प्रकाशित - 28 Jan 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार कई योजनाओं के माध्यम से उनकी आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है। किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। इसके अलावा किसानों को परंपरागत खेती की जगह नई तकनीक को अपनाकर खेती करनी चाहिए ताकि उन्हें ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। यदि आप भी परंपरागत तकनीक की जगह खेती की नई तकनीक अपनाते हैं तो आप भी कम समय में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। खेती की कई तकनीकें है। उनमें से समेकित खेती की तकनीक वर्तमान समय की मांग है। किसान इसे अपनाकर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। अक्सर देखने में आता है कि किसान पुराने समय से चली आ रही खेती की तकनीक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं जिससे उन्हें उतना लाभ नहीं मिल पा रहा है जितना उन्हें मिलना चाहिए। ऐसे किसानों को समेकित खेती की ओर ध्यान देना चाहिए और इसे अपनाना चाहिए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
समेकित खेती को एंटिग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी तकनीक या विधि हैं जिसके तहत किसान फसल उत्पादन के साथ- साथ अन्य खेती से संबंधित व्यापार जैसे- पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, मशरूम उत्पादन, सब्जियों व फलों की खेती, कम्पोस्ट उत्पादन, बायो गैस आदि कई तरह के काम कर सकते हैं और अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
बिहार के प्रगतिशील किसान समेकित खेती की तकनीक को अपनाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। किसान धान की खेती के साथ ही मछली पालन, मशरूम और सेब की खेती करके अपनी कमाई को बढ़ा रहे हैं। इससे उन्हें हर माह एक लाख रुपए और सालाना 12 लाख रुपए की कमाई हो रही है। पटना के अनंतपुर गांव के प्रगतिशील किसान समेकित कृषि प्रणाली के तहत मछली पालन, मशरूम और सेब की खेती कर रहे हैं। बिहार सरकार कृषि विभाग के मशरूम की खेती से ये किसान चार माह में 1.5 से 2 लाख रुपए की कमाई कर लेते हैं। उनके अनुसार मशरूम की खेती की लागत 50 हजार रुपए आती है और 2 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। ऐसे में मशरूम की खेती का खर्च निकाल दिया जाए तो उन्हें शुद्ध मुनाफा डेढ़ लाख रुपए हो रहा है।
इतना ही नहीं ये किसान अपने खेत में बने तीन तालाबों में मछली पालन करके भी काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। एक तालाब से उन्हें मछली पालन करके छह महीने में करीब 4 से 5 लाख रुपए की इनकम होती है। वहीं तीन तालाब से उन्हें करीब 12 से 15 लाख रुपए की कमाई हो जाती है। इसके अलावा वे धान की खेती भी करते हैं। इस तरह एक खेत में तीन काम करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं।
बिहार सरकार के कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की ओर से एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत राज्य के किसानों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इस योजना के तहत मशरूम उत्पादन की प्रति इकाई कुल लागत 20 लाख रुपए निर्धारित की गई है। इस तरह किसान को मशरूम का उत्पादन करने के लिए सरकार से 10 लाख रुपए की सब्सिडी मिलती है।
मत्स्य विभाग बिहार सरकार की ओर से मछली पालन के लिए तालाब खुदवाने के लिए भी किसानों को अनुदान दिया जाता है। योजना के तहत तालाब खुदवाने के लिए सामान्य वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। योजना के तहत एक किसान को दो हैक्टेयर में तालाब खुदवाने पर अधिकतम सात लाख रुपए तक का अनुदान मिल सकता है। वहीं तालाब खुदवाने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों को 70 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग के किसानों को तालाब खुदवाने के लिए 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। ऐसे में किसान योजना का लाभ उठाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। बिहार ही नहीं अन्य राज्यों में भी वहां के नियमानुसा मशरूम व तालाब निर्माण के लिए सब्सिडी दी जाती है।
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