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जायद मूंग की खेती : ये टॉप 5 किस्में देगी बंपर पैदावार

प्रकाशित - 18 Apr 2024

जानें, जायद सीजन में बुवाई के लिए मूंग की पांच बेहतर किस्मों की जानकारी

गेहूं की कटाई के बाद खेत खाली हो जाएंगे। ऐसे में किसान इस खाली खेत में जायद मूंग की खेती (Moong cultivation) करके इससे काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मूंग एक ऐसी दलहन फसल है जिसके बाजार भाव भी ठीक-ठाक मिल जाते हैं। इसकी खेती से किसान को इसके विक्रय से लाभ तो होता ही है, साथ ही मिट्‌टी की सेहत में भी सुधार होता है। इससे खेत उपजाऊ बना रहता है। यही कारण है कि अधिकांश समझदार किसान गेहूं की कटाई के बाद दलहन फसल उगाते हैं ताकि उनके खेत की उर्वरक क्षमता बनी रहे। 

इस समय जायद फसल सीजन चल रहा है। रबी व खरीफ के बीच के समय को जायद सीजन कहा जाता है और इस दौरान बोई जाने वाली फसलें जायद फसलें कहलाती है। यदि आप भी इस बार जायद सीजन में मूंग की खेती करने की सोच रहे हैं तो यह समय आपके लिए काफी अच्छा है। आप इस समय खेत में मूंग की बुवाई करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं। जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वे मूंग की खेती से भरपूर लाभ कमा सकते हैं। मूंग की बुवाई के लिए कई उन्नत किस्में हैं जिनसे अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको मूंग की चुनिंदा टॉप 5 किस्मों की के बारे में जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इस जायद सीजन में मूंग से बेहतर लाभ प्राप्त कर सके।

पंत मूंग 1 किस्म (Pant Moong 1 Variety)

मूंग की पंत मूंग 1 किस्म (Pant Moong 1 variety) की खेती खरीफ व जायद में की जा सकती है। खरीफ सीजन में मूंग की फसल 75 दिन में और जायद सीजन में 65 दिन में पककर तैयार हो जाती है। मूंग की इस किस्म से किसान प्रति हैक्टेयर करीब 10 से 12 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

मूंग की मोहिनी किस्म (Mohini Variety of Moong)

मूंग की मोहिनी किस्म (Mohini variety of moong) की खेती भी इस सीजन में की जा सकती है। मूंग की यह किस्म करीब 70 से 75 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से किसान प्रति हैक्टेयर 10 से 12 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। खास बात यह है कि इस किस्म में पीला मोजैक रोग नहीं लगता है जिससे मूंग की फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है।

पंत मूंग 3 किस्म (Pant Moong 3 Variety)

मूंग की यह किस्म ग्रीष्मकालीन खेती के लिए काफी उपयुक्त है। यह किस्म करीब 60 से 70 दिन में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म पीला मोजैक तथा पाउडरी मिल्ड्यू रोग की प्रतिरोधी किस्म है। इसमें इस रोग का प्रकोप नहीं होता है।

मूंग की पूसा वैसाखी किस्म (Pusa Vaisakhi Variety of Moong)

मूंग की यह किस्म करीब 60 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है। मूंग की इस किस्म से किसान करीब 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

मूंग की कृष्ण 11 किस्म (Krishna 11 Variety of Moong)

मूंग की यह किस्म अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह करीब 65 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है। मूंग की इस किस्म से किसान करीब 10 से 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

ग्रीष्म कालीन मूंग की बुवाई का तरीका (Method of Sowing Summer Moong)

मूंग की खेती (Moong cultivation) के लिए खेत की तैयारी करते समय दो-तीन हल या बक्खर चलाकर मिट्‌टी को पाटा लगाकर समतल करें। यदि खेत की जमीन में दीमक हो तो फसल की सुरक्षा के लिए एल्ड्रिन 5 प्रतिशत चूर्ण प्रति किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से अंतिम बखरनी के पहले भुरकाव और बखर से मिट्‌टी में मिला दें। अब भली-प्रकार से तैयार किए गए खेत में जायद मूंग की बुवाई करें।

जायद मूंग की बुवाई (Sowing of Zaid Moong) के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले बीजों को एक ग्राम कार्बेंडाजिम और दो ग्राम थाईरम या तीन ग्राम थाईरम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। इसके बाद पांच ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से राइजोबियम कल्चर से बीज का शोधन करना चाहिए। इसके बाद शोधन किए गए बीजों को छाया में सूखाकर इसके बाद बुवाई करनी चाहिए। जायद मूंग की बुवाई करते समय 8 किलोग्राम नत्रजन, 20 किलो स्फुर, 8 किलो पोटाश और 8 किलो गंधक प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए।

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