गेहूं की इस किस्म की करें खेती, 8,000 रुपए प्रति क्विंटल मिलता है भाव

Share Product प्रकाशित - 18 Dec 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गेहूं की इस किस्म की करें खेती, 8,000 रुपए प्रति क्विंटल मिलता है भाव

जानें, गेहूं की कौनसी है यह किस्म और क्या है इसकी विशेषता और लाभ

इस समय रबी सीजन की फसलों की बुवाई अंतिम दौर में चल रही है। जो किसान अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाए हैं, वे इस माह भी गेहूं की पिछेती बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए कई ऐसी किस्में हैं जो बेहतर उत्पादन देती हैं। गेहूं की किस्मों में एक किस्म ऐसी भी है जिसकी खेती काफी पहले से होती आई है। खास बात यह है कि इस किस्म की बेहतर क्वालिटी की वजह से इसके बाजार में काफी अच्छे भाव मिल जाते हैं, पिछले साल यह गेहूं पंजाब में 8,000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिका था। ऐसे में इस किस्म की खेती किसानों के लिए काफी फायदे का सौदा साबित हो सकती है।

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सरकार की ओर से भी राज्य के किसानों को इस किस्म के गेहूं की खेती (wheat cultivation) के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से किसानों को इसका बीज भी उपलब्ध कराया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह किस्म शुगर फ्री होने के कारण डायबिटीज के रोगियों के लिए भी उपयोगी है। इस किस्म का नाम सोना-मोती है। यह गेहूं की पुरानी किस्मों में से एक है। इसकी खेती हमारे देश में पहले से होती आई है। यह किस्म स्वास्थ्य के लिए तो फायदेमंद है ही साथ ही इसके बाजार भाव भी काफी अच्छे मिल जाते हैं, ऐसे में किसान भाई इस गेहूं की किस्म की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सोना-मोती गेहूं की किस्म की विशेषता, लाभ व बाजार भाव से संबंधित जानकारी दे रहे हैं, तो आइये जानते हैं गेहूं की सोना माेती किस्म के बारे में पूरी जानकारी।

गेहूं की सोना-मोती किस्म की क्या है विशेषता (What is the specialty of Sona-Moti variety of wheat)

गेहूं की इस किस्म के लिए कहा जाता है कि हमारे देश में प्राचीन काल से सोना मोती गेहूं की किस्म की खेती होती आई है। गेहूं की यह किस्म स्वास्थ्य के लिए काफी पोष्टिक मानी जाती है। सोना-मोती गेहूं की किस्म की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार से हैं

गेहूं की अन्य किस्म के मुकाबले सोना-मोती किस्म में तीन गुना ज्यादा फोलिक एसिड की मात्रा पाई जाती है। फोलिक एसिड को गर्भवती महिलाओं के लिए काफी लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा यह बालों को मजबूत बनाने में भी सहायक है।

  • इस किस्म में भरपूर मात्र में खनिज और प्रोटीन भी होता है। इसमें 26 प्रतिशत अधिक खनिज और 40 प्रतिशत अधिक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है।
  • सोना मोती गेहूं की किस्म की खेती कम उपजाऊ भूमि पर भी आसानी से की जा सकती है।
  • इस किस्म के गेहूं की खेती में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। जहां साधारण गेहूं की किस्म में 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है वहीं इस किस्म में 3 सिंचाई से भी काम चल जाता है।
  • इस किस्म की खेती जैविक व प्राकृतिक पद्धति से की जाए तो रासायानिक व कीटनाशक के भारी खर्च की बचत की जा सकती है। इससे खेती की लागत में कमी आएगी।
  • गेहूं की इस परंपरागत किस्म में जलवायु परिवर्तन व रोगों का प्रभाव कम देखा गया है।

गेहूं की इस किस्म से कितनी मिलती है पैदावार (What is the yield from this variety of wheat)

यदि बात की जाए गेहूं की सोना-मोती किस्म से मिलने वाली पैदावार की तो जैविक एवं प्राकृतिक पद्धति से इसकी खेती करने पर गेहूं की दूसरी किस्म के मुकाबले अधिक पैदावार प्राप्त होती है। इस गेहूं की औसत पैदावार 12 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त की जा सकती है।

किस राज्य के किसान कर रहे हैं सोना-मोती गेहूं की खेती (Farmers of which state are cultivating Sona-Moti wheat)

सोना-मोती किस्म के गेहूं की खेती अब किसान कम करते हैं। लेकिन अभी भी कई राज्यों के किसान इसकी खेती कर रहे हैं और इससे काफी बेहतर लाभ कमा रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, बिहार, झारखंड और मध्यप्रदेश में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के किसान वल्लभ पाटीदार ने सोना मोती किस्म की खेती करके अच्छा लाभ प्राप्त किया है। किसान के मुताबिक उन्होंने जैविक तरीके से सोना-मोती गेहूं की खेती की और इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग नहीं किया और इससे करीब 15 क्विंटल पैदावार प्राप्त की। उनके अनुसार जहां गेहूं की अन्य किस्म में 5 से 6 सिंचाई की जरूरत होती है, वहीं गेहूं की यह किस्म मात्र तीन सिंचाई में तैयार हो जाती है।

किसानों को सोना-मोती गेहूं की खेती के लिए किया जा रहा है प्रोत्साहित

बिहार सरकार की ओर से गेहूं की पारंपरिक किस्म सोना-मोती की खेती के लिए राज्य के किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य के कृषि विभाग ने सोना-मोती किस्म के बीजों के उत्पादन को बढ़ावा देने का फैसला किया है। इसके तहत गया और बेगुसराय जिले के एक-एक कृषि प्रक्षेत्र में इस किस्म के गेहूं की खेती करवाई जाएगी। इसके लिए बेगुसरास के कुंभी और गया के खिरियावां राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाया जाएगा। वहीं, अन्य स्थानों पर इसकी खेती के लिए बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। कुंभी में आठ और खिरियावां में छह हैक्टेयर रकबा में इसकी खेती करवाई जाएगी।

सोना-मोती गेहूं की खेती के लिए कहां से मिलेगा बीज (Where to get seeds for Sona-Moti wheat cultivation)

किसानों को सोना-मोती गेहूं किस्म के बीजों की सहज उपलब्धता हो, इसके लिए कृषि विभाग ने बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड को इसका जिम्मा सौंपा है। किसानों को राज्य बीज निगम लिमिटेड के माध्यम से बीज उपलब्ध कराया जाएगा।  

सोना-मोती गेहूं की खेती से कितना हो सकता है लाभ (How much profit can be made from the cultivation of Sona-Moti wheat)

सोना-मोती गेहूं की खेती कई राज्य के किसान कर रहे हैं। वहां उन्हें इसका काफी अच्छा भाव मिल रहा है। शुगर फ्री होने के कारण इस किस्म की बाजार मांग काफी अच्छी है। किसान इसकी खेती करके काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। पिछले साल पंजाब में सोना-मोती गेहूं 8,000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बेचा गया था। इसे देखते हुए इस किस्म के गेहूं की खेती किसानों के लिए काफी बेहतर मुनाफा देने वाली साबित हो सकती है। किसान भाई सोना मोती गेहूं की किस्म की खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए 6267086404 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

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