़ रुपए की सब्सिडी

प्रकाशित - 25 Nov 2022

सुपारी की खेती पर भारी सब्सिडी, जानें, पूरी जानकारी

सरकार की ओर से किसानों को कई प्रकार की फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी यानि अनुदान प्रदान किया जाता है। कई बार किसानों को फसलों में नुकसान भी होता है। इसके लिए भी सरकार से सहायता दी जाती है। अभी कर्नाटक में सुपारी की फसल को कीटों से नुकसान पहुंचा है। कई किसानों की तो पूरी की पूरी फसल बर्बाद होने के कगार पर है। इसे देखते हुए कर्नाटक सरकार ने किसानों की मदद के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार ने सुपारी की खेती करने वाले किसानों को कीट प्रबंधन के लिए 10 करोड़ रुपए की सब्सिडी जारी की है। इससे लाखों किसानों को राहत मिलेगी। आज हम ट्रैक्टर जंंक्शन की इस पोस्ट में किसानों को सुपारी की खेती के लिए कर्नाटक सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी की जानकारी दे रहे हैं। 

कर्नाटक में सुपारी की फसल पर कीटों का प्रकोप

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, कर्नाटक के मलनाड में सुपारी की फसल पर कीटों का बना प्रकोप हुआ है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में राज्य सरकार ने किसानों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। राज्य सरकार ने सुपारी की फसल को कीटों से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए रणनीति तैयार की है। इसके तहत किसानों को राज्य सरकार अपने स्तर पर किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए हर संभव प्रयास करेगी। 

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सुपारी किसानों को 10 करोड़ रुपए की सब्सिडी जारी

कर्नाटक सरकार ने सुपारी की फसल में कीटों से हुए नुकसान से बचाने के लिए 10 करोड़ रुपए की सब्सिडी जारी की है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि राज्य सरकार व क्रेंद सरकार साथ मिलकर कीटों के हमले की कारण तलाश कर रही है। कीटों से सुपारी की फसल को बचाने का कारगर तरीका मिल जाने के बाद इस पर शीघ्र प्रभाव से कार्रवाई शुरू की जाएगी। अभी किसानाें को त्वरित सहायता के रूप में 10 करोड़ रुपए की मदद दी गई है ताकि किसान अपनी फसल को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं। 

फसल नुकसान मुआवजा किया दुगुना, 99 करोड़ रुपए जारी

सुपारी उत्पादक राज्यों में कर्नाटक का प्रमुख स्थान है। राज्य में बहुत अधिक मात्रा में सुपारी का उत्पादन होता है। लेकिन इस बार सुपारी की फसल में कीटों का प्रकोप अधिक हो रहा है। सुपारी की फसल पर इस बार नया कीट देखा गया है, जो फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर रहा है। इसकी रोकथाम का अभी तक कोई तरीका नहीं मिल पाया है। ऐसे में किसानों को इस संकट की घड़ी में राज्य सरकार की ओर से मदद की जा रही है। राज्य सरकार ने किसानों की इस समस्या को देखते हुए प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुकसान पर दिए जाने वाले अनुदान को दुगुना कर दिया है। इसके लिए सरकार की ओर से 99 करोड़ रुपए पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इसके अलावा सरकार ने अधिकारियों को जांच के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपने के बाद सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा। 

कर्नाटक में किस कीट के हमले से सुपारी की फसल में हो रहा है नुकसान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार  इस साल सुपारी की फसल में एक नया कीट देखा गया है, जो सुपारी की फसल को बर्बाद कर रहा है। बताया जा रहा है वैज्ञानिकों ने सुपारी को नुकसान पहुंचाने वाले नए कीट की पहचान कर ली है। भाकृअनुप - केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान (CPCRI) केरल, के दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक स्थित क्षेत्रीय स्टेशन के वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान की है। सीपीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. शिवाजी हौसराव थुबे के अनुसार  "कीट और रोग निगरानी के दौरान हमने सुलिया तालुका के मरकंजा और कदबा तालुका के कनियरू गांव में एरिका नट के नए पौधों में एम्ब्रोसिया बीटल (Asian ambrosia beetl) को देखा, जिसका साइंटिफिक नेम xylosandrus crassiusculus है।" यह कीट सिर्फ तनों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन पहली बार इसे सुपारी के फलों में देखा है। यह कीट फलों को खराब कर देते हैं। इस कीट के कारण फलों में फंगस का इंफेक्शन हो जाता है। इस कीट को लेकर किसानों के लिए चिंता की बात ये हैं कि सुपारी के भंडारण करने पर यह अंदर ही अंदर फलों को सड़ा देंगे जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा। 

कहां-कहां हाेती है सुपारी की खेती (Supari ki Kheti)

सीपीसीआई के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में करीब 925 हजार हेक्टेयर खेती से 127 हजार टन सुपारी की पैदावार होती है। क्षेत्र (49%) और पैदावार (50%), दोनों मामलों में भारत नंबर वन पर है। इसके अलावा इंडोनेशिया, चाइना, म्यांमार, बांग्लादेश में सुपारी की खेती की जाती है। भारत में सुपारी की खेती सबसे ज्यादा कर्नाटक में होती है। यहां सुपारी का प्रति वर्ष 358.8 टन उत्पादन होता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर केरल आता है, यहां सुपारी का 118.2 टन उत्पादन होता है। इसके बाद तीसरे नंबर पर असम है। यहां 72.6 टन सुपारी का उत्पादन किया जाता है। अनुमान के मुताबिक 2050 तक सुपारी की मांग 1214,000 टन तक हो जाएगी।

एक एकड़ में सुपारी के कितने पौधे लगाए जा सकते हैं

अंतराष्ट्रीय बाजार में सुपारी की मांग काफी अधिक है। अन्य देशों की तुलना में भारत में सुपारी की खेती सबसे ज्यादा होती है। इसके बावजूद अभी भी इसका उत्पादन मांग के मुकाबले कम है। इसे देखते हुए देश में इसकी खेती का क्षेत्रफल बढ़ाने की आवश्यकता है। अभी एक एकड़ में सुपारी के 600 पौधे ही लग पाते हैं। 

सुपारी की खेती क्यों है महत्वपूर्ण/सुपारी का इस्तेमाल (Betel Nut Farming)

केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश दक्षिणी एशियाई देशों में सुपारी एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। एशिया के कई हिस्सों में इसका उपयोग मुख्य रूप से चबाने के उद्देश्य से किया जाता है। इसका प्रयोग पान के साथ, पान मसाला बनाने, गुटखा बनाने आदि में किया जाता है। इसके अलावा सुपारी का इस्तेमाल आयुर्वेद और चीनी औषधीय प्रथाओं में दवा के रूप में भी किया जाता है। भारत दुनिया में सुपारी के क्षेत्र और उत्पादन में पहले स्थान पर है, जिसमें 1.6 करोड़  से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए सुपारी उद्योग पर निर्भर हैं।


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