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सरसों, आलू व पालक को पाले से बचाने के लिए करें ये आसान उपाय

प्रकाशित - 15 Jan 2024

सरसों, आलू व पालक की फसल को पाले से सुरक्षित रखने के आसान उपाय

देश में इस समय ठंड का प्रकोप जारी है। इसके तहत शीतलहर व कोहरे की गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। इसके अलावा कई जगह पर पाले की संभावना बनी हुई है। इस समय का मौसम गेहूं की फसल के लिए अच्छा बताया जा रहा है। जबकि सरसों, आलू व पालक की फसल को नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में किसानों को समय से पहले अपनी सरसों, आलू व पालक की फसल को पाले से सुरक्षित करने के उपाय कर लेने चाहिए ताकि फसल में होने वाले संभावित नुकसान से बचा जा सके। किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से किसानों के लिए उपयोगी सलाह दी गई है जिसे अपनाकर आप मौसम की मार से अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

बता दें कि मौसम विभाग की ओर से उत्तरी भारत के कई राज्यों में पाला पड़ने की चेतावनी जारी की गई है। इसमें पूर्वी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में फसल पर पाला पड़ने से फसल को नुकसान पहुंचने की संभावना जताई है। वहीं पाले से गेहूं के अलावा सरसों में 80 से 90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। वहीं आलू की फसल में पाले से 40 से 50 प्रतिशत तक अनुसार की संभावना है। इसके अलावा हरी सब्जियों जैसे पालक गोभी आदि में भी नुकसान की संभावना है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको आलू, सरसों व पालक को शीतलहर, कोहरा व पाले से बचाने के लिए किए जाने वाले आसान उपायों की जानकारी दे रहे है।

आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए क्या करें उपाय

गिरते तापमान के साथ ही पाला पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। पाला से आलू की फसल पर दाग, धब्बे दिखाई देने शुरू हो सकते है, यह धब्बे कई रंग के हो सकते है। ऐसे में आपको सावधान हो जाना चाहिए और इसको दूर करने के उपाय करना चाहिए। यदि समय रहते इसकी रोकथाम नहीं की जाए तो फसल को काफी नुकसान हो सकता है। इसके लिए आप मैकेनोलिप दवा का 50 प्रतिशत प्रति हैक्टेयर में 2.5 लीटर का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। इससे आलू की फसल को नुकसान नहीं होगा।

सरसों की फसल को पाले से बचाने के लिए क्या करें उपाय

पाले से फसल में रोग लगने शुरू हो जाते हैं। यदि बात करें सरसों की तो इसमें पाले से माहू कीट जिसे चेपा भी कहते है, इसका प्रकोप हो सकता है। माहू कीट सरसों के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीट माना जाता है। यह कीट सफेद और हरे रंग का होता है। यह कीट पौधों के फूलों, पत्तियों, डंठलोंव फलियों पर चिपक जाता है और उसका रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देता है जिससे पौधे का विकास ठीक से नहीं हो पाता है और तेल की मात्रा भी प्रभावित होती है। इस कीट का प्रकोप फसल में फूल बनने पर शुरू हो जाता है। इस कीट के प्रकोप से फलियों की संख्या में कमी आती है और दाना भी ठीक से नहीं बन पाता है। इस कीट से सरसों की फसल को 25 से 40 प्रतिशत नुकसान हो सकता है। इस कीट से सरसों की फसल को बचाने के लिए इम्डा क्लोपफाइड केमिकल को एक लीटर पानी में दो मिलीलीटर डालकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। इससे ठंड से फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।

पालक की फसल को पाले से बचाने के लिए क्या करें

पालक जैसी हरी सब्जियों को पाले से बचाने के लिए किसानों को रात्रि 10 बजे से पहले सिंचाई जरूर करनी चाहिए। फसलों पर रात्रि के दूसरे व तीसरे पहर में सिंचाई नहीं करनी चाहिए। पाला पड़ने की आशंका होने पर फसलों तथा उद्यानिकी फसलों मेें फल, सब्जियों में घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्ल्यू पी का दो से ढाई ग्राम मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर डेढ़ से दो सौ लीटर पानी में घोलकर फसलों के ऊपर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। इससे दो से ढाई डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान बढ़ जाता है और फसल को पाले से बचाया जा सकता है।

नोट: किसानों को सलाह दी जाती है किसी भी दवा का प्रयोग करने से पहले अपने जिले के कृषि विभाग के अधिकारियों से राय अवश्य लें व उनकी देखरेख में ही दवा का छिड़काव करें।

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