प्रकाशित - 23 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Cotton cultivation : देश के कई राज्यों में कपास की खेती की जाती है। ऐसे में कपास की बुवाई की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। किसान को कम लागत पर अधिक पैदावार मिले, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों द्वारा समय–समय पर सलाह जारी की जाती है। इसी कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार की ओर से हाल ही में किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें विश्वविद्यालय ने कपास की बुवाई का उचित समय, खाद उर्वरकों का छिड़काव, कपास की उन्नत किस्में, बीजोपचार आदि विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं, जो कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए जानना बेहद जरूरी है, तो आइए जानते हैं, इसके बारे में।
कपास की खेती में खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए स्टोम्प दवा को 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। यह छिड़काव बुवाई के तुरंत बाद या जमाव से पहले करना चाहिए।
टपका सिंचाई यानी ड्रिप सिंचाई सिस्टम का इस्तेमाल करने वाले किसान बुवाई में बीज जमाव से पहले रोज सुबह व शाम के समय 10 से 15 मिनट ड्रिप चलाएं। वहीं जमाव के बाद हर चौथे दिन 30 से 35 मिनट ड्रिप चलाना चाहिए।
कपास में खाद व उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की जांच के आधार पर किया जाना चाहिए। आमतौर बीटी नरमा, देसी कपास के लिए जो मात्रा निर्धारित की गई है, वे इस प्रकार से है:
देसी कपास की किस्मों में HD-123, HD-432 को इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है। वहीं बीटी नरमा का केवल प्रमाणित बीज ही खरीदें और इसका दुकानदार से पक्का बिल अवश्य लें।
किसानों को अमेरिकन कपास (रोंएदार) का प्रति एकड़ 8 से 10 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल बुवाई के लिए करना चाहिए। वहीं अमेरिकन कपास (रोंए उतारे) के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज उपयोग करना चाहिए। इसी प्रकार देसी कपास (रोंएदार) के लिए 6 किलोग्राम व देसी कपास (रोंए उतारे) के लिए 5 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करना चाहिए।
बुवाई से पहले नरमा–कपास के बीजों का उपचार अवश्य करना चाहिए। इससे रोगादि कम लगते हैं जिससे बेहतर पैदावार मिलती है। इसके बीजों को एमिशन 5 ग्राम, स्टेप्टोसाइक्लीन एक ग्राम, साक्सीनिक एक ग्राम, इन सबको 10 लीटर पानी में मिलाकर बीजो उपचार करना चाहिए। अब रोंएदार बीज के लिए 6 से 8 घंटे तक उपचार करना चाहिए। वहीं रोंए उतारे बीज के लिए 2 घंटे बीज उपचार करना चाहिए। इस तरह बीजों को उपचारित करके बुवाई करने पर फसल को 40–45 दिन तक फफूंद और जीवाणुओं से बचाता है।
बीज को पहले दवाइयों से उपचारित करना चाहिए, इसके बाद छाया में सुखाना चाहिए। दीमक के बचाव के लिए 10 मि.ली. क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. को 10 मि.ली. पानी प्रति किलो बीज से बीज का छिड़काव करना चाहिए।
इस तरह ऊपर बताएं गए तरीके से नरमा या कपास की बुवाई करके किसान कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को चाहिए कि कपास का बीज और दवाइयां केवल प्रमाणित स्त्रोतों से ही खरीदें, कपास की खेती से पहले एक बार मिट्टी की जांच अवश्य कराएं ताकि उसी के अनुसार फसल में खाद व उर्वरक का प्रयोग किया जा सके।
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