इन राज्यों के किसानों को मिलेगा सिंचाई के लिए भरपूर पानी

Share Product प्रकाशित - 30 Jan 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

इन राज्यों के किसानों को मिलेगा सिंचाई के लिए भरपूर पानी

राज्य सरकार ने किया त्रिपक्षीय समझौता, बहुत कम समय में पूरी की होगी यह परियोजना, जानें, पूरी जानकारी

किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करने के उद्‌देश्य से सरकार द्वारा समय-समय पर कई योजनाएं और परियोजनाएं शुरू की जाती हैं ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके। इसी कड़ी में राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध कराने के उद्‌देश्य से एक नई परियोजना शुरू करने जा रही है। इसको लेकर त्रिपक्षीय समझौता किया गया है। यह परियोजना जल्द शुरू की जाएगी और इसका काम भी बहुत ही कम समय में पूरा किया जाएगा। यदि यह परियोजना तैयार हो जाती है तो इससे दो राज्यों के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकेगा। इससे विशेषकर सूखाग्रस्त क्षेत्र के लाखों किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा।

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बता दें कि हमारे देश में कई राज्य ऐसे हैं जहां हर साल सूखे के हालत हो जाते है और इसकी मार किसान पर पड़ती है। हालांकि राज्य सरकारें सूखाग्रस्त क्षेत्र के किसानों को अनुदान देकर उनके नुकसान की भरपाई करती है, लेकिन यह इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं है। ऐसे में सरकार तीन नदियों को जोड़ने की परियोजना पर काम शुरू करने जा रही है ताकि इससे दो राज्यों के लाखों, करोड़ों किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके।

किन तीन नदियों को जोड़ने का किया जाएगा काम

राजस्थान व मध्यप्रदेश सरकार की ओर से हाल ही में पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदी को जोड़ने पर सहमति बनी है। इसके लिए मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच जल शक्ति मंत्रालय के कार्यालय में संशोधत पार्बती-कालीसिंध-चंबल- ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि यह परियोजना 5 साल से कम समय में पूरी कर ली जाएगी। इसकी वर्तमान लागत करीब 75,000 करोड़ रुपए है। इस परियोजना से प्रदेश की करीब 1.5 करोड़ की आबादी लाभान्वित होगी।

परियोजना से क्या होगा लाभ

इस परियोजना से प्रदेश की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसी समस्याओं का समाधान होगा जिससे प्रदेशवासियों के जीवन स्तर में सुधार होगा। इस परियोजना का लाभ पानी की कमी वाले 26 जिलों को होगा। परियोजना से करीब 5.60 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के साथ ही बांधों और बड़े तालाबों में पानी का संचय कर जल स्तर उठाने में सफलता मिलेगी। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से एकीकृत कर इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिया गया है। इस परियोजना को लेकर बहुत ही कम समय में मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच सहमति बनी है जो दोनों राज्यों के हित में है।

परियोजना से किन जिलों के किसानों मिलेगा पानी

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस परियोजना से मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ होगा। प्रदेश के ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी। वहीं औद्योगिक बेल्ट वाले जिलों जैसे- इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगीकरण को और बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में करीब तीन लाख हैक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा।

मध्यप्रदेश और राजस्थान के जिलों को इस परियोजना का लाभ मिलेगा। त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन में इस लिंक परियोजना के तहत मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों में कुल 5.60 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के साथ ही पूर्वी राजस्थान के 13 जिले और मध्यप्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र के 13 जिलों में पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।

समझौता ज्ञापन में किन बिंदुओं को किया गया है शामिल

समझौता ज्ञापन में लिंक परियोजना के काम का दायरा, पानी का बंटवारा, पानी का आदान-प्रदान, लागत और लाभ का बंटवारा, कार्यान्वयन तंत्र और चंबल बेसिन में पानी के प्रबंधन और नियंत्रण की व्यवस्था शामिल की गई हैं। बता दें कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की फीजिबिलिटी रिपोर्ट फरवरी 2004 में तैयार की गई थी और साल 2019 में राजस्थान सरकार की ओर से आरसीपी का प्रस्ताव लाया गया था। वर्तमान समझौता ज्ञापन में दोनों परियोजनाओं को एकीकृत कर दिया गया है जिसका लाभ मध्यप्रदेश व राजस्थान के किसानों को होगा।

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