प्रकाशित - 27 Oct 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खरीफ फसल की कटाई के बाद खेत में फसल अवशेष बच जाते हैं जिसको कई किसान अगली फसल की जल्दी बुवाई करने के लिए आग लगा देते हैं। फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे मामले विशेषकर हरियाणा और पंजाब में अधिक देखने को मिलते हैं। हालांकि सरकार ने फसल अवशेषों को जलाने पर पाबंदी रखी है और इस पर नियमानुसार जुर्माने का भी प्रावधान है। इसके बाद भी ऐसी घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही थी। इसे देखते हुए सरकार की ओर से किसानों को अवशेष प्रबंधन के काम आने वाले कृषि यंत्र (Agricultural equipment used for residue management) पर भारी अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी (subsidy) का लाभ प्रदान किया जाता है। हर साल पराली की समस्या से निपटने के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान (Subsidy on agricultural equipment) के तहत समय-समय पर किसानों से आवेदन लिए जाते हैं। किसान सरकार की इस योजना में आवेदन कर सकते हैं। वहीं जो किसान इन यंत्रों को खरीद नहीं सकते हैं वे अपने जिले के नजदीकी कस्टम हायरिंग सेंटर से किराये पर कृषि यंत्र लेकर अवशेष प्रबंधन का कार्य कर सकते हैं। फसल प्रबंधन का काम करने वाले किसानों को राज्य सरकार की ओर से प्रति एकड़ 1,000 रुपए अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले टॉप 5 कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी दे रहे हैं ताकि वे बिना किसी परेशानी के फसल अवशेष प्रबंधन का कार्य कर सके और साथ ही इस पर मिलने वाली सब्सिडी का भी लाभ उठा सकें। तो आइए जानते हैं कृषि अनुदान योजना (agricultural subsidy scheme) के बारे में पूरी जानकारी।
सरकार की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले जिन कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है उसमें
कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत किसानों को सरकार की ओर से कृषि यंत्रों पर अनुदान का लाभ प्रदान किया जाता है। इस पर किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। इसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों को प्राथमिकता दी जाती है। उन्हें इसके तहत सामान्य वर्ग से ज्यादा सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। कई राज्यों में इनके लिए अतिरिक्त अनुदान की व्यवस्था भी है। यदि बात करें हरियाणा की तो इन कृषि यंत्रों पर हरियाणा सरकार किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। वहीं बिहार में कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत इन यंत्रों पर 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में भी किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है।
कृषि यंत्र खरीदने से पहले किसानों को यह जान लेना चाहिए कि कौनसा यंत्र किस काम आता है और इसकी उसके लिए कितनी उपयोगिता है, तो आइये जानते हैं, क्या है इन टॉप 5 कृषि यंत्रों की उपयोगिता।
हैप्पी सीडर मशीन की सहायता से धान की कटाई के बाद गेहूं की सीधे बुवाई की जाती है। इससे फसल अवशेष को जलाना नहीं पड़ता है बल्कि इस मशीन की सहायता से उसे खेत में ही मिला दिया जाता है जो फसल के लिए मल्च का काम करते हैं। कंबाइन से कटे धान के खेत में किसानों को इस मशीन का इस्तेमाल करने से मल्च के रूप में जैविक खाद मिलती है जो नई फसल की पैदावार को बढ़ाने में सहायक होती है, क्योंकि पराली का बचा हुआ मल्च खेत में होने से खेत में पानी की नमी अधिक समय तक बनी रहती है। इस कृषि यंत्र के इस्तेमाल से गेहूं की सीधी बुवाई करने पर किसान 800 से लेकर 1000 तक बचत कर सकते हैं।
रिवर्सिबल प्लाऊ धान के कटाई के बाद बचे अवशेषों को मिट्टी में दबाने का काम करता है जो खेत के लिए खाद का काम करती है। इससे मिट्टी की जल्द जल धारण क्षमता बढ़ती है। इस मशीन से किसान खेत की गहरी जुताई करके मृदा में उपस्थित हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट कर सकते हैं। यह कृषि यंत्र खरपतवार के बीजों को नष्ट करने का काम करता है जिससे खरपतवार पर नियंत्रण करना आसान हो जाता है।
स्ट्रॉ बेलर की सहायता से किसान भाई धान के बचे हुए फसल अवशेषों की गांठे बना सकते हैं। इन अवशेषों को अन्य जगह ले जाकर किसान इसे पशु चारे के रूप में दी जाने वाली कुट्टी बनाकर भी जानवरों को खिला सकते हैं। बता दें कि हार्वेस्टिंग किए गए फसल अवशेष को जलाने के बाद वायु प्रदूषण तो बढ़ता ही साथ ही कीट-पतंगे भी नष्ट हो जाते हैं। इसमें कई कीट फसलों के लिए लाभकारी भी होते हैं। ऐसे में स्ट्रॉ बेलर के माध्यम से इन कीटों को मिट्टी में दबा दिया जाता है जिससे वे खाद का काम कर सकें। इसके अलावा किसान इन फसल अवशेषों के कचरे को बिजली उत्पादन फैक्ट्री में बेचकर भी इससे कमाई कर सकते हैं।
मल्चर एक ऐसा कृषि यंत्र है जो धान की पराली आदि को काटकर उनके टुकडे़ करता है जिसे मिट्टी में मिला दिया जाता है। इसके बाद गेहूं की तुरंत बुवाई आसान हो जाती है। यह यंत्र गेहूं की बुवाई को आसान बनाता है और भूमि में मौजूद पोषक तत्वों व जीवाणुओं को संरक्षित करता है। इसके उपयोग से भूमि में नमी बनी रहती है क्योंकि इस यंत्र की सहायता से पराली जैसे- पत्तियां व डंठल आदि मिट्टी में जैविक खाद में बदल जाते हैं जो फसल के लिए काफी अच्छी मानी जाती है।
यह गेहूं की फसल बुवाई की एक विधि है जिसकी सहायता से किसान बिना खेत में फसल अवशेषों को हटाए सीधे गेहूं की बुवाई कर सकते हैं। इस मशीन की खास बात यह है कि गेहूं की बिजाई के समय पुआल जलाने नहीं पड़ते हैं, सीधे बुवाई कर दी जाती है। इस विधि से गेहूं की बिजाई करने से गेहूं के बीजों का जमाव काफी अच्छा होता है और इससे उत्पादन भी ज्यादा मिलता है।
किसान उपरोक्त टॉप 5 कृषि यंत्रों सब्सिडी की अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। वहीं कृषि यंत्र योजना हरियाणा और कृषि यांत्रिकरण योजना बिहार, कृषि यंत्र अनुदान यूपी की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
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