Published - 20 May 2021 by Tractor Junction
कोरोना महामारी संकट के बीच गैर यूरिया खादों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई जिससे किसानों को काफी परेशानी हुई। लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार ने फास्फेट एवं पोटाश उर्वरकों के कच्चे माल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों के प्रभावों को कम करने के लिए बुधवार को किसानों हित में फैसला लिया है। सरकार ने डीएपी फर्टिलाइजर पर सब्सिडी 140 फीसदी बढ़ा दी है। अब किसानों को प्रति बोरी 500 रुपए की जगह 1200 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। इससे किसानों को 2,400 रुपए प्रति बोरी की जगह 1200 रुपए कीमत चुकानी होगी। इसका मतलब है कि अब उन्हें पुरानी कीमत पर ही डीएपी मिलेगी।
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पिछले दिनों निजी कंपनियों ने डीएपी, एनपीके एवं अन्य रासायनिक खादों के दाम बढ़ा दिए थे, लेकिन सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ने पुराने स्टॉक वाले रासायनिक खाद (उर्वरक) को पुरानी कीमतों पर ही किसानों को देने को कहा था। इसके अलावा एक आदेश जिसमें इफ्को डीएपी, एनपीके आदि रासायनिक खादों के दामों में वृद्धि की खबर सामने आई थी जिसे उस समय तो खारिज कर दिया गया था परंतु इसके बाद भी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कीमतें किसानों के लिए नए पैकेट पर लागू की जाएगी। जिससे किसानों को अब खरीफ-2021 सीजन में नई बोरी पर प्रिंट एमआरपी पर ही रासायनिक खाद लेना पड़ेगा।
इस खबर पर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री श्री रविंद्र चौबे ने रासायनिक उर्वरकों में, विशेषकर डीएपी के दाम में प्रति बोरी लगभग 700 रुपए की वृद्धि किए जाने पर चिंता जताई थी। इसी बीच मध्य प्रदेश सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के बढ़े हुए मूल्य को इसी खरीफ सीजन 2021 के लिए लागू कर दिया था। दरअसल 7 मई 2021 के जारी लेटर में यह बताया गया है की राज्य में सहकारी समिति किसानों को बढ़े हुए मूल्य पर किसानों को उर्वरक देगी। हालांकि इतना जरूर कहा गया है कि पहले से स्टाक उर्वरक को पुराने प्रिंट रेट पर ही बेचें। पर अब चूंकी केंद्र सरकार ने डीएपी पर सब्सिडी बढ़ा दी है जिससे किसानों को अब पुरानी रेट पर ही खाद मिल सकेगी।
रेट बढऩे से पहले डीएपी की कीमत 1200 रुपए प्रति बोरी तथा एनपीके (12.32.16) और एनपीके (10.26.26) करीब 1075 रुपए प्रति बोरी थी। अब केंद्र सरकार के आदेशानुसार अब कंपनियां इसी पुरानी रेट पर ही किसानों को गैर यूरिया खाद उपलब्ध कराएंगी।
पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपए प्रति बोरी थी। इस पर केंद्र सरकार 500 रुपए की सब्सिडी देती थी। इस तरह किसानों को प्रति बोरी 1200 रुपए की कीमत चुकानी पड़ती थी। लेकिन, हाल में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की कीमतें 60 से 70 फीसदी तक बढ़ गई हैं। इसके चलते डीएपी की एक बोरी की कीमत 2,400 रुपए हो गई है। सब्सिडी घटाकर खाद कंपनियों को इसकी बिक्री प्रति बोरी 1900 रुपए में की जाती है। लेकिन बुधवार को लिए गए फैसले के बाद किसानों को डीएपी के लिए ज्यादा कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। उन्हें प्रति बोरी 1200 रुपए में डीएपी मिलती रहेगी। बता दें कि केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी के रूप में 80,000 करोड़ रुपए खर्च करती है।
डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाने के फैसले से सरकार पर अतिरिक्त करीब 14,775 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलनी चाहिए।
डीएपी का पूरा नाम डाइअमोनिया फास्फेट होता है। यह एक दानेदार उर्वरक है। इस उर्वरक में आधे से ज्यादा हिस्सा फास्फोरस युक्त होता है जो पानी में पूरी तरह से घुलनशील नहीं होता है। इस उर्वरक का मुख्य उपयोग पौधों को जड़ों की विकास कराने में किया जाता है।
एनपीके उर्वरक में नाईट्रोजन, फास्फोरसतथा पोटेशियम तीनों मौजूद रहता है। यह दानेदार उर्वरक होता है। इस उर्वरक का प्रयोग पौधे के विकास तथा मजबूती के लिए किया जाता है साथ ही पौधे से फल को गिरने से बचाया जाता है।
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