धान की फसल को कीट व रोग से बचाव के आसान उपाय

Share Product प्रकाशित - 10 Aug 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

धान की फसल को कीट व रोग से बचाव के आसान उपाय

जानें, धान की फसल के कीट, रोग से मुक्ति के लिए पूर्ण प्राकृतिक उपाय

देश में अधिकांश किसान खरीफ फसलों में प्रमुख रूप से धान की खेती (Paddy farming) करते हैं। इस बार लगातार हुई बारिश से खेतों में नमी होने के कारण धान की फसल को नुकसान होने की संभावना हो सकती है। ऐसे में किसान धान की रोपाई के करीब 20 दिन बाद पाटा चलाकर धान की फसल को कीटों से बचा सकते हैं। धान की फसल में पाटा चलाने से कीटों लगने की संभावना बहुत कम हो जाती है। ऐसे में किसान धान की छोटी अवस्था में लगने वाले कीटों से फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। खास बात यह है कि इसमें न तो आपको बहुत महंगे कीटनाशक का छिड़काव करना  है और न ही किसी दवा का। बस धान की फसल में पाटा चलाकर आप धान में लगने वाले कीटों से सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

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धान की फसल में पाटा चलाने से क्या होगा लाभ

खरीफ सीजन के दौरान नमी अधिक रहने से धान की फसल में कई प्रकार के कीट लग जाते हैं। इसमें पत्ती लपेटक कीट, राइज हिस्पा, पत्ती फुदका आदि कीट लगने की संभावना अधिक रहती है। यदि धान की रोपाई के 15 से 20 दिन के बाद यदि पाटा चला दिया जाए तो कीट रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। पाटा एक लकड़ी होती है जिसे खेत में फसल के ऊपर फिराया जाता है इससे पत्तियां पानी में डूबती है जिससे कीड़े पानी में गिरकर मर जाते हैं। इस तरह किसान बिना किसी कीटनाशक और दवा के सिर्फ इस देसी तकनीक से धान की फसल को प्रारंभिक अवस्था में कीट रोग से बचा सकते हैं।

धान की फसल में कितनी बार फिराना चाहिए पाटा

धान की फसल में पहली बार पाटा 15 से 20 दिन की फसल होने पर फिराना चाहिए। यदि आवश्यकता हो तो दोबारा 30-35 दिन की होने पर इस क्रिया को दुबारा दोहराया जा सकता है। यदि खेत में पानी कम हो तो पाटा चलाने से अधिक लाभ मिलता है।

धान की फसल में कैसे चलाएं पाटा

धान की रोपाई के 20 दिन बाद पाटा चलाया जाना चाहिए। इसके लिए आप 10-15 फीट का बांस लें और इससे दो बार पाटा लगा दें। ऐसा करने से धान की जड़ों में थोड़ा झटका लगता है। इससे धान की फसल में चिपके सुंडी जैसे कीट झड़कर पानी में गिर जाते हैं और मर जाते हैं। पाटा चलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पाटा सीधी व उलटी दोनों दिशाओं में चलाएं। पहली बार सीधी तरफ तो दूसरी बार उलटी तरफ पाटा चलाना चाहिए। इससे कीटों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। धान की फसल में पाटा चलाते समय खेत में पानी अवश्य होना चाहिए।

बेर की डंडी फिराकर भी पा सकते हैं कीटों से छुटकारा

कई किसान बताते हैं कि बेर की लकड़ी फिराकर भी शुरुआती धान की फसल में लगने वाले कीटों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके तहत बेर की एक डाल को काटकर उसे पूरे खेत में घुमाया जाता है। ऐसा करने से बेर के कांटों में फंसकर कीड़े पत्तियों से हो जाते हैं। ये काम धान की फसल में शुरुआती दिनों में आसानी से किया जा सकता है। बता दें कि जापान, चीन, कोरिया, कंबोडिया जैसे देशों में किसान ऐसे ही उपाय अपनाकर कीटों व रोग से फसल को बचाने के लिए अपनाते हैं।

इस तरह भी धान की फसल को बचाया जा सकता है कीटों से

  • किसान धान के खेत में बत्तख पाल कर फसल के कीट पतंगों से छुटकारा पा सकते हैं, क्योंकि बत्तख कीट-पतंगों खा जाती है जिससे फसल को लगने वाले हानिकारक कीटों से बिना कुछ किए ही छुटकारा मिल जाता है।
  • धान के खेत में मछली पालन करके भी कीटों से छुटकारा पाया जा सकता है। मछलियां धान के तनों में लगने वाले कीड़ों को खा जाती है और फसल कीटों से सुरक्षित रहती है।
  • प्रारंभिक अवस्था में फसल पर लगने वाले कीटों कमजोर भी होते हैं। ऐसी अवस्था में इन्हें पानी की तेज फुहार से भी खत्म किया जा सकता है। कई बार यह काम तेज बारिश भी कर देती है।

धान के कीटों के लिए जैविक दवा का प्रयोग

धान के कीटों से सुरक्षा के लिए जैविक तकनीक से बनाया गया उत्पाद धानजाइम गोल्ड आता है। यह एंजाइम गोल्ड समुद्री धास से निस्सारित करके बनाया गया है। यह धान के पौधों में बढ़ोतरी करता है और साथ ही धान के पौधों में लगने वाले रोगों व कीटों से फसल की सुरक्षा भी करता है। इस दवा का एक मिलीलीटर की दर से एक लीटर पानी में मिलाकर 500 मिलीलीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव किया जाता है। बता दें कि किसानों को अपनी फसल पर किसी भी दवा इस्तेमाल करते समय सबसे पहले अपने जिले के कृषि विभाग से सलाह व इसके बारें में पूर्ण जानकारी लेनी चाहिए उसके बाद ही किसी भी प्रकार के रायायनिक या जैविक दवा का छिड़काव फसल पर करना चाहिए।

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