प्रकाशित - 22 Nov 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत किसानों को नई-नई फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। इसी कड़ी में किसानों को मशरूम की खेती (Mushroom farming) करने के लिए राज्य सरकार की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है। खास बात यह है कि किसानों को मशरूम की यूनिट खोलने के लिए 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी (subsidy) दी जा रही है। ऐसे में मशरूम की खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है।
बता दें मशरूम का उपयोग खाने में किया जाता है, इसकी सब्जी बनाकर खाई जाती है। इसके अलावा इसका उपयोग बाडी-बिल्डिंग में उपयोग में आने वाले हैल्थ पाउडरों में होता है। इसकी बाजार में मांग काफी होने के कारण इसकी यूनिट खोलकर अच्छी कमाई की जा सकती है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको मशरूम की खेती पर कितनी सब्सिडी मिलेगी, इसके लिए कैसे आवेदन करना है, आवेदन के लिए किन कागजातों की जरूरत होगी, मशरूम यूनिट खोलने से क्या लाभ होगा, मशरूम के क्या फायदे हैं, मशरूम की खेती से कितनी कमाई की जा सकती है, मशरूम को बाजार में कहां-कहां बेचा जा सकता है आदि बातों की जानकारी दे रहे हैं।
राज्य सरकार की ओर से एकीकृत बागवानी मिशन के तहत किसानों को मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना के तहत मशरूम की एक यूनिट की लागत 20 लाख रुपए निर्धारित की गई है। इस पर किसानों को 50 प्रतिशत यानी 10 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस योजना के तहत मशरूम स्पॉन और मशरूम कंपोस्ट पर सब्सिडी (Subsidy on Mushroom Spawn and Mushroom Compost) लाभ दिया जा रहा है। इच्छुक किसान मशरूम की खेती पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मशरूम की खेती के लिए आपको भूसा, गेहूं आदि सामान की आवश्यकता होती है। एक किलोग्राम मशरूम तैयार करने में करीब 50 रुपए का खर्च आता है। यदि आप एक कमरे में 10 क्विंटल मशरूम उगाते हैं तो इसके लिए आपका खर्च 50,000 रुपए आता है। यदि इससे कमाई की बात करें तो आप एक कमरे में मशरूम की खेती करके एक साल में करीब 3 से 4 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
बाजार में मशरूम का भाव 100 रुपए से लेकर 300 रुपए प्रति किलोग्राम तक होता है। मशरूम की लागत के हिसाब से देखें तो इसकी खेती में तीन से पांच गुना तक मुनाफा कमाया जा सकता है। मशरूम की उत्पादन के बाद बचे हुए भूसे की खली का उपयोग आप दुधारू जानवर को खिलाने के लिए कर सकते हैं। इससे उसकी दूध की मात्रा में बढ़ोतरी होगी। वहीं इसके भूसे को खेत में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति में सुधार होगा।
बड़े होटलों व रेस्टोरेंट में इसकी काफी मांग रहती है आप इसे वहां सप्लाई कर सकते हैं। इसे सब्जी मंडी में भी बेचा जा सकता है। बड़े-बड़े मॉल में इसे सप्लाई किया जा सकता है। इतना ही नहीं इसका पाउडर बनाकर बॉडी-बिल्डिंग के लिए हैल्थ प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों को भी बेचा जा सकता है। इसके लिए आपको इसके बाजार की जानकारी होना जरूरी है।
मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। मशरूम में प्रोटीन, विटामिन सी, बी, डी, कॉपर, पोटैशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम, एंटी ऑक्सिडेंट पाए जाते हैं। इसमें पोषक तत्वों की मात्रा काफी होती है जो शरीर की बहुत सी समस्याओं से आपको बचाते हैं। इसे खाने से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता जिससे जल्द कोई बीमारी नहीं होती है। पाचन क्रिया दुरूस्त करने में भी यह काफी मदद करता है। इसके साथ ही यह बालों, त्वचा, खून की कमी आदि अनेक प्रकार की बीमारियों को दूर रखता है। इसलिए इसका सेवन हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद है।
मशरूम की यूनिट पर सब्सिडी के लिए आवेदन करते समय आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। इसके लिए आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा, इसके लिए आपको जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे दस्तावेज इस प्रकार से हैं
यदि आप बिहार के किसान हैं तो आप मशरूम की यूनिट खोलने के लिए या मशरूम की खेती के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आप बिहार सरकार की बागवानी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा इस योजना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
मशरूम की खेती की खेती आप एक कमरे से शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आपको 100 वर्गफीट का एक कमरा ही काफी है। यहां आप रैक जमाकर उसमें मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। मशरूम की खेती बंद कमरे में की जाती है। इसलिए इस पर मौसम का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे उगाने के लिए सबसे पहले एक प्लास्टिक के बैग में कपोस्ट खाद के साथ धान-गेहूं का भूसा मिलाकर रखा जाता है। इसके बाद कंपोस्ट से भरे बैग में मशरूम के बीज को डाला जाता है और इसमें छोटे-छोटे छेद कर दिए जाते हैं। इन्हीं छेदों की सहायता से मशरूम उगने के बाद बाहर निकल आते हैं। मशरूम का उत्पादन 25 से 30 दिन के भीतर शुरू हो जाता है जो दो माह तक चलता है।
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