प्रकाशित - 01 Aug 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
केंद्र सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। 15 अगस्त 2022 को देश की आजादी को 75 साल पूरे जा जाएंगे। अमृत महोत्सव के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश के किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा में कमी है। केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी द्वारा खेती में उपयोग किए जाने वाले ट्रैक्टर्स की टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा को 9 माह से घटाकर मात्र 75 दिन कर दिया है। इससे किसानों को नई तकनीक के बेहतर ट्रैक्टर के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ट्रैक्टर कंपनियों का भी समय बचेगा। यह गाइडलाइन 15 अगस्त 2022 से लागू होगी। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको ट्रैक्टर परीक्षण के फायदे और प्रक्रिया के बारे में बताया गया है, तो बने रहिए ट्रैक्टर जंक्शन के साथ।
ट्रैक्टर किसान परिवार की जान होते हैं। भारत की कृषि में लगातार वृद्धि के पीछे ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरणों का बहुत अधिक महत्व है। कोई भी ट्रैक्टर बाजार में लांच होने से पहले एक परीक्षण प्रक्रिया से गुजरता है। केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी में ट्रेक्टरों की टेस्टिंग होती है। संस्थान की जांच रिपोर्ट के बाद ही ट्रैक्टर को मार्केट में बेचने के लिए उतारा जाता है। केंद्र सरकार का मानना है कि खेती में किसान की सबसे अधिक लागत ट्रैक्टर में ही लगती है। हर किसान को सही और मानदंडों के अनुसार ट्रैक्टर मिलना चाहिए जिससे उसे भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी ना हो। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी की स्थापना की गई है। अब तक ट्रैक्टर टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा 9 महीने थी। इससे किसानों को नई तकनीक के नए ट्रैक्टर के लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब किसानों और ट्रैक्टर कंपनियों को नए ट्रैक्टर की लांचिंग के लिए अधिक समय तक इंतजार नहीं करना होगा। आपको बता दें कि (CFMTTI), बुदनी की रिपोर्ट के बाद ही ट्रैक्टर कंपनियां अपने नए ट्रैक्टर मॉडलों को देश और विदेशी बाजार में बेचने के लिए उतारती है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 31 जुलाई को अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी देते हुए बताया कि खेती के लिए उपयोग किए जाने ट्रैक्टर्स की टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा में कमी की गई है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी द्वारा खेती के लिए उपयोग किए जाने ट्रैक्टर्स की की टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा को 9 माह से घटाकर मात्र 75 दिन कर दिया है। यह गाइडलाइन 15 अगस्त 2022 से लागू होंगे।
ट्रैक्टर खरीदने के बाद किसान को किसी तरह की परेशान नहीं हो और ट्रैक्टर सभी प्रकार के जोखित से मुक्त हो, इसके लिए केंद्र सरकार के संस्थान केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी (मध्यप्रदेश) में ट्रैक्टरों की आधिकारिक जांच होती है। जिसमें बताया जाता है कि ट्रैक्टर में क्या कमी है और क्या खूबियां है। इसके बाद ही ट्रैक्टर बिक्री के लिए बाजार में लांच किया जाता है। हालांकि सभी कंपनियां अपने स्तर पर ट्रैक्टरों की जांच करती है लेकिन बुदनी की रिपोर्ट होना आवश्यक है।
इस टेस्ट में ट्रैक्टर की पीटीओ स्पीड की विभिन्न यंत्रों की सहायता से जांच होती है। ट्रैक्टर को अलग-अलग कंडीशन में चलाया जाता है। कंपनी जो पीटीओ स्पीड उपलब्ध कराने का दावा कर रही है वह किसान को मिलेगी या नहीं, इसकी जांच होती है।
इस टेस्ट में ट्रैक्टर की पुलिंग पावर को जांचने के लिए ट्रैक्टर के ड्रा बार को एक हैवी व्हीकल के साथ जोड़ दिया जाता है और ट्रैक्टर को कंक्रीट के रोड पर चलाया जाता है।
ट्रैक्टर को सड़क पर चलाकर ब्रेक की जांच की जाती है कि ब्रेक कैसा काम करता है, कितनी जल्दी काम करता है आदि।
इस टेस्ट में ट्रैक्टर की हाइड्रोलिक लिफ्टिंग क्षमता और हाइड्रोलिक स्पीड की जांच होती है।
इस टेस्ट में ट्रैक्टर को एक स्थान पर खड़ा करके अलग-अलग 6 एंगल से विजिबिलिटी टेस्ट किया जाता है।
ग्रेविटी टेस्ट में यंत्रों की सहायता से अलग-अलग पॉजिशन में ट्रैक्टर की ग्रेविटी का पता लगाया जाता है।
इस टेस्ट में आधुनिक यंत्रों से ट्रैक्टर के टर्निंग रेडियस का पता लगाया जाता है।
इस ट्रेस्ट में ट्रैक्टर का इंजन कितना कंपन करता है, इसकी जांच होती है।
ट्रैक्टर की आवाज या शोर का पता लगाने के लिए नॉइज़ लेवल टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में 20 से 25 फीट की दूरी से ड्राइवर के कान पर विशेष उपकरण लगाकर ट्रैक्टर के नॉइज लेवल का पता लगाया जाता है।
इस टेस्ट में ऑयल बॉथ एयर क्लीनर का टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में ट्रैक्टर को चलाने के बाद ऑयल कितना खराब हुआ इसका पता लगाया जाता है।
इस टेस्ट में ट्रैक्टर को सामान्य और भारी लोड की कंडिशन में चलाया जाता है। इसके बाद ट्रैक्टर के स्मोक लेवल का पता लगाया जाता है।
इस परीक्षण में ट्रैक्टर को रोटावेटर, कल्टीवेटर आदि उपकरणों के साथ कई-कई घंटों तक खेत में चलाया जाता है। ट्रैक्टर से पुडलिंग का काम कराया जाता है।
इस ट्रैक्टर में ट्रैक्टर को लोड ट्रॉली से जोड़कर फुल आरपीएम पर 60 किलोमीटर तक चलाया जाता है।
इस टेस्ट में ट्रैक्टर को पानी में डूबाया जाता है। इससे ट्रैक्टर की सील्ड पैकिंग का पता चलता है।
इन सभी टेस्ट के बाद ट्रैक्टर के सभी पार्ट्स को खोला जाता है और इन पार्ट्स की अलग-अलग जांच होती है। कौनसे पार्ट्स मानकों के अनुसार बने हैं और कौनसे पार्ट्स मानकों के अनुसार नहीं बने हैं इसकी जानकारी ट्रैक्टर कंपनी के मालिकों को दी जाती है।
केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी (मध्यप्रदेश) में इन टेस्टों के बाद ही किसी ट्रैक्टर को बाजार में बेचने की अनुमति मिलती है। केंद्र सरकार के समय-सीम को कम करने के फैसले से किसान भाइयों और ट्रैक्टर कंपनियों दोनों को फायदा होगा।
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