धान की यह नई किस्म देगी बंजर भूमि पर भी अधिक पैदावार

Share Product प्रकाशित - 14 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

धान की यह नई किस्म देगी बंजर भूमि पर भी अधिक पैदावार

जानें, धान की इस किस्म की विशेषता, लाभ और रोपाई का तरीका

धान खरीफ की प्रमुख फसलों में एक है। देश के कई राज्यों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। पंश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार, उत्तप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उडीसा में इसकी खेती बहुत अधिक की जाती है। यदि बात करें पूरे देश की तो 36.95 मिलियन हैक्टेयर में धान की खेती (Paddy farming) की जाती है। ऐसे में धान की खेती करने वाले किसानों की संख्या भी अधिक है। इसे देखते हुए धान के उत्पादन के साथ ही धान की ऐसी किस्मों पर जोर दिया जा रहा है जो किसानों की फसल लागत को कम करके उनकी आय में बढ़ोतरी कर सकें। इस दिशा में कृषि वैज्ञानिक निरंतर लगे हुए हैं। धान की खेती के लिए उपजाऊ भूमि की जरूरत होती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने अब धान की ऐसी किस्म विकसित की है जो बंजर और ऊसर भूमि पर भी बंपर पैदावार देगी।

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यूपी में 13 लाख हैक्टेयर ऊसर/बंजर भूमि

वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई धान की इस किस्म से उन किसानों को बहुत लाभ होगा जिनकी भूमि ऊसर या बंजर हो चुकी है और जिसमें अब धान की खेती नहीं हो सकती है। बात करें यूपी की तो यहां 13 लाख हैक्टेयर भूमि ऊसर, बंजर हो चुकी है जिस पर धान की खेती नहीं हो रही है। वहीं देश में कुल 37.6 लाख हैक्टेयर ऊसर भूमि है। लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब किसान धान की इस खास किस्म की खेती ऊसर या बंजर भूमि पर करके बंपर पैदावार कर सकते हैं।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको धान की बंजर या ऊसर भूमि पर उगने वाली इस नई किस्म की विशेषता, लाभ और इसकी रोपाई का तरीका बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं धान की इस खास किस्म के बारे में पूरी जानकारी।

कौनसी है धान यह खास किस्म

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने धान की ऐसी चार किस्मों को विकसित किया है जो ऊसर भूमि में भी बेहतर पैदावार देने में समक्ष है। इन किस्मों की खेती ऊसर जमीन पर भी की जा सकती है। बताया जा रहा है कि धान की इन किस्मों के आने से उत्तप्रदेश सहित अन्य राज्यों में धान का रकबा बढ़ सकता है। इससे धान की पैदावार में बढ़ोतरी होगी। इनमें से एक किस्म का नाम सीएसआर-36 है जिसके बारे में जानकारी प्राप्त हुई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि सीएसआर-36 किस्म की खेती ऊसर भूमि में भी अधिक उपज दे सकती है।

क्या है धान की सीएसआर-36 की विशेषता/लाभ

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार धान की सीएसआर-36 किस्म की जो विशेषताएं बताई गई हैं, वे इस प्रकार से हैं

  • इस किस्म को 9.8 पीएच मान वाली भूमि पर भी उगाया जा सकता है।
  • धान की इस किस्म के दाने लंबे और पतले होते हैं।
  • इस किस्म के धान के पौधों की लंबाई 100 से 110 सेंटीमीटर तक हो सकती है।
  • इस किस्म के धान की फसल 130 से 135 दिन में तैयार हो जाती है।
  • धान की इस किस्म की रोग-प्रतिरोध क्षमता अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक है। धान की यह किस्म रोग और कीटों के हमले को आसानी से सहन करने में समक्ष है।

धान की इस किस्म से कितना मिलेगी पैदावार

धान की सीएसआर-36 किस्म से उपजाऊ भूमि पर 65 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। वहीं बंजर भूमि पर इसकी 40 से 42 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

कहां से मिलेगा धान की सीएसआर-36 किस्म का बीज

जो किसान इस धान की खेती करने चाहते हैं, उन्हें यह धान की सीएसआर-36 का बीज केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के लखनऊ कार्यालय में उपलब्ध हो जाएगा। किसान यहां से बीज खरीद सकते हैं।

धान की रोपाई का तरीका

धान की रोपाई का उपयुक्त समय जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के तीसरे सप्ताह तक का होता है। धान की रोपाई करते समय 21 से 25 दिन की तैयार पौध की रोपाई करना अच्छा रहता है। आमतौर पर धान की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर व पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखी जाती है। रोपाई करते समय एक स्थान पर धान के दो से तीन पौधे लगाना चाहिए।  

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