धान की खेती: उचित समय और बुवाई की सर्वोत्तम विधियां

Share Product प्रकाशित - 18 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

धान की खेती: उचित समय और बुवाई की सर्वोत्तम विधियां

धान की खेती में अपनाई जाने वाली विधियां और इनके लाभ और नुकसान

देश के आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल आदि राज्य धान के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत उपभोग करते हैं। देश में सबसे अधिक धान की खेती पश्चिम बंगाल में की जाती है। इसके बाद उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार और छत्तीसगढ़ में धान की खेती प्रमुखता होती है। देश की करीब 65 प्रतिशत आबादी धान पर निर्भर है। धान की खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। पानी की निरंतर कमी के कारण आज धान की खेती हर किसी के बस की बात नहीं है। हरियाणा सरकार ने तो धान की खेती नहीं करने वाले किसानों को इनपुट अनुदान देने की योजना बना रखी है ताकि किसान धान की खेती को छोड़कर अन्य फसल की खेती करना शुरू कर दें। ऐसा इसलिए की भू-जल स्तर में निरंतर कमी आ रही है और बारिश भी कम होने लगी है। ऐसे में पानी का उपयोग बहुत ही मितव्ययता से करने पर जोर दिया जा रहा है। बता दें कि एक किलो धान उगाने के लिए 2500 से 3000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में जहां पानी की कमी है वहां धान उगाने से परहेज करना ही अच्छा है ताकि पानी का उपयोग अन्य फसल उगाने में किया जा सके। खैर हम यहां बात कर रहे हैं धान की खेती के सही समय और धान उगाने की विधियों की तो आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको धान उगाने का सही समय और इसकी दो प्रमुख विधियों की जानकारी दे रहे हैं जो हमारे देश में अधिक प्रयोग में लाई जाती है।

Buy Used Tractor

क्या है धान की खेती का सही समय

धान की रोपाई का सही समय जून के तीसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के तीसरे सप्ताह का होता है। इससे पहले मई में इसकी पौध तैयार करने का काम शुरू किया जा सकता है। मई में इसकी नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए और जून में इसकी रोपाई का काम शुरू किया जाना चाहिए। यदि सही समय पर धान की नर्सरी तैयार कर ली जाए तो इसकी रोपाई का काम काफी आसान हो जाता है। किसान भाई धान की नर्सरी इस तरह से लगा सकते हैं। धान की किस्म के आधार पर इसकी नर्सरी तैयार करने का समय अलग-अलग है जो इस प्रकार से है

  • धान की हाइब्रिड किस्मों के लिए धान की नर्सरी मई के दूसरे सप्ताह से पूरे जून के महीने तक लगाई जा सकती है।
  • वहीं मध्यम अवधि की हाइब्रिड किस्मों के लिए नर्सरी मई के दूसरे सप्ताह में लगानी चाहिए।
  • इसके अलावा धान की बासमती किस्मों के लिए नर्सरी जून के पहले सप्ताह में लगाई जाती है।

धान की सीधी बुवाई विधि

कम पानी में धान की पैदावार लेने के लिए किसान सीधी बुवाई विधि काे अपना सकते हैं। यह विधि उन क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी है जहां सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है। हरियाणा व पंजाब राज्य में धान बुवाई की ये विधि काफी प्रचलन में है और सरकार भी इस विधि से धान की बुवाई करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। धान की सीधी बुवाई के लिए जीरो टिल ड्रिल का उपयोग काफी अच्छा रहता है। लेकिन जिन खेतों में फसल अवशेष हो वहां हैपी सीडर या रोटरी डिस्क ड्रिल का उपयोग कर धान की बुवाई करना ज्यादा अच्छा रहता है। नौ कतार वाली जीरो टिल ड्रिल मशीन से करीब प्रति घंटा एक एकड़ में धान की सीधी बुवाई की जा सकती है। लेकिन जीरो टिल ड्रिल मशीन धान की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी हो। यदि नमी नहीं है तो बुवाई से पहले हल्की सिंचाई अवश्य कर लेनी चाहिए।

कैसे होती है जीरो टिल ड्रिल से धान की सीधी बुवाई

धान की सीधी बुवाई के लिए 45 से 50 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर से प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए प्रमाणिक बीज का ही उपयोग करना चाहिए। बीज की जमाव क्षमता 85 से 90 प्रतिशत होनी चाहिए। यदि अंकुरण क्षमता कम हो तो बीज दर को बढ़ाया जा सकता है। बुवाई से पहले धान के बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए। इसके लिए एक किलोग्राम बीज की मात्रा के लिए 0.2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन के साथ 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम मिलाकर बीज को दो घंटे छाया में सुखाकर सीड ड्रिल मशीन द्वारा बुवाई की जाती है।  

धान की बुवाई की एसआरआई विधि

यह धान बुवाई की आधुनिक विधि है। इस विधि में सबसे पहले 20 प्रतिशत वर्मीकम्पोस्ट, 70 प्रतिशत मिट्‌टी और 10 प्रतिशत भूसी या रेत लेकर मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके बाद प्लास्टिक की पॉलिथीन बिछाकर तैयार किए गए मिश्रण से उठी हुई क्यारियां तैयार की जाती हैं। इसके बाद बीज की बुवाई की जाती है। बिजाई के बाद बीजों को मिट्‌टी की बारीक परत से ढंक दिया जाता है। यदि नमी का अभाव हो तो इसमें पानी दिया जाता है। इस विधि से मात्र 8 से 12 दिन में पौधे राेपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जब पौध में दो पत्तियां आ जाए तब इसकी रोपाई कर सकते हैं।

कैसे करें धान की रोपाई

धान की एसआरआई विधि तैयार की गई पौध की रोपाई करने से पहले नर्सरी में एक दिन पहले सिंचाई कर दें ताकि पौधों को निकलने में आसानी रहे। नर्सरी से पौधे निकालने के बाद यदि जड़ों में मिट्‌टी है तो उसे पानी से धोकर साफ कर लेना चाहिए। अब इसे कार्बेन्डाजिम 75 प्रतिशत डब्ल्यू. पी की मात्रा लेकर एक लीटर पानी में घोल बना लें। इसके बाद इस घोल में पौधों की जड़ों को 20 मिनट तक भिगोकर रखें। इसके बाद अब उपचारित पौधों की खेत में रोपाई कर दें। आम तौर पर धान की रोपाई के लिए कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। रोपाई करते समय एक जगह पर ही दो से तीन पौधे लगाने चाहिए। यदि आप किसी कृषि यंत्र से धान की रोपाई कर रहे हैं तो इसके लिए 1.2X10 मीटर की क्यारियां तैयार कर लें और इसके बाद इसमें धान की बुवाई करें। बता दें कि आधुनिक कृषि यंत्रों से धान की बुवाई करने पर समय व श्रम की बचत होती है।  

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों ट्रैकस्टार ट्रैक्टर, डिजिट्रैक ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

हमसे शीघ्र जुड़ें

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back