शिमला मिर्च की टॉप 5 किस्मों से होगी बंपर कमाई, जानें विशेषता और लाभ

Share Product प्रकाशित - 19 Dec 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

शिमला मिर्च की टॉप 5 किस्मों से होगी बंपर कमाई, जानें विशेषता और लाभ

जानें, शिमला मिर्च की खेती कैसे करें, विशेषताओं और लाभ की पूरी जानकारी

हमारे देश में बोई जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जियों में शिमला मिर्च (कैपसीकम) का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। शिमला मिर्च को बेल पेपर भी कहा जाता है। शिमला मिर्च में विटामिन-सी एवं विटामिन -ए तथा खनिज लवण जैसे आयरन, पोटेशियम, ज़िंक, कैल्शियम आदि पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। शिमला मिर्च को सेहत के लिए फायदेमंद मानते हुए भी बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है। बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। वहीं रंगीन शिमला मिर्च की मांग ज्यादा होने से इसके बाजार में हरी शिमला मिर्च के मुकाबले कई गुना अधिक दाम मिलते हैं। इसकी व्यवसायिक खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में शिमला मिर्च की खेती लगभग 4780 हैक्टयर में की जाती है तथा वार्षिक उत्पादन 42230 टन प्रति वर्ष तक का प्राप्त होता है। किसान भाई शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों की खेती करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं। आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से शिमला मिर्च की टॉप 5 उन्नत किस्मों की विशेषता और लाभ सहित अन्य जानकारी आपके साथ साझा करेंगे।

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भारत में शिमला मिर्च की खेती करने वाले प्रमुख राज्यरंगीन

भारत में शिमला मिर्च की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक आदि हैं। इन राज्यों में शिमला मिर्च की खेती सफलतापूर्वक की जाती है। इसके अलावा किसान अब पूरे भारत में इसकी खेती करने लगे हैं। इसकी सबसे ज्यादा मांग होटलों में होती है यहां इसका प्रयोग सलाद के रूप में भी किया जाता है।

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शिमला मिर्च का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती करने वाले किसानों को हमेशा उसी किस्म की खेती करनी चाहिए, जो ज्यादा बिकती हों। 

  • वर्तमान समय में लाल और पीली (सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली) के अतिरिक्त बैंगनी, संतरी, भूरी रंग की शिमला मिर्च की किस्में भी बाज़ार में उपलब्ध हैं। 

  • पॉलीहाउस के अंदर हमेशा शिमला मिर्च की संकर (हाईब्रिड) किस्मों की खेती ही करनी चाहिए।

  • शिमला मिर्च की किस्मों का चयन मौसम के अनुसार करना चाहिए।

शिमला मिर्च कितने प्रकार की होती है?

शिमला मिर्च लाल, पीली, बैंगनी, नारंगी और हरी रंग की होती हैं।

शिमला मिर्च की उन्नत किस्में

शिमला मिर्च मुख्य तौर 3 प्रकार की हरी, लाल और पीली रंग की होती हैं। अगर आप भी शिमला मिर्च की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको इसकी कुछ उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। अब हम शिमला मिर्च की अधिक पैदावार देने वाली किस्म, शिमला मिर्च की सबसे अच्छी किस्म के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

इन्द्रा : यह संकर किस्मों में शामिल है। शिमला मिर्च की इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इस किस्म की मिर्च मोटी व गुदे वाली होती है। प्रत्येक मिर्च का वजन 100 से 150 ग्राम का होता है। इस किस्म की एक एकड़ भूमि में खेती करने पर 110 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
बॉम्बे (रेड): यह शिमला मिर्च की जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है। बॉम्बे रेड किस्म के पौधे लम्बे, मजबूत एवं फैलने वाले होते हैं। मिर्च का सही तरीके से विकास के लिए इसकी खेती के लिए छांव वाले स्थान का चयन करना उपयुक्त होता है। कच्चे मिर्च का रंग गहरा हरा होता है। मिर्च के पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इस किस्म के प्रत्येक मिर्च का वजन 125 से 150 ग्राम तक का होता है। इस मिर्च को ज्यादा समय के लिए स्टोर करके रखा जा सकता है। यह ज्यादा दूरी वाले स्थान पर ले जाने के लिए उचित होते है।

ओरोबेल (येलो मिर्च) : इस किस्म की खेती मुख्यता ठंड के मौसम में की जाती है। इस किस्म की खेती ग्रीन हाउस के साथ-साथ खुले खेत में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस किस्म की मिर्च पकने के बाद पीले रंग की हो जाती हैं। प्रत्येक मिर्च का वजन करीब 130 से 150 ग्राम तक का होता है। यह किस्म कई रोगों के लिए प्रतिरोधी है।

सोलन हाइब्रिड 2 : यह किस्म अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है। इस किस्म के पौधों की रोपाई के करीब 60 से 65 दिनों बाद मिर्च पककर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इस किस्म में सड़न रोग एवं जीवाणु जनित रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। सोलन हाइब्रिड 2 की एक एकड़ भूमि में खेती करने पर 130 से 150 क्विंटल तक की पैदावार आसानी से प्राप्त हो सकती है।

पूसा दीप्ती शिमला मिर्च : पूसा दीप्ती शिमला मिर्च हाइब्रिड किस्म की शिमला मिर्च है। इस मिर्च का पौधा दिखने में माध्यम आकर का झाड़ीनुमा होता है। इस किस्म के शिमला मिर्च के मिर्च का रंग हल्का हरा होता है जो पकने के बाद गहरे लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है। पौधे की रोपाई के 70 से 75 दिनों के बाद मिर्च पकने लगती है एवं तुड़ाई के लिए भी तैयार हो जाती है।

इन शिमला मिर्च की किस्मों के अलावा हमारे देश में शिमला मिर्च की कई अन्य किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। जिनमें भारत, ग्रीन गोल्ड, सोलन हाइब्रिड 1, यलो वंडर, कैलिफोर्निया वंडर, अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, हरी रानी, किंग ऑफ नार्थ, आदि किस्में शामिल हैं।

शिमला मिर्च की खेती का उपयुक्त समय

हमारे देश में मौसम के अनुसार शिमला मिर्च की खेती का समय एक वर्ष में 3 बार की जा सकती है। इसकी पहली बुआई जून से जुलाई के महीने तक, दूसरी बुआई अगस्त से सितंबर के महीने तक और तीसरी बुआई नवंबर से दिसंबर के महीने तक की जा सकती है।

शिमला मिर्च के बीज का भाव

शिमला मिर्च के भाव किस्म के आधार पर तय होते हैं। सामानतयः 10 ग्राम बीज 2200 से 3500 रुपये तक के होते हैं।

शिमला मिर्च की दवा

शिमला मिर्च की खेती करते समय खरपतवार व रोगों का नियंत्रण  रासायनिक विधि से करने के लिए खेत तैयार करते समय शिमला मिर्च की दवा 2.22 लीटर की दर से फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन) का छिडकाव कर खेत में अच्छे से मिला देना चाहिए। या पेन्डीमिथेलिन 3.25 लीटर प्रति हैक्टयर की दर से रोपाई के 7 दिन के अंदर छिड़काव कर देना चाहिए।

शिमला मिर्च कितने दिन में तैयार होती है?

शिमला मिर्च की फसल सामानतयः 60 से 75 दिनों की होती हैं। पॉली हाउस में इसकी खेती के लिए उपयुक्त समय अगस्त से सितंबर महीने तक की जा सकती है। किसान शिमला मिर्च की खेती साल के नौ महीनों तक कर सकता है।

शिमला मिर्च में लगने वाले प्रमुख रोग

शिमला मिर्च में लगने वाले रोग थ्रिप्स, माइट्स, एफिड्स,पेपर मोटल वायरस, पेपर माइल्ड मोटेल वायरस, और चिली लीफ कर्ल वायरस हैं।

शिमला मिर्च की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

शिमला मिर्च की खेती करते समय अधिक मुनाफा व लाभ प्राप्त करने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। वो बाते निम्नलिखित हैं-

  • शिमला मिर्च (Shimla mirch) के पौधों की रोपाई से पहले खेत की अच्छे से 5 से 6 बार जुताई करें।
  • जुताई के पहले खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला लें।

  • उसके बाद खेत में 90 सेटीमीटर चौड़ी क्यारियां बना लें।

  • इसके बाद पौधे की रोपाई करते समय एक पौधे के दूसरे पौधे से बीच की दूरी लगभग 45 सेटीमीटर की रखें।

  • शिमला मिर्च की खेती में पानी का भराव ज्यादा ना होने दें।

  • शिमला मिर्च की फसल में सिंचाई आमतौर पर गर्मी के दिनों में एक सप्ताह और ठंड के दिनों में 10 से 15 दिनों में करना उपयुक्त होता हैं।

  • शिमला मिर्च की खेती में 2 से 3 बार खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुडाई करना आवश्यक है। 

शिमला मिर्च की खेती में उत्पादन और कमाई

एक एकड़ खेत में शिमला मिर्च की खेती (Shimla mirch ki kheti) करने का खर्च लगभग 4 लाख रुपये तक का हो सकता है। जिसमें लगभग 15,000 किलोग्राम शिमला मिर्च का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। बाजार में शिमला मिर्च की औसत बिक्री दर 50 रुपये प्रति किलोग्राम तक रहती है। इस हिसाब से 15,000 किलोग्राम शिमला मिर्च की बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि लगभग 7,50,000 रुपये होगी। इसमें से खर्चे या लागत को निकाल दिया जाए तो एक एकड़ जमीन पर शिमला मिर्च की खेती करने से किसानों को लगभग 3 से 3.50 लाख रुपये तक का मुनाफा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

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