प्रकाशित - 14 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
आज के दौर में किसान अधिक लाभ देने वाली फसलों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कई किसानों ने समय के साथ अपने खेती के तौर-तरीकों में बदलाव किया है। किसान परंपरागत फसलों की खेती के स्थान पर कम समय में लाभ देने वाली फसलों की खेती करने लगे हैं। इसमें कई किसान मैथी की खेती करके काफी अच्छा लाभ कमा रहे हैं। मेथी से दो तरीके से लाभ कमाया जा सकता है। मैथी को हरी अवस्था में इसके पत्तों को बेचकर और सूखी अवस्था में इसके दानो को बेचकर किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। मेथी की सब्जी बनाई जाती है जो शरीर के लिए गुणकारी होती है।
मेथी के बीजों को मेथी दाना कहा जाता है। मेथी दाना का उपयोग कई रोगों में किया जाता है। शुगर और डायबिटिज के मरीजों के लिए तो मेथी का सेवन काफी लाभकारी माना गया है। मेथी के गुणों को देखते हुए इसकी बाजार मांग भी अच्छी है। किसान भाई इसकी खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको मैथी किस्मों, मेथी की बुवाई का तरीका और देखभाल के साथ ही इससे होने वाली आय की जानकारी देंगे। आशा करते हैं ये जानकारी हमारे किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
मेथी में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कई रोगों में फायदेमंद होते हैं। इसमें सोडियम, जिंक, फॉस्फोरस, फॉलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जैसे मिनरल्स और विटामिन ए, बी और सी भी पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर्स, प्रोटीन, स्टार्च, शुगर, फॉस्फोरिक एसिड जैसे न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। मैथी की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका उपयोग सर्दियों में करने की सलाह दी जाती है।
इसका उपयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। अधिक मात्रा में इसके सेवन से कुछ हानियां भी हो सकती हैं। जैसे- गैस, अपच आदि की शिकायत हो सकती है। इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। मेथी के बीज का अधिक सेवन से एलर्जी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा मेथी के अधिक मात्रा में सेवन से त्वचा पर जलन, रैशेज हो सकते हैं।
मेथी का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए जिन उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। मेथी की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में पूसा कसूरी, आरएमटी 305, राजेंद्र क्रांति, ए.एफ.जी 2, हिसार सोनाली अधिक उत्पादन देने वाली किस्में हैं। इसके अलावा हिसार सुवर्णा, हिसार माध्वी, हिसार मुक्ता, ए.एएफ.जी 1, आर.एम.टी 1, आर.एम.टी 143, आर.एम.टी 303, पूसा अर्ली बंचिंग, लाम सेलेक्शन 1, को 1, एच.एम 103, आदि किस्में को भी मेथी की अच्छी किस्मों में गिना जाता है।
मेथी की उन्नत खेती के लिए मैदानी इलाकों में इसकी बुवाई सितंबर से मार्च तक की जाती है। वहीं पहाड़ी इलाकों में इसकी बुवाई का उचित समय जुलाई से लेकर अगस्त तक का होता है। यदि आप इसकी खेती भाजी के लिए कर रहे हैं तो 8-10 दिनों के अंतर में बुवाई करनी चाहिए। जिससे हर समय ताजा भाजी मिलती रहे। और यदि इसके बीजों के लिए इसे बोना चाहते हैं तो इसकी बुवाई नवंबर के अंत तक की जा सकती है।
वैसे तो मेथी की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन इसकी बेहतर पैदावार के लिए अच्छे जल निकास वाली चिकनी मिट्टी अच्छी रहती है। मिट्टी का पीएच मान 6-7 के बीच होना चाहिए। वहीं मेथी की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु काफी अच्छी रहती है। ये गर्म तासीर का पौधा होता है, इसलिए इसमें पाला सहन करने की क्षमता अधिक होती है। अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में इसकी खेती नहीं की जा सकती है।
अधिकांश किसान इसकी बुवाई छिडक़वा विधि से करते हैं। लेकिन इसकी कतार में बुवाई करना ज्यादा अच्छा रहता है। कतार में बुवाई करने से निराई-गुड़ाई करने में आसानी रहती है और फसल खरपतवार से भी मुक्त रहती है। बुवाई के समय इस बात का ध्यान रखें की खेत में नमी होनी चाहिए। यदि कतार में इसकी बुवाई कर रहे हैं तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 22.5 सेमी रखनी चाहिए। बीज को 3 से 4 सेमी की गहराई में बोना चाहिए। बुवाई के लिए हमेशा प्रमाणिक बीज ही लेना चाहिए।
बीज की बुवाई करने से पूर्व उन्हें उपचारित करना चाहिए ताकि फसल में कीट-रोग का प्रकोप कम हो। इसके लिए बीजों को 8 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। बीजों को मिट्टी से पैदा होने वाले कीट और बीमारियों से बचाने के लिए थीरम 4 ग्राम और कार्बेनडाजिम 50 प्रतिशत डब्लयूपी 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचार करें। रासायनिक उपचार के बाद एजोसपीरीलियम 600 ग्राम + ट्राइकोडरमा विराइड 20 ग्राम प्रति एकड़ से प्रति 12 किलो बीजों का उपचार करें।
मेथी की खेती से पहले खेत की मिट्टी जांच और उसके नतीजों के आधार पर खाद व उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। आमतौर मेथी बोआई के करीब 3 हफ्ते पहले एक हेक्टेयर खेत में औसतन 10 से 15 टन सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डाल देनी चाहिए। वहीं सामान्य उर्वरता वाली जमीन के लिए प्रति हेक्टेयर 25 से 35 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 से 25 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश की पूरी मात्रा खेत में बुवाई से पहले देनी चाहिए।
मेथी की पहली कटाई बोआई के 30 दिन बाद की जा सकती है। इसके बाद 15 दिन के अंतराल पर कटाई करते रहना चाहिए। दाने के लिए उगाई गई मेथी की फसल के पौधों के ऊपर की पत्तियां पीली होने पर बीज के लिए कटाई की जानी चाहिए। कटाई के बाद फसल की गठरी बनाकर बांध ले और 6-7 दिन सूरज की रोशनी में रखें। इसके बाद अच्छी तरह से सूखने पर इसकी ग्रेडिंग करें और इसका भंडारण कर लें। वहीं अक्टूबर माह में बोई गई फसल की 5 बार व नवंबर माह में बोई गई फसल की 4 बार कटाई करें। इसके बाद फसल को बीज के लिए छोड़ देना चाहिए नहीं तो बीज नहीं बन पाएगा।
अब बात करें इसकी खेती से मिलने वाले उत्पादन और लाभ की तो मेथी की खेती से भाजी या फिर हरी पत्तियों की पैदावार करीब 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है। मेथी की पत्तियों को सुखाकर भी बेचा जाता है जिसके 100 रुपए प्रति किलोग्राम तक दाम मिल जाते हैं। यदि उन्नत विधियों का प्रयोग करके इसकी खेती की जाए तो इससे प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपए तक की कमाई की जा सकती है।
किसान मेथी के साथ इसकी मेड पर मूली उगाकर कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा मेथी के साथ खरीफ की फसल जैसे धान, मक्का, हरी मूंग और हरे चने की खेती करके भी अच्छी कमाई की जा सकती है।
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