प्रकाशित - 10 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
सरकार की ओर से किसानों को लाभकारी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके। इसके लिए उन्हें कई प्रकार की फसलों की खेती के लिए अनुदान का लाभ प्रदान किया जाता है। इसके लिए सरकार की ओर से कई लाभकारी योजनाएं चला रखी हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान सरकार से विशेष फसल उत्पादन के लिए अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इसी कड़ी में बिहार सरकार की ओर से किसानों को केले की खेती (banana cultivation) के लिए 62,500 रुपए प्रति हैक्टेयर का अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार केले के पौधे ही अपने खेत में रोपने होंगे। बता दें कि टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार किए गए केले का उत्पादन सामान्य केले से बेहतर होता है। इसलिए सरकार टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार केले की रोपाई पर ही किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान कर रही है। यदि आप टिश्यू कल्चर पद्धति से केले की खेती करना चाहते हैं तो आप इस योजना में आवेदन करके सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको टिश्यू कल्चर पद्धति से केले की खेती पर सब्सिडी के तहत क्या है टिश्यू कल्चर तकनीक, केले की खेती के लिए कितनी मिल सकती है सब्सिडी, केले की खेती में कितनी आती है लागत, केले की खेती से कितना हो सकता है मुनाफा, सब्सिडी के लिए कैसे करना होगा आवेदन, आवेदन के लिए किन दस्तावेजों या कागजातों की आवश्यकता होगी, आदि बातों की जानकारी दे रहे हैं, तो आइए जानते हैं केल की खेती के लिए सब्सिडी से संबंधित पूरी जानकारी।
टिश्यू कल्चर पद्धति (tissue culture technique) के तहत पौधे के ऊतकों का एक छोटा टुकड़ा उसके बढ़ते हुए ऊपरी हिस्से से लिया जाता है। इस टिश्यू के टुकड़े को एक जैली में रखा जाता है जिसमें पोषक तत्व और प्लांट हार्मोन्स होते हैं। ये हार्मोन्स पौधे के ऊतकों में कोशिकाओं को तेजी से विभाजित करते हैं और इनसे कई कोशिकाओं का निर्माण होता है। इस तरह यह तकनीक केले की खेती में काफी लाभकारी साबित हो रही है। इस तकनीक के इस्तेमाल से केले की फसल, परंपरागत तरीके के मुकाबले करीब 60 दिन पहले प्राप्त हो जाती है और उत्पादन भी ज्यादा मिलता है। इस तरह केले में टिश्यू कल्चर तकनीक का इस्तेमाल किसानों के लिए लाभ का सौंदा साबित हो रहा है। इस पद्धति की खास बात ये हैं कि इसके प्रयोग से केले की फसल को कीट-रोग आदि नहीं लगते हैं जिससे केले का बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है।
बिहार सरकार की ओर से टिश्यू कल्चर तकनीक से केले की खेती के लिए किसानों को लागत की 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इस तरह किसानों को अधिकतम 62,500 रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से सब्सिडी (subsidy) दी जाएगी। ये सब्सिडी किसानों को दो किस्तों में दी जाएगी। इसमें पहले साल 75 प्रतिशत और दूसरे साल 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। उद्यानकी विभाग की ओर से किसानों को टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार किए गए पौधे भी उपलब्ध कराए जाएंगे। बिहार सरकार कृषि विभाग उद्यान निदेशालय ने ट्वीट में कहा कि केला (टिश्यू कल्चर) की खेती करने वाले किसानों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत सब्सिडी मिलेगी। केला (टिश्यू कल्चर) की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार 50 प्रतिशत का अनुदान देगी।
यदि किसान टिश्यू कल्चर पद्धति से केले की खेती करते हैं तो उसके लिए विभाग की ओर से प्रति हेक्टेयर इकाई लागत 1,25,000 रुपए निर्धारित की गई है। इस पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
केले की खेती में प्रति हेक्टेयर करीब एक से सवा लाख रुपए तक की लागत आती है। इसके एक हेक्टेयर में करीब 3080 पौधे लगते हैं। 16 माह की इस फसल में यदि तीन हजार पौधे भी तैयार हो जाते हैं तो आपको इसके एक पेड़ से करीब 250 रुपए के केले मिलेंगे। इस तरह तीन हजार पेड़ों से आपको करीब साढे़ सात लाख रुपए का उत्पादन प्राप्त हो जाएगा। वहीं दूसरे और तीसरे साल आपको केले की पौध नहीं लगानी पड़ेगी और आपको फल मिलता रहेगा। इस तरह केले की खेती से काफी अच्छी कमाई की जा सकती है।
टिश्यू कल्चर पद्धति से केले की खेती के लिए आवेदन हेतु आपको बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट http://horticulture.bihar.gov.in/ पर जाकर आवेदन करना होगा। इसमें आपको एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत आवेदन करना होगा। योजना के तहत आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।
किसानों को सरकारी योजनाओं में सब्सिडी के लिए आवेदन हेतु आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, ये दस्तावेज इस प्रकार से हैं
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