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मई माह में करें इन 5 फसलों की खेती, होगा बेहतर मुनाफा

प्रकाशित - 02 May 2023

जानें, कौनसी है ये फसलें और इसकी बुवाई का सही तरीका

इस समय रबी फसलों की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। ऐसे में किसान रबी और खरीफ सीजन के बीच के इस समय का सद्उपयोग करते हुए सब्जियों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मई का महीना है, ऐसे में आप कई सब्जियों की खेती कर सकते हैं। हालांकि अब तो पॉली हाउस में 12 माह हर सीजन की सब्जियां उगाई जा सकती है, लेकिन हम आपको मई माह में खेत में उगाई जाने वाली टॉप 5 सब्जियों की खेती के बारे में बता रहे हैं जो आपको बेहतर मुनाफा दे सकती है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको मई माह में बेहतर लाभ देने वाली टॉप 5 फसलों की जानकारी दे रहे हैं, इसके अंतर्गत इनकी उन्नत किस्म, बुवाई का सही तरीका और इससे इनकम की जानकारी दी जा रही है, तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

1.  फूलगोभी की खेती (Farming of Cauliflower)

मई माह में किसान भाई फूलगोभी की खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। फूलगोभी में प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन ए तथा सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाने में सहायक है। इसका प्रयोग सब्जी बनाने के साथ ही सूप, अचार, सलाद, पकौड़े, पराठे आदि खाने की चीजें बनाने में किया जाता है। वैसे तो फूलगोभी की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। लेकिन इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि जिसमें अधिक जीवांश की मात्रा हो अच्छी रहती है। इसकी अगेती, पिछती और मध्यम किस्में आती हैं। इसकी स्थानीय और उन्नत दोनों किस्में होती है आप अपने क्षेत्र के हिसाब से किस्म का चयन कर सकते हैं। अभी आप इसकी अगेती किस्म की बुवाई कर सकते हैं।

उन्नत किस्में व बुवाई का तरीका (Method of Sowing of Cauliflower)

अगेती किस्म में अर्ली कुंआरी, पूसा कतिकी, पूसा दीपाली, समर किंग, पावस, इम्प्रूब्ड जापानी है। अगेती किस्मों के लिए 600 से 700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। सबसे पहले इसकी नर्सरी में बीज की बुवाई करके पौधा तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे खेत में रोपा जाता है। इसके पौधे का रोपण करते समय अगेती फसल में कतार से कतार की दूरी 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी रखनी चाहिए।

2.  बैंगन की खेती (Cultivation of Brinjal)

बैंगन की खेती भी आप इस माह करके बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती भी अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है। लेकिन इसकी अच्छी उपज के लिए बलुई दोमट से लेकर भारी मिट्‌टी जिसमें कार्बनिक पदार्थों की प्रचूर मात्रा हो अच्छी रहती है। जमीन का पीएच मान 5.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए।

उन्नत किस्में व बुवाई का तरीका  (Method of Sowing of Brinjal)

बैंगन की उन्नत किस्मों में स्वर्ण शक्ति, स्वर्ण श्री, स्वर्ण मणि, स्वर्ण श्यामली, स्वर्ण प्रतिभा किस्में अच्छी मानी जाती है। इसकी भी पहले नर्सरी में पौध तैयार की जाती है उसके बाद पौधे का खेत में रोपण किया जाता है। एक हेक्टेयर खेत में बैंगन की रोपाई के लिए सामान्य किस्मों का 250 से 300 ग्राम एवं संकर किस्मों का 200 से लेकर 250 ग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है। पौधशाला में बुवाई के 21 से 25 दिन बाद इसके पौधे खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी रोपाई के समय समान्य किस्म के लिए कतार से कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 50 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। संकर किस्मों के लिए कतार से कतार के बीच की दूरी 75 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। पौध की रोपाई हमेशा शाम के समय करनी चाहिए। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए।

3.  भिंड़ी की खेती (Ladyfinger Farming)

भिंडी के बाजार भाव अच्छे मिल जाते हैं। ऐसे में इसकी खेती करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सिंचाई की सुविधा होने पर भिंड़ी की खेती साल में तीन बार की जा सकती है। इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्‌टी अच्छी रहती है।

उन्नत किस्म और बुवाई का तरीका (Method of Sowing of ladyfinger)

भिंडी की उन्नत किस्मों में परभन क्रांति, पूसा सावनी, पंजाब पद्‌मनी, अर्का भय, अर्का अनामिका, पंजाब-7, पंजाब -13 आदि है। इसके अलावा इसकी अन्य किस्में भी है जिनमें वर्षा, उपहार, वैशाली, लाल हाइब्रिड आदि किस्में हैं। आप अपने क्षेत्र के हिसाब से इसकी उन्नत किस्म का चयन करें। भिंडी की बुवाई से पहले बीजों को उपचारित कर लें, इसके बाद इसकी बुवाई करें। इसकी बुवाई के समय लाइन से लाइन की दूरी कम से कम 40 से 45 सेमी. रखें। यदि खेत उपजाऊ और सिंचित है तो एक हैक्टेयर के लिए 2.5 से 3 किग्रा, बीज दर काफी है। वहीं असिंचित अवस्था में 5 से 7 किग्रा बीज दर रखकर बुवाई करें। इसकी खेती में नर्सरी तैयार करने की जरूरत नहीं होती इसलिए इसे सीधे खेत में ही बो सकते हैं। 

4.  मूली की खेती (Radish Farming)

मूली की खेती पूरे साल की जा सकती है। हालांकि इसकी फसल के लिए अधिक तापक्रम अच्छा नहीं होता है लेकिन आजकल पॉलीहाउस तकनीक के माध्यम से इसकी खेती साल भर की जाती है। इस माह आप इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मूली की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्‌टी अच्छी रहती है जिसमें जीवाश्म की प्रचुर मात्रा हो। मूली की बुवाई के लिए मिट्‌टी का पीएच मान 6.5 के आसपास होना चाहिए।

उन्नत किस्में और बुवाई का तरीका (Method of Sowing of Radish)

इसकी उन्नत किस्मों में जापानी सफेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफेद, आईएचआर 1-1 एवं कल्याणपुर सफेद अच्छी किस्में मानी जाती है। मूली के बीजों की बुवाई मेडों तथा समतल क्यारियों में दोनों तरीके से की जा सकती है। बुवाई के समय लाइन से लाइन की या मेडों से मेडों की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर तथा ऊंचाई 20 से 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए। वहीं पौधे से पौधे की दूरी 5 से लेकर 8 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। मूली के बीजों की बुवाई 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई पर करनी चाहिए।

5.  मिर्च की खेती (Chilli Cultivation)

मिर्च एक मसाला फसल है। इसकी खेती काफी लाभकारी मानी गई है। इसकी मांग 12 महीने रहती है। इसलिए इस माह इसकी खेती की जाए तो किसान अच्छा पैसा कमा सकते हैं। मिर्च की खेती सभी प्रकार की मिट्‌टी में की जा सकती है जिसमें कार्बनिक पदार्थों की पर्याप्त मात्रा हो एवं जल निकास की उचित व्यवस्था हो, वहां इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। मिर्च फसल जलभराव वाली स्थिति में नहीं करनी चाहिए, ये इसके लिए अच्छा नहीं होता है। इसकी खेती के लिए मिट्‌टी का पीएच मान 6.5 से 8.00 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती के लिए 15 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा गर्म आर्द्र जलवायु उपयुक्त रहती है। 

मिर्च की उन्नत किस्में और बुवाई का तरीका (Method of Sowing of Chilli)

मिर्च की उन्नत किस्मों में अर्का मेघना, अर्का श्वेता, काशी सुर्ख, काशी अर्ली, पूसा सदाबहार किस्म काफी अच्छी मानी गई है। इसकी फसल के लिए सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार करते हैं। शीतकालीन मौसम के लिए जून-जुलाई और ग्रीष्म कालीन के लिए दिसंबर एवं जनवरी में नर्सरी में बीजों की बुवाई की जाती है। इसकी बुवाई के लिए एक हैक्टेयर में 1.25 से 1.50 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। नर्सरी में बुवाई के बाद 25 से 35 दिन में इसके पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। शीतकालीन में इसकी रोपाई करते समय लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी रखनी चाहिए। वहीं ग्रीष्मकालीन मौसम में इसकी बुवाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 45X30 रखनी चाहिए।  

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