प्रकाशित - 07 Feb 2023
देश के किसान खेती-किसानी करके अपनी आजीविका चलाते हैं व अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। सरकार भी अपने स्तर पर खेती किसानी व किसान को समृद्ध बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया करती है। आज के आधुनिक युग में खेती-किसानी में नई-नई तकनीकों को विकसित करके उनका प्रयोग करके उन्नत तरीके से खेती की जा रही हैं। इसी कड़ी में पंजाब की भगवंत मान सरकार ने खेतों में प्रयोग होने वाले रासायनिक खाद और उर्वरकों का प्रयोग कम करने के लिए राज्य में पहली बायोफर्टिलाइजर लैब शुरू की है। किसानों के हित में पंजाब राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इससे किसानों को आर्थिक रूप से फायदा होगा। बता दें कि यह देश की पहली बायो फर्टिलाइजर लैब है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस लैब को स्थापित किया है। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस तकनीक का लाभ सीधे किसानों को मिल सकेगा व राज्य में जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
किसान भाइयों आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से आपको पंजाब में स्थापित बायो फर्टिलाइजर लैब से जुड़ी सभी जानकारियां साझा करेंगे।
पंजाब में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान योजना के तहत 2.50 करोड़ रुपए की लागत से पंजाब की पहली बायो फर्टिलाइजर लैब को स्थापित किया गया है। पंजाब सरकार के मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि लैबाेरेटरी में भारत सरकार की संस्था आईसीएआर-आइएआरआई के साथ एमओयू द्वारा 10 तरह की जैविक उर्वरक (जैसे कि एजोटोबैक्टर कैरियर आधारित, पीएसबी कैरियर आधारित, एजोटोबैक्टर लिक्विड फारमूलेशन, पीएसबी लिक्विड फारमूलेशन, पोटेशियम घुलनशील बैक्टीरिया, (केएसबी) लिक्विड फारमूलेशन, जिंक घुलनशील बैक्टीरिया (जेडएसबी) लिक्विड फारमूलेशन, एनपीके, एम फंगी, आइएआरआइ कम्पोस्ट इनोकुलेंट, ट्राइकोडर्मा विर्डी ) का निर्माण किया जाएगा। इस खाद का लाभ सीधे तौर पर राज्य के किसानों को मिलेगा। इस तरह की बायो-फर्टिलाइजर लैब में मिट्टी, पानी और हवा को दूषित होने से बचाएंगे। बायो-फर्टिलाइजर लैब में जैविक खाद तैयार होती है।
नव स्थापित इस लैब में जो खाद तैयार की जाएंगी। वह खाद किसानों को सस्ते दामों पर मिलेगी। राज्य सरकार पंजाब के सभी जिलों को यह खाद मुहैया करने की कोशिश कर रही है। इसके अतिरिक्त खेती में उपयोग होने वाली उपयोगी तकनीक की भी जानकारी किसानों को दी जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार इस आधुनिक लैबोरेटरी में जो खाद तैयार की जा रही है, उससे राज्य में रासायनिक खादों का उपयोग करीब 20 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। इस खाद के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होगी साथ ही रासायनिक खाद पर किसानों की निर्भरता कम होगी व किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। सरकार भी किसानों से अपील कर रही है कि वे बायो-फर्टिलाइजर लैब में बनी खाद का ही इस्तेमाल करें ताकि मिट्टी, पानी और पर्यावरण को रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
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