प्रकाशित - 16 Mar 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कई जगहों पर किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। इसी माह 2 व 3 मार्च को राज्य में हुई ओलावृष्टि से सरसों में 56 प्रतिशत और गेहूं की फसल में 37 प्रतिशत क्षेत्र में नुकसान बताया जा रहा है। ऐसे में किसानों को नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार आगे आई है। प्रदेश सरकार ने किसानों की खराब हुई फसलों का निरीक्षण किया और किसानों को मुआवजा दिए जाने का आश्वासन दिया है। ऐसे में किसान अपनी खराब हुई फसल का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करके फसल नुकसान की जानकारी दे सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों से अपील की है वे जल्द से जल्द पोर्टल पर ब्योरा अपलोड करें ताकि फसल नुकसान की भरपाई की जा सके।
हरियाणा के भिवानी जिले में बीते दिनों भारी बारिश और ओलावष्टि (Heavy Rain and Hailstorm) हुई जिससे गेहूं और सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा। फसल खराब की सूचना पर कृषि विभाग के अधिकारी फसल नुकसान का आकलन करने के लिए गांवों का निरीक्षण कर रहे हैं। इस संबंध में उपायुक्त नरेश नरवाल का कहना है कि भिवानी जिले में कुल क्षेत्रफल के करीब 56 प्रतिशत क्षेत्र में सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा है। वहीं गेहूं की फसल में 37 प्रतिशत नुकसान की सूचना है।
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक उपायुक्त नरेश नरवाल ने ओलावृष्टि से प्रभावित कई गावों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसल में हुई क्षति से संबंधित विवरण ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपलोड करें जिससे उन्हें फसल नुकसान मुआवजा मिल सके। उन्होंने एसडीएम हरबीर सिंह, डीआरओ प्रदीप देसवाल और तहसीलदर अजय सैनी के साथ गौरीपुर, मढ़ामाधवी, कितलाना, रूपगढ़, नंदगांव और मानहेरू गांवों में खेतों का निरीक्षण किया और सरसों व गेहूं की फसल को हुए नुकसान का जायजा लिया।
ओलावृष्टि से क्षेत्र में सरसों की फसल को भारी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि इस मौसम में ओलावृष्टि से सरसों की फसल में काफी नुकसान हुआ है। सरसों की फसल पूरी तरह से कटाई के लिए तैयार हो चुकी थी। इसी बीच ओलावृष्टि ने सब कुछ चौपट कर लिया। किसानों की पूरी मेहनत पर पानी फिर गया।
राज्य के जिन किसानों की गेहूं व सरसों की फसल में नुकसान हुआ है वे किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर जाकर अपना पंजीयन करा सकते हैं। राज्य सरकार ने 5 मार्च को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला था और 15 मार्च पंजीकरण की अंतिम तिथि रखी गई थी। ऐसे में कई किसान अभी तक ई-पोर्टल पर पंजीरण नहीं कर पाए हैं। किसानों का कहना है कि उनमें से कई किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल क्षति को पंजीकृत करने में विफल रहे हैं, क्योंकि इंटरनेट चलाने में कुशल नहीं थे और पंजीकरण की तिथि के बारे में भी जानकारी नहीं थी। किसानों की समस्या को समझते हुए उपायुक्त ने कहा कि सरकार ने 5 मार्च को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला था और 15 मार्च इसमें पंजीकरण की अंतिम तिथि थी। उन्होंने राजस्व विभाग और कृषि विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे किसानों को उनकी फसल में हुए नुकसान का विवरण पोर्टल पर दर्ज कराने में सहायता करें।
डीसी ने कहा कि वह पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाने और फसल क्षति से संबंधित डेटा को वेब पोर्टल पर अपलोड करने के लिए किसानों की मांग सरकार को सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को आश्वासन दिया है कि उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने पटवारियों को निर्देश दिए कि वे खेतों में जाकर सटीक गिरदावरी दर्ज करें ताकि किसानों को मुआवजा दिया जा सके। क्षतिपूर्ति पोर्टल पर पंजीकरण की तिथि बढ़ाने को लेकर राजस्व अधिकारी का कहना है कि अब तक उन्हें ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल नुकसान डेटा के पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाने के बारे में सूचना नहीं मिली है।
कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक भिवानी जिले में रबी की फसल 1,16,213 एकड़ में है। इसमें से 6650 एकड़ में 76 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। जबकि 8,697 एकड़ में 51 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच फसल का नुकसान हुआ है। वहीं 43,061 एकड़ में 26 से 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। शेष 57,805 एकड़ में 25 प्रतिशत फसलों को नुकसान पहुंचा है। सरसों की फसल में नुकसान की बात की जाए तो सरसों की फसल में कुल 83,000 एकड़ क्षेत्र में से 46,389 एकड़ क्षेत्र में फसल को नुकसान हुआ है। वहीं 32,723 एकड़ में लगी गेहूं की फसल में से 11,969 एकड़ क्षेत्र में नुकसान हुआ है। इस तरह गेहूं की फसल में 37 प्रतिशत नुकसान हुआ है।
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