प्रकाशित - 30 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गन्ना किसानों के लिए एक बहुत ही राहत भरी खबर आई है जिसे सुनकर गन्ना किसान खुश हो जाएंगे। दरअसल केंद्र सरकार ने गन्ना पेराई सीजन (Sugarcane Crushing Season) के लिए गन्ने की खरीद हेतु चीनी मिलों के लिए नया मूल्य तय कर दिया है। अब इसी रेट पर चीनी मिले देशभर के किसानों से गन्ने की खरीद करेंगी।
हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने गन्ने का एफआरपी जारी किया है। इसके तहत गन्ने की फसल (Sugarcane Crop) का मूल्य 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है। इससे किसानों को पेराई सीजन 2023-24 में चीनी मिलों द्वारा खरीदने पर प्रति क्विंटल 10 रुपए ज्यादा मिलेंगे। इससे किसानों को लाभ होगा।
बता दें कि गन्ना पेराई सीजन 2023-24 के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी (Sugarcane FRP) 315 तय किया है। इससे पहले एफआरपी 305 रुपए था। गन्ने पर प्रति क्विंटल की गई 10 रुपए की बढ़ोतरी से गन्ना किसानों को राहत मिलेगी। सरकार के मुताबिक गन्ने का एफआरपी 10.25 फीसदी के रिकवरी रेट के हिसाब से प्रोडक्शन कॉस्ट से 100.6 फीसदी ज्यादा किसानों को दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि 2023-24 के लिए गन्ना का घोषित किया गया एफआरपी 2022-23 सीजन से 3.28 फीसदी अधिक है।
केंद्र सरकार की ओर से गन्ने का एफआरपी बढ़ाने से गन्ना उत्पादन से जुड़े करीब 5 करोड़ किसानों को इसका लाभ होगा। इसके अलावा गन्ना मिलों व गन्ने क्षेत्र से जुड़े 5 लाख लोगों को भी इसका लाभ होगा। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि गन्ना किसानों के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने एफआरपी में 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। बता दें कि एफआरपी गन्ने का वह उचित लाभकारी मूल्य होता है जो किसानों को प्रदान किया जाता है जिसमें गन्ने की लागत को ध्यान में रखते हुए उपज की गारंटीड रकम दी जाती है। मोदी सरकार की ओर से गन्ने के एफआरपी में की गई बढ़ोतरी का फायदा देश के करीब 5 करोड़ से ज्यादा किसानों को होगा।
अब बात करते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से बढ़ाए गए गन्ने के नए रेट पर किसानों से खरीद किस समय से शुरू की जाएगी तो आपको बता दें कि किसानों से गन्ने खरीद पेराई सीजन अक्टूबर 2023 से शुरू की जाएगी। गन्ने का पराई सीजन अक्टूबर से सितंबर तक का होता है। इस हिसाब से यह नया मूल्य अक्टूबर 2023 से लेकर सितंबर 2024 तक के लिए मान्य होगा। इस दौरान चीनी मिलें किसानों से केंद्र द्वारा तय किए गए मूल्य पर गन्ने की खरीद करेंगी।
गन्ने के एफआरपी का फुल फार्म फेयर एंड रीमयूनरेटिव प्राइज (Fair and Remunerative Prize) है जिसका अर्थ होता है उचित और लाभकारी मूल्य। एफआरपी गन्ने का वह मूल्य होता है जिस पर चीनी मिलें गन्ने की खरीद करती है। इससे कम में चीनी मिलें गन्ने की खरीद नहीं कर सकती है। इसके अलावा राज्य सरकार भी अपने स्तर पर गन्ने के लाभकारी मूल्य में बढ़ोतरी करती हैं। इस मूल्य को एसएपी यानि स्टेट एडवाइजरी प्राइस (State Advisoty Price) कहा जाता है।
केंद्र सरकार की ओर से कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद तथा चीनी उद्योग एसोसिएशन्स से सूचना लेकर गन्ना मूल्य का निर्धारण किया जाता है। इसके बाद गन्ने के उचित लाभकारी मूल्य की घोषणा की जाती है। गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के संशोधन उपबंधों के घटकों को ध्यान में रखते हुए गन्ने के उचित व लाभकारी मूल्य तय किया जाता है। गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य यानि एफआरपी तय करते समय जिन घटकों को ध्यान रखा जाता है, इसमें गन्ने की उत्पादन लागत, वैकल्पिक फसलों से उत्पादकों को लाभ तथा कृषि जिसों के मूल्यों की सामान्य प्रवृत्ति, उपभोक्ताओं को उचित दर पर चीनी की उपलब्धता, उत्पादनकर्ताओं द्वारा गन्ने से उत्पादित चीनी जिस मूल्य पर बेची जाती है, गन्ने से चीनी की रिकवरी, सह-उत्पादों यानी शीरा, खोई तथा प्रैस मड के विक्रय से प्राप्त राशि या उनके अभ्यारोपित मूल्य, जोखिम और लाभ के कारण गन्ना उत्पादकों के लिए उचित मार्जिन इन सब बातों को ध्यान रखा जाता है।
एफआरपी निर्धारित होने से किसानों को गन्ने का उचित मूल्य मिलता है। चीनी मिले इस तय किए गए रेट से कम में किसानों से गन्ने की खरीद नहीं कर सकती है। इससे किसानों का गन्ना सही रेट पर बिकता है। वहीं राज्य सरकारें भी किसानों को गन्ने का अधिक मूल्य देने की दिशा में काम कर रही है। कुछ राज्य जहां गन्ने का उत्पादन ज्यादा होता है वे राज्य खुद अपने गन्ने का मूल्य तय करते हैं, इस मूल्य को एसएपी यानी स्टेट एडवाइजरी प्राइस (State Advisory Price) कहते हैं। यह एसएपी प्राइस एफआरपी से अधिक होता है। यह एक प्रकार से राज्य सरकार की ओर से किसानों को दिए जाने वाला बोनस जैसा होता है। इस मूल्य को राज्य अपने स्तर जारी करती है। प्राय: गन्ने का एसएपी, एफआरपी के आने के बाद निर्धारित किया जाता है। इस बढ़े हुए एसएपी का भुगतान राज्य सरकार खुद करती है।
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