प्रकाशित - 27 Dec 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गन्ना की खेती (sugarcane cultivation) करने वाले किसानों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबर सामने आई है। इसके अनुसार अब किसानों को गन्ना पर्ची (sugarcane slip) से संबंधित समस्या से निजात मिलेगी। बताया जा रहा है किसानों के हित में राज्य सरकार ने अब किसानों को बिना गन्ना पर्ची के भी अपने उत्पाद बेचने की छूट दे दी है। इससे राज्य के विशेषकर छोटी जोत वाले किसानों को लाभ होगा। अब किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए पर्ची की चिंता नहीं रहेगी। जैसा कि राज्य के किसानों के पास पहले गन्ना पर्ची मिलती थी और उसके बाद ही चीनी मिल में गन्ना बेचने की अनुमति होती थी, बिना गन्ना पर्ची के किसान अपने उत्पाद को नहीं बेच पाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
किसानों को राहत देते हुए सरकार ने अब गन्ना पर्ची की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इसमें राज्य के विशेषकर छोटी जोत वाले किसानों को प्राथमिकता मिल सकेगी। वे अपनी गन्ने की फसल बिना गन्ना पर्ची (sugarcane slip) का इंतजार किए समय पर बेच कर लाभ प्राप्त कर पाएंगे। सरकार की इस नई पहल से किसानों को अपने उत्पादों को बिना पर्ची के बेचने की अनुमति दी जाएगी। राज्य सरकार की इस पहल से लाखों किसानों को राहत मिलेगी और उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी।
गन्ना पर्ची (Sugarcane Slip), गन्ने की फसल को चीनी मिलों को बेचने हेतु जारी किया गया प्रमाण-पत्र होता है जो चीनी मिलों की ओर से किसानों को दिया जाता है। इस पर्ची के जरिये ही चीनी मिले किसानों से गन्ने की खरीद करती हैं। पर्ची के अभाव में किसान चीनी मिलों को गन्ना बेच नहीं पाता है, उसे अपना गन्ना उत्पाद बेचने में काफी परेशानी आती है। यह गन्ना पर्ची अब किसानों को ऑनलाइन उनके मोबाइल पर भेजी जाने लगी है। इससे अब किसानों को गन्ना पर्ची घर बैठे ही मिल जाती है। गन्ना पर्ची सिस्टम को संचालित करने के पीछे चीनी मिलों का मकसद कालाबाजारी पर रोक लगना और सिस्टम में पारदर्शिता लाना है।
कभी-कभी किसी कारण वश किसानों को गन्ना पर्ची समय पर नहीं मिल पाती है, इसके कारण उसे गन्ना पर्ची के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं। मोबाइल बंद रहने या मोबाइल बदलने की स्थिति में भी किसानों गन्ना पर्ची मिलने में समस्या होती थी। इसके अलावा ई.आर.पी. पर गन्ना किसानों को पुराना या गलत मोबाइल नंबर पंजीकृत होने जैसी समस्या भी आती है। लेकिन अब गन्ना पर्ची को लेकर किसानों को कोई समस्या नहीं होगी। किसान अब बिना गन्ना पर्ची के भी अपने उत्पाद बेच सकेंगे।
राज्य सरकार की ओर से किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से गन्ना पर्ची की अनिवार्यता से राहत प्रदान की है। इससे किसानों को गन्ना पर्ची के लिए कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ेगा, जो पर्ची के अभाव में होती हैं। वे अपने उत्पादों को आसानी से बेच सकेंगे और अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। सरकार की इस पहल से गन्ना उत्पादन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा किसानों को भी अपने उत्पाद को बेचने के लिए पर्ची की बाध्यता नहीं रहेगी। इस पहल से किसानों के लिए गन्ना विक्रय करना काफी सुलभ और सरल हो जाएगा। इस योजना का सबसे अधिक लाभ छोटे किसानों को मिल सकेगा जो पर्ची के अभाव में अपनी गन्ने की फसल को बेचने से वंचित रह जाते हैं। हालांकि सरकार ने हाल ही में छोटे गन्ना किसानों को अतिरिक्त गन्ना पर्ची में प्राथमिकता दिए जाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन अब पर्ची की समस्या हल होने से इन छोटे किसानों को लाभ होगा।
यदि आपके पास गन्ना बेचने के लिए पर्ची प्राप्त नहीं हुई है तो घबराएं नहीं। बिना पर्ची के गन्ना बेचने के लिए आपको अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में आपको अपनी व्यक्तिगत और कृषि संबंधी जानकारी देनी होगी। इसके बाद सरकार आपके आवेदन की समीक्षा करेगी और अपनी स्वीकृति देने के बाद आप बिना पर्ची के अपने उत्पाद को बेच सकेंगे।
केंद्र सरकार की ओर से गन्ने का एफआरपी (Sugarcane FRP) 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है। लेकिन अलग-अलग राज्य सरकार इस एफआरपी रेट पर किसानों को बोनस देकर इसके मूल्य को बढ़ाती है ताकि उन्हें एफआरपी से अधिक मूल्य मिल सके। राज्य सरकार द्वारा बोनस के देकर, बढ़ाए गए गन्ने के मूल्य को ही गन्ने का एसएपी (Sugarcane SAP) कहा जाता है। एसएपी का अर्थ- स्टेट एडवाइज प्राइज होता है। ऐसे में अलग-अलग राज्यों में गन्ने का मूल्य अलग-अलग मूल्य अलग-अलग निर्धारित है जो इस प्रकार से है
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