प्रकाशित - 03 Feb 2023
देश में इस साल गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद जताई जा रही हैं। पिछले साल की तुलना में गेहूं के उत्पादन में इस साल रिकार्ड तोड़ बढ़ोतरी देखी जा सकती हैं। देश में अभी तक का मौसम व तापमान, गेहूं की पैदावार के लिए अनुकूल है। ऐसे में इस साल गेहूं की अच्छी पैदावार होने का अनुमान है। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों के अनुसार इस साल मौसम, गेहूं के विकास के लिए काफी अनुकूल बताते हुए इस वर्ष (2022-23) में रिकॉर्ड पैदावार होने की उम्मीद जताई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय भारत सरकार के अनुसार देश में 27 जनवरी 2023 तक 341.85 लाख एकड़ क्षेत्र में गेहूं की बुआई हो चुकी है, जबकि इसका सामान्य क्षेत्र 304.47 लाख एकड़ है। गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा किसानों को गेहूं की फसल का सही उत्पादन प्राप्त करने के लिए विशेष सलाह दी है।
किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से आपके साथ गेहूं की फसल में बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो गेहूं की फसल से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
पीला रतुआ रोग गेहूं की फसल में लगने वाला मुख्य रोग है। यह रोग उत्तर -पश्चिमी मैदानी क्षेत्र और उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में अधिक पाया जाता है। वर्तमान समय में मौसम की स्थिति जैसे 7 से 17 डिग्री सेल्सियस का औसत तापमान, सुबह में ओस के साथ धुंध या हल्की वर्षा आदि होने पर पीले रतुआ रोग लगने की संभावना अधिक हो जाती हैं। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पीले रतुआ रोग के लिए अपने खेतों में कड़ी निगरानी रखें। पीला रतुआ रोग की रोकथाम करने के लिए प्रभावित खेतों में कवकनाशी जैसे प्रोपिकोनाज़ोल 0.1% या टेबुकोनाज़ोल 50 प्रतिशत और ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत का छिड़काव खेत में करें और ज़रूरत पड़ने पर 15 दिनों के बाद खेत में फिर से इन रोकथाम के उपायों को दोहराएं।
देश के कई राज्यों में अगैती आलू और गन्ने से खाली हुए खेतों में पिछैती गेहूं की खेती की जा रही हैं। गेहूं का उत्पादन पिछले साल के निर्धारित लक्ष्य 11.20 करोड़ टन को भी पार भी कर सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर जीपी सिंह के अनुसार चालू रबी सीजन में अनुकूल मौसम की वजह से गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। इस बार सर्दियों का सीजन लंबा चलने की उम्मीद हैं जिसका सीधा असर गेहूं की पैदावार पर पड़ना तय है। गेहूं के लिए अनुकूल मौसम को भांपकर ही किसानों ने गेहूं की खेती पर इस बार अधिक दांव लगाया है। बीते विपणन वर्ष में किसानों को बाजार में गेहूं का संतोषजनक मूल्य प्राप्त हुआ है जिससे किसान को सरकारी खरीद पर निर्भर नहीं होना पड़ा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में पिछले साल मार्च 2022 में भीषण गर्मी पड़ने की वजह से गेहूं उत्पादन को एक साल पहले के 109.59 मिलियन टन से घटाकर 106.84 मिलियन टन हो गया था।
नए सरकारी आंकड़ों के अनुसार गेहूं की कमी होने के चलते अक्टूबर में 17.64% के मुकाबले नवंबर में घरेलू गेहूं की कीमतों में 19.67% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अक्टूबर में 7.01% से नवंबर में समग्र खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति 4.67% तक कम होने के बावजूद गेहूं रिकॉर्ड उच्च स्तर पर बाजार में बिक रहा हैं।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल देश के किसानों ने 33.2 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है, जो कि पिछले साल के 30.2 मिलियन हेक्टेयर के सामान्य क्षेत्र से लगभग 9% तक अधिक है।
भोपाल की करोंद अनाज मंडी में गेहूं की कीमत इस समय 2200 रुपए प्रति क्विंटल से 2300 रुपए प्रति क्विंटल तक की हो गई है। वहीं, अच्छी क्वालिटी के गेहूं 3,000 रुपए प्रति क्विंटल तक के दाम में बिक रहे हैं। मतलब सरकारी द्वारा तय की गई एमएसपी से 985 रुपए ज्यादा के भाव में बिक रहा हैं। भारत में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने 2,015 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था। देश की अन्य मंडियों में भी गेहूं की कीमत लगातार बढ़ रही है। मध्य प्रदेश की खंडवा, हरदा जैसी मंडियों में भी गेहूं की कीमत एमएसपी से ज्यादा चल रही है।
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