यूजर प्रोफाइल

नया उपयोगकर्ता

ट्रैक्टर जंक्शन से जुड़ें

ककोड़ा की खेती: एक बार करें बुवाई, 10 साल तक मिलेगा मुनाफा - जानें, पूरी जानकारी

प्रकाशित - 16 Dec 2022

जानें, ककोड़ा की उन्नत किस्में और खेती का तरीका और लाभ

किसानों को सब्जी की खेती से काफी लाभ हो सकता है। क्योंकि सब्जियां कम समय में तैयार हो जाती है और अच्छा मुनाफा भी देती है। इसमें भी यदि किसान अधिक मुनाफा देने वाली सब्जी की खेती करें तो उन्हें काफी अच्छी इनकम हो सकती है। जनवरी में कई सब्जियों की खेती की जाती है। उनमें एक सब्जी ककोडा भी है। वास्तविता में तो यह जंगली सब्जी है लेकिन कई किसान इसकी खेती करके अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इसकी बाजार में कीमत 90 से 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है। इसे देखते हुए किसान इस सब्जी की खेती करके काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस सब्जी की खेती आप जनवरी माह में कर सकते हैं। इस सब्जी की खास बात ये हैं कि आप इसके बीजों को एक बार बोने के बाद इससे 8 से 10 साल तक लाभ कमा सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको बाजार में अधिक भाव में बिकने वाली ककोड़ा की लाभकारी सब्जी के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

क्या है ककोड़ा (What is Spiny Gourd)

यह कद्‌दूवर्गीय श्रेणी की सब्जी के अंतर्गत आती है। ककोड़ा को कई नामों से जाना जाता है। इसे कर्कोटकी, काकोरा, कंटोला, वन करेला, खेखसा, खेसका, अगाकारा, स्पाइन गार्ड, मोमोर्डिका डायोइका आदि नामों से जाना जाता हैं। इसका फल छोटे करेले से मिलता-जुलता होता है जिस पर छोटे-छोटे कांटेदार रेशे होते हैं। राजस्थान में इसे किंकोड़ा भी कहते हैं। इसका साग बहुत ही अच्छा व स्वादिष्ट होता है। नर्म ककोड़ा का साग अधिक स्वादिष्ट होता है जिसे लोग अधिक पसंद करते हैं। गर्म मसालों या लहसुन के साथ ककोड़ा का साग बनाकर खाने से शरीर में वात रोग से मुक्ति मिलती है।

ककोड़ा की खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

ककोड़ा में पाएं जाने वाले पोषक तत्व

आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक ककोड़ा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर तथा अन्य प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन करने से विभिन्न प्रकार के रोगों में लाभ मिलता है। ये शरीर का वजन घटाने में मददगार होता है। खासतौर पर ये हाईब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए काफी लाभकारी माना जाता है।

साल में दो बार कर सकते हैं ककोड़ा की खेती

ककोड़ा बारिश के मौसम में ये स्वत: ही अपने आप उग जाते हैं। यदि इसकी खेती की जाए तो इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। भारत में ककोड़ा की खेती गर्मियों की फसल के रूप में और मानसून में भी की जा सकती है। इस तरह इसकी खेती साल में दो बार करके किसान इससे काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। वैसे ककोड़ा मूल रूप से ग्रीष्म ऋतु की फसल है जिसे जनवरी से फरवरी में बोया जाता है। वहीं मानसून की फसल के रूप में इसे जुलाई के महीने में इसकी बुवाई की जाती है। इस खेती की खास बात ये हैं कि एक बार इसकी खेती हो जाती है तो आगे भी स्वत: होती रहती है। इसलिए इसे बार-बार बोने की जरूरत नहीं पड़ती है। बारिश में ये स्वत: ही उग आते हैं।    

ककोड़ा की कौनसी किस्म है बेहतर

ककोड़ा की इंदिरा कंकोड़-1, अम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 किस्में हैं। इसके अलावा व्यवसायिक रूप से ककोड़ा की इंदिरा कंकोड़-1 (आरएमएफ-37) अच्छी मानी जाती है। इस किस्म को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है। यह एक हाइब्रिड किस्म है जिसकी खेती उत्तर प्रदेश, ओडीसा, छत्तीसगढ़ और झारखंड और महाराष्ट्र में की जा सकती है। यह किस्म कीटो और कीड़ों के लिए प्रतिरोधी किस्म है। यह किस्म 35 से 40 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यदि इसके बीजों को ट्यूबर्स में उगाते हैं तो यह 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसतन उपज पहले साल 4 क्विंटल/एकड़ प्राप्त होती है। वहीं दूसरे साल इस किस्म से 6 क्विंटल/ एकड़ और तीसरे साल 8 क्विंटल/एकड़ तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

ककोड़ा की खेती के लिए कहां से मिलेगा बीज

जैसे ही बारिश होती है, इसकी बेल अपने आप जंगलों और खेतों में किनारे दिखने लगती है। इसी कारण एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट भी इसके बीज नहीं रखता है। केवल जंगल से ही इसकी सप्लाई होती है। जंगल में ही ककोड़ा की पैदावार होती है। सीजन खत्म होते ही पके ककोड़े के बीज गिर जाते हैं और जैसे ही पहली बारिश होती है, ककोड़े की बेल जंगल में दिखने लगती है। इसको जंगल से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

कैसे की जाती है ककोड़ा की खेती (Kakoda Ki Kheti)

ककोड़ा की खेती के लिए सबसे पहले ट्रैक्टर या हल की सहायता से भूमि को समतल कर लेना चाहिए। इसके लिए हल से तीन बार खेत की जुताई करें ताकि मिट्‌टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद अंतिम जुताई के समय 15 से 20 टन खाद डाल देनी चाहए। अब तैयार बेड्स में 2 सेंटीमीटर की गहराई में 2 से 3 बीज बुवाई करनी चाहिए। इस दौरान मेड़ से मेड़ का दूरी 2 मीटर और पौधे से पौधे दूरी करीब 70 से 80 सेंटीमीटर रखनी उचित रहती है। खेत में बीजों की बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद बीज के आधार पर आवश्यकतानुसार सिंचाई कर सकते हैं। शुष्क मौसम की स्थिति में सप्ताह के अंतराल में एक या दो सिंचाई करनी चाहिए। जबकि बरसात के मौसम में इसकी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि बारिश से मिट्‌टी में पर्याप्त नमी बनी रहती है। ककोड़ा की फसल बुवाई के 70 से 80 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

भारत में मिनी ट्रैक्टर की जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

ककोड़ा की खेती की खेती में ध्यान रखने वाली खास बातें

  • ककोड़ा की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है।
  • इसकी खेती के लिए 27 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
  • ककोड़ा को रेतीली दोमट और चिकनी मिट्‌टी अच्छी मानी जाती है।
  • ककोड़ा के अच्छे उत्पादन के लिए भूमि का पीएच मान 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए। है।
  • इसकी खेती के लिए खेत में जल निकासी की उत्तम व्यवस्था होनी जरूरी है। 

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों महिंद्रा ट्रैक्टर, स्वराज ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप ट्रैक्टर टायर्स, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

सर्टिफाइड पुराने ट्रैक्टर्स

महिंद्रा 575 डीआई एक्सपी प्लस
₹4.90 लाख का कुल बचत

महिंद्रा 575 डीआई एक्सपी प्लस

47 एचपी | 2014 Model | हनुमानगढ़, राजस्थान

₹ 2,87,500
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
महिंद्रा 475 डीआई एक्सपी प्लस एमएस
₹1.20 लाख का कुल बचत

महिंद्रा 475 डीआई एक्सपी प्लस एमएस

42 एचपी | 2023 Model | डूंगरपुर, राजस्थान

₹ 5,90,250
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
पॉवर ट्रैक 434 प्लस
₹1.10 लाख का कुल बचत

पॉवर ट्रैक 434 प्लस

37 एचपी | 2023 Model | चितौड़गढ़, राजस्थान

₹ 4,30,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
मैसी फर्ग्यूसन 1035 डीआई
₹1.28 लाख का कुल बचत

मैसी फर्ग्यूसन 1035 डीआई

36 एचपी | 2020 Model | टोंक, राजस्थान

₹ 5,00,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें

सभी देखें