प्रकाशित - 20 May 2023
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
इस बार कई किसानों ने बसंतकालीन गन्ने की बुवाई (Spring Sugarcane Cultivation) की है। जैसा कि गन्ना लंबी अवधि की फसल होती है। इसकी फसल को तैयार होने में करीब 10 से 12 माह का समय लगता है। ऐसे में किसान इस बीच के समय का लाभ उठाकर इस दौरान कई ऐसी फसलों को उगाकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं जो गन्ने के साथ उगाई जा सकती है। इससे किसानों को गन्ने के साथ ही अन्य फसलों की पैदावार का लाभ भी मिलेगा। गन्ना किसान यदि एक ही फसल के भरोसे रहे तो इससे उन्हें उतना लाभ नहीं मिल सकता जितना उन्हें चाहिए। ऐसे में उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा। गन्ने के साथ कई ऐसी फसलें हैं जो गन्ने से पहले पककर तैयार हो जाती हैं। किसान इन फसलों में से लाभकारी फसलों का चुनाव करके गन्ने की फसल तैयार होने से पहले इस फसल को बेचकर मुनाफा कमा सकता है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को बसंतकालीन गन्ने के साथ उगाई जाने वाली दो महत्वपूर्ण फसलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिससे आपको अतिरिक्त लाभ तो मिलेगा ही साथ भूमि की उर्वरक क्षमता भी इससे बढ़ेगी जिसका लाभ आपकी गन्ने की फसल को भी मिलेगा।
जिन किसानों ने फरवरी-मार्च में बसंतकालीन गन्ने की बुवाई की है वे गन्ना के साथ मूंग, उड़द, धनिया, मैथी की खेती कर सकते हैं। इसको जिस अनुपात में बोया जाता है उसकी जानकारी इस प्रकार से है
दलहनी फसलों में मूंग व उड़द की मांग बाजार में बहुत अधिक रहती है और इसके भाव भी बाजार में काफी अच्छे मिल जाते हैं। इसलिए किसानों के लिए गन्ने के साथ मूंग व उड़द की खेती (Moong and Urad cultivation) करना काफी लाभकारी हो सकता है। मध्यप्रदेश में कई किसान खेत खाली होने पर मूंग की खेती (Moong Cultivation) करके अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। खास बात ये हैं कि एमपी में राज्य सरकार खुद न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर हर साल किसानों से मूंग की खरीद करती है। ऐसे में वहां के किसानों को मूंग की खेती से अतिरिक्त कमाई हो रही है।
यदि आप गन्ने के साथ मूंग व उड़द की खेती करते हैं तो इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। वहीं खाद पर होने वाला खर्च भी कम होगा। जो आप खाद दलहनी फसल में देंगे उसका लाभ गन्ने की फसल को भी मिलेगा। वहीं इन फसलों की सिंचाई के लिए आपको अतिरिक्त व्यवस्था नहीं करनी होगी। आप गन्ने की फसल के साथ ही इन फसलों की सिंचाई भी अपने आप हो जाएगी। इस तरह आप गन्ने की फसल के साथ मूंग व उड़द की खेती करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। वहीं मूंग व उड़द की खेती से गन्ने की फसल को नाइट्रोजन मिलता है जो इसकी अच्छी पैदावार के लिए लाभकारी होता है।
बसंतकालीन गन्ने की बुवाई 15 फरवरी से लेकर 15 मार्च तक की जाती है। हालांकि कई जगहों पर अप्रैल माह में इसकी बुवाई की जाती है। किसान चाहे तो गन्ने के साथ मूंग या उड़द की खेती कर सकते हैं। अप्रैल में जब गन्ने की फसल अंकुरित होती है। उस समय से लेकर जून के महीने तक गन्ने की फसल छोटी रहती है। मानसून के बाद ही गन्ने की फसल बढ़ती है। ऐसे में कतारों के बीच या मेड़ों की खाली जमीन पर आप मूंग व उड़द की खेती कर सकते हैं। बता दें कि मूंग की फसल करीब 60 से 65 दिन और उड़द की फसल 85 से लेकर 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जबकि गन्ने की फसल को पककर तैयार होने में करीब 10 से 12 महीने का समय लगता है।
यदि गन्ने के साथ मूंग की फसल लेनी हो तो किसान को चाहिये कि गन्ने की फसल लगाते समय दो कतारों या मेड़ों के बीच करीब तीन फीट की दूरी अवश्य रखें। गन्ने के साथ मूंग की फसल उगाते समय जिन बातों का किसान को ध्यान रखना चाहिए वे इस प्रकार से हैं
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