प्रकाशित - 22 Jun 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
5 Important Things for Soybean Cultivation: भारत में सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) धीरे-धीरे उन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है जो कम लागत में अधिक उत्पादन चाहते हैं। यह फसल न केवल तेल उत्पादन में सहायक है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी सहायता करती है। यह खरीफ सीजन (Kharif Season) की प्रमुख तिलहनी फसल है जिसकी खेती खासकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार के कई जिलों में बड़े पैमाने पर की जाती है। सोयाबीन की बुृवाई जून महीने से शुरू हो जाती है। ऐसे में यदि किसान पहले से बीज की सही तैयारी कर लें, तो वे कम खर्च में अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विभाग और विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ जरूरी सावधानियां अपनाकर सोयाबीन की बंपर पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सोयाबीन की खेती से संबंधित प्रमुख 5 बातों की जानकारी दे रहे हैं जिसे हर सोयाबीन किसान को जानना जरूरी है। इन बातों को अपनाकर आप सोयाबीन की पैदावार में बढ़ोतरी कर सकते हैं, तो आइए जानते हैं, इनके बारे में।
सोयाबीन की खेती के लिए बीज का चयन बेहद महत्वपूर्ण होता है। खास बात यह है कि सोयाबीन का बीज हर साल बदलने की जरूरत नहीं होती। यदि आपने एक बार अच्छा बीज खरीदा है, तो उसका उपयोग 2–3 साल तक किया जा सकता है। यदि आप खुद का बीज इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह सबसे अच्छा है, क्योंकि इससे बीज की क्वालिटी पर आपका पूरा भरोसा होता है। यदि आप किसी अन्य किसान से बीज खरीद रहे हैं, तो उसकी सफाई और ग्रेडिंग अवश्य करनी चाहिए। इसके लिए आप स्पाइरल सीड ग्रेडर का उपयोग कर सकते हैं, जिससे बीज समान आकार और अच्छी गुणवत्ता वाले रहेंगे।
बीज को खेत में बोने से पहले उसका अंकुरण परीक्षण जरूर करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बीज जमीन में अच्छे से उगेगा और फसल मजबूत होगी। कृषि विभाग का सुझाव है कि आप घर पर ही यह परीक्षण कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले 100 बीज लेकर उन्हें एक गीले टाट के बोरे में रखें। इसके बाद रोजाना बोरे को हल्का गीला करते रहें। ऐसा करने से 2–3 दिन के भीतर अंकुरण शुरू हो जाएगा। यदि 100 में से 70 बीज अंकुरित हो जाएं, तो आप 80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई कर सकते हैं। वहीं यदि अंकुरण 60% हो, तो बीज की मात्रा बढ़ा दें। यदि अंकुरण 50% से कम हो, तो उस बीज को न बोएं और नया बीज इस्तेमाल करें। इस आसान प्रक्रिया से आप बुवाई से पहले ही यह जान सकते हैं कि आपका बीज फसल की पैदावार देने में मजबूत है या नहीं।
यदि आपके पास घर पर अंकुरण जांच की सुविधा नहीं है, तो आप सरकारी प्रयोगशालाओं में अपने बीजों की नि:शुल्क में करवा सकते हैं। इसके लिए आप बीज परीक्षण प्रयोगशाला, कारखाना बांरा, कोटा में यह सेवा नि:शुल्क प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको 1 किलो बीज को एक थैली में भरकर प्रयोगशाला में भेजना होता है। थैली पर अपना नाम और पता साफ-साफ लिखना है। आप आवेदन पत्र के साथ बीज सीधे भेज सकते हैं या अपने क्षेत्र के सहायक कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। यह सुविधा किसानों को यह निर्णय करने में सहायता करती है कि कौन-सा बीज उनके लिए उपयुक्त है और उत्पादन बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
बाजार से बीज खरीदना कभी-कभी महंगा और जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब बीज की क्वालिटी संदिग्ध हो। यदि आप अपने खेत में पहले से तैयार बीज का उपयोग करते हैं, तो आपको सबसे पहले उसे ही प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे आपको कई लाभ मिलते हैं। एक तो लागत कम होती है, क्योंकि बीज बाजार से खरीदना नहीं पड़ता है। दूसरा बीज की क्वालिटी सुनिश्चित रहती है क्योंकि आप खुद उसकी निगरानी कर चुके होते हैं। ऐसे में आपको विश्वास बना रहता है, क्योंकि बीज पहले अच्छा उत्पादन दे चुका है। इसके अलावा स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार तैयार बीज अधिक उपज देने में सक्षम होते हैं।
यदि आप बाजार से बीज खरीद कर सोयाबीन की बुवाई करना चाहते हैं तो आपको कुछ जरूरी सावधानियां रखनी चाहिए, क्योंकि आजकल नकली बीजों को लेकर कई खबरें आ रही है, ऐसे में आपको सावधान रहना जरूरी है। यदि आपको बाजार से बीज खरीदने की जरूरत पड़ जाए तो हमेशा विश्वसनीय और प्रमाणित दुकान या संस्थान से बीज की खरीद करें। बीज खरीदते समय बिल अवश्य लें जिसमें खरीद की तारीख, बैच नंबर और समाप्ति तिथि का उल्लेख हो। इसके अलावा बीज की थैली की अच्छी तरह जांच करें, कहीं सिलाई दोबारा की गई हो या नकली सील न हो। यदि कोई विक्रेता आपको बिल देने से इनकार करता है, तो इसकी शिकायत नजदीकी कृषि विभाग में करें। इन सावधानियों से आप नकली और कम क्वालिटी वाले बीज से बच सकते हैं, जो आपकी पूरी फसल को प्रभावित कर सकते हैं।
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