कपास में हुए नुकसान की भरपाई करेगी सरकार, मिलेगा 34,000 रुपए मुआवजा

Share Product प्रकाशित - 11 Oct 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

कपास में हुए नुकसान की भरपाई करेगी सरकार, मिलेगा 34,000 रुपए मुआवजा

राज्य सरकार ने स्वीकृत की 1125 करोड़ रुपए की राशि, जानें, क्या रहेंगे मुआवजा राशि देने के मापदंड

कपास की खेती (Cotton cultivation) करने वाले किसानों के लिए एक बहुत ही राहत भरी खबर आई है। कपास (Cotton) में हुए नुकसान की भरपाई अब सरकार करेगी। इसके लिए राज्य सरकार ने 1125 करोड़ की राशि कपास किसानों को बतौर मुआवजा देने के लिए स्वीकृत की है। इससे राज्य के हजारों, लाखों उन किसानों को मुआवजा दिया जाएगा जिनकी कपास की फसल इस साल बारिश व गुलाबी सुंडी कीट की वजह से खराब हुई है। इस साल बहुत से किसानों की फसल बारिश व गुलाबी सुंडी वजह से खराब हुई है। यदि बात की जाए राजस्थान की तो यहां अधिकतर किसानों की कपास की फसलों में 50 से लेकर 90 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। ऐसे में राज्य मुख्यमंत्री द्वारा आचार संहिता लगने के एक दिन पहले जारी की गई यह धनराशि कपास किसानों के लिए संजीवनी का काम करेगी। राजस्थान में बहुत से किसान कपास की खेती (Cotton cultivation) करते हैं। इस बार भी यहां किसानों ने कपास की खेती की लेकिन बारिश की अनियमितता और गुलाबी सुड़ी कीट ने फसल को नुकसान पहुंचाया और ज्यादातर किसानों की आधी से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई। ऐसी स्थिति में इन किसानों के लिए कपास की लागत (calculating cost of cotton) निकालना भी मुश्किल हो गया है। इसे देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा मुआवजा राशि स्वीकृत करना किसानों के लिए किसी बड़े सहारे से कम नहीं है। बताया जा रहा है कि यहां कपास की खराब हुई फसलों के सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है और जल्द ही किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा। हालांकि अभी विधानसभा चुनाव कारण राजस्थान में आचार संहिता लागू कर दी गई है। ऐसे में न तो सरकार कोई घोषणा कर पाएंगी और न ही किसी तरह की सहायता किसी को दे पाएगी। लेकिन चूंकि राज्य की गहलोत सरकार ने आचार संहिता से लगने से पहले ही मुआवजा राशि की स्वीकृति दे दी थी। ऐसे में इस राशि से कपास किसानों के नुकसान की भरपाई की जा सकेगी। यह राशि फसलों के नुकसान के लिए किसानों को एसडीआरएफ नॉर्म्स के तहत तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के लिए जारी की गई है। ऐसे में जिन किसानों की कपास की फसल में नुकसान हुआ है उनको मुआवजा दिया जाएगा।

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कपास की फसल में सबसे अधिक नुकसान

राज्य में कपास की फसल को सबसे अधिक नुकसान श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में हुआ है। इन जिलों में कपास में गुलाबी सुंडी कीट का प्रकोप (Pink bollworm infestation in cotton) और बारिश से फसल को काफी नुकसान पहुंचा। कई किसानों की तो कपास की पूरी-पूरी फसल तक बर्बाद हो गई। ऐसे में फसल नुकसान से पीड़ित किसानों ने सरकार से कपास में हुए नुकसान की भरपाई की मांग की थी। इसके लिए किसानों द्वारा धरना-प्रदर्शन भी किया गया। किसानों की परेशानी को देखते हुए राज्य की गहलोत सरकार ने उन्हें राहत पहुंचाने के लिए आचार संहिता लगने से एक दिन पूर्व ही 1125 करोड़ रुपए राशि की स्वीकृति जारी कर दी ताकि किसानों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जा सकें।

किस आधार पर किसानों को मिलेगा मुआवजा/मुआवजा राशि देने के मापदंड

एसडीआरएफ नॉर्म्स के तहत उन किसानों को मुआवजा दिया जाएगा जिनकी फसलों में 33 प्रतिशत या इससे अधिक नुकसान हुआ है। बताया जा रहा है कि अधिकांश किसानों की कपास की फसल में 50 से लेकर 90 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। एसडीआरएफ नॉर्म्स के अनुसार किसानों को कम से कम 2,000 रुपए और अधिकतम 34,000 रुपए तक मुआवजा राशि प्रदान की जाएगी। जिसका निर्धारण इस प्रकार से किया गया है।

जहां सिंचित क्षेत्र है वहां कपास फसल में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है तो उसे 17,000 रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन यह मुआवजा अधिक से अधिक दो हैक्टेयर तक दिया जाएगा। यानि 34,000 रुपए मुआवजा दिया जाएगा। उदाहरण के लिए यदि किसी किसान ने चार हैक्टेयर में कपास की फसल लगाई हुई थी तो उसे केवल दो हैक्टेयर तक ही मुआवजा दिया जा सकेगा, क्योंकि एक किसान के लिए मुआवजे की अधिकतम सीमा 34,000 निर्धारित की गई है। इस योजना के तहत प्रति किसान कम से कम 2,000 रुपए मुआवजा दिया जाएगा।

जिन किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा हो चुका है और उन्हें इसका क्लेम मिल चुका है। ऐसे किसानों को इस योजना के तहत मुआवजा राशि नहीं दी जाएगी।

किसानों को किस प्रकार किया जाएगा मुआवजा राशि का वितरण

एसडीआरएफ नियमों के अनुसार मुआवजा राशि वितरण किया जाएगा। इसके तहत अधिकतम दो हैक्टेयर तक मुआवजा दिया जाना तय किया गया है। यह राशि एक किसान को एक ही खाते में दी जाएगी चाहे उसकी जमीन दो-तीन हिस्सों में हो या बुवाई दो हैक्टेयर से अधिक में की हो। यानि हर हालत में किसान को अधिकतम 34,000 रुपए ही मुआवजा दिया जाएगा, इससे अधिक नहीं। वहीं यदि किसानों का खाता साझा है तो मुआवजा उसी अनुसार दिया जाएगा।

प्रदेश कितना हुआ गुलाबी सुंडी से कपास की फसल को नुकसान

राजस्थान के हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिले में सबसे अधिक कपास की फसल को नुकसान पहुंचा है। इन दोनों की ही जगहों पर कपास की करीब 2.56 हैक्टेयर फसल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से प्रभावित हुई है। इससे करीब 73,000 किसान प्रभावित हुए हैं। किसान नेताओं का दावा है कि बारिश और गुलाबी सुंडी से फसल को 50 से लेकर 90 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है।

क्या है कपास का गुलाबी सुंडी रोग और कैसे पहुंचाता है फसल को नुकसान

गुलाबी सुंडी या पिंक बालवर्म नाम का कीट यह कपास की फसल को नुकसान पहुंचाता है। अधिकतर इसका प्रकोप जून से लेकर जुलाई माह में दौरान होता है। इससे कपास की फसल में यह कीट लग जाता है। ये कीट कपास की अगेती फसल में फूल निकलते ही हमला करते है ओर फसल को खराब कर देते हैं। इस कीट की मादा तितली कपास के फूल पर बैठकर अंडे देती है। 60 दिनों के अंदर धीरे-धीरे इन अडों में से कीड़े निकलने लग जाते हैं। यह कीट जब वयस्क अवस्था में होने पर फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। एक वयस्क कीट छोटा, पतला होता है और इसका रंग धूसर व इसे पंख छब्बेदार होते हैं। इसके धड़ पर स्पष्ट गुलाबी रंग की पटटियां होती है। इसका लार्वा आधा इंच तक लंबा हो सकता है। यह कीट पूरी फसल को घेरकर कपास की क्वालिटी (cotton quality) को खराब कर देते हैं। यह कपास के रेशे को चबाते हुए बीजों को अपना आहार बनाते हैं। ऐसे में शुरुआती दौर में ही इनकी रोकथाम के उपाय करने चाहिए।

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