प्रकाशित - 25 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana) चलाई जा रही है। इस योजना के तहत प्राकृतिक आपदा जैसे- आंधी, तूफान, बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़, बेमौसमी बारिश आदि प्राकृतिक कारणों से किसान की फसल को होने वाले नुकसान का मुआवजा दिया जाता है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करने वाली कंपनियों ने अपने हाथ खींच लिए हैं। राज्य में सात जिले ऐसे हैं जहां फसल बीमा के लिए कोई बीमा कंपनी तैयार नहीं हो रही है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि इन जिलों के किसान अपनी फसलों का बीमा करवाने के लिए कहां जाएं और फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई कैसे होगी। ऐसे में किसानों को नुकसान से राहत देने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana) खुद संकट में फंसती नजर आ रही है। इधर, इन जिलों के किसान राज्य सरकार से अपनी फसलों का बीमा करने और बारिश व ओलावृष्टि से फसल को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करनाल सहित 7 जिलों के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना (PM fasal beema yojana) का लाभ नहीं मिल पाएगा। ये सात जिले हरियाणा के हिसार, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, करनाल, अंबाला, सोनीपत, जींद है जहां फसल बीमा योजना के लिए कोई बीमा कंपनी नहीं मिली है। इन जिलों में इस बार किसी भी बीमा कंपनी को फसल बीमा की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। ऐसे में किसान चिंतित है कि उनकी बर्बाद फसलों का मुआवजा कैसे मिलेगा। वह कहां पर अपने फसल नुकसान की रिपोर्ट दे ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके। बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्ष 2016 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत पिछले साल करनाल के 79 किसानों को फसल नुकसान होने पर 6 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था।
हाल ही में हरियाणा में बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है। लेकिन इस बार करनाल जिले में फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया गया है। ऐसे में जिले किसानों के आगे संकट है कि वे फसल बीमा कराने कहां जाए और कैसे उनके नुकसान की भरपाई होगी। सरकार की लापरवाह और बदलते मौसम के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि हाल ही में करनाल जिला सहित राज्य के कई जिलों में बैमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से किसान की फसलों को नुकसान हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक बारिश और ओलावृष्टि के कारण करीब 12 हजार एकड़ में गेहूं और सरसों की फसल प्रभावित हुई है। कृषि विभाग द्वारा फसल नुकसान का आकलन किया गया है, जबकि प्रभावित फसल का मुआवजा पीएम फसल बीमा योजना के तहत किसानों को नहीं मिल पाएगा।
पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Beema Yojana) के तहत अब तक करनाल के किसानों को कुल 84.23 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया है। पिछले साल करनाल में मौसम से हुए फसल नुकसान पर कुल 79 किसानों को 6 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था। लेकिन इस बार कोई बीमा कंपनी नहीं होने से योजना लागू नहीं हो पाई है जिससे किसान चिंतित हैं कि उनकी फसल नुकसानी का मुआवजा उन्हें कैसे मिलेगा।
किसानों का कहना है कि अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत निजी कंपनियों के माध्यम से फसलों का बीमा किया जा रहा है। निजी कंपनी पूरे गांव को एक इकाई मानकर किसानों की फसलों का बीमा करती है। ऐसे में पूरे गांव में आपदा से 70 प्रतिशत तक फसल नुकसान होने पर मुआवजा दिया जाता है। किसान की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है लेकिन उसे फसल नुकसान की भरपाई उतनी नहीं की जाती जितनी होनी चाहिए। यदि सरकार चाहती है कि किसानों को फसल नुकसान का सही से मुआवजा मिले तो सरकार को पूरे गांव का आकलन करने के बजाय खुद ही फसलों का बीमा करके हर किसान को नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Beema Yojana) के तहत किसानों को रबी फसल के लिए 1.5 प्रतिशत प्रीमियम देना होता है। जबकि खरीफ सीजन की फसल के लिए 2 प्रतिशत प्रीमियम जमा करना होता है। इसके अलावा यदि किसान बागवानी या वाणिज्यिक फसलों का बीमा करवाता है तो उसे 5 प्रतिशत की दर से प्रीमियम राशि का भुगतान करना होता है।
पीएम फसल बीमा योजना (PM fasal beema yojana) के तहत प्राकृतिक आपदा से फसल को 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान पर ही फसल बीमा का लाभ मिलता है। इसके अलावा नुकसान की सूचना किसान को फसल नुकसान होने के 72 घंटों के दौरान देनी जरूरी है। किसान को कृषि विभाग के अधिकारियों व संबंधित बीमा कंपनी को फसल नुकसान की सूचना देना आवश्यक है।
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