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नीले रंग के गेहूं से किसान होंगे मालामाल, विदेशों में भारी डिमांड

प्रकाशित - 19 Feb 2023

जानें, क्या है नीले रंग के गेहूं की खासियत और इससे किसानों को लाभ

किसानों के लिए गेहूं की खेती मुनाफे का सौंदा साबित हो रही है। गेहूं की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ती जा रही है। इससे भारतीय गेहूं का विदेशों में निर्यात बढ़ने लगा है। कोरोना के वक्त भारत ने कई देशों को अपने यहां से खाद्यान्न का भेजा था। वहीं यूक्रेन और रूस के बीच हुए युद्ध ने भारतीय गेहूं के निर्यात को और बढ़ा दिया। इस दौरान कई देशों ने भारत से गेहूं का आयात किया। इस तरह गेहूं का निर्यात लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में गेहूं की किस्म को लेकर भी नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। साधारण गेहूं के बारें में तो सब जानते ही हैं। लेकिन कभी आपने नीले गेहूं के बारे में सुना है। जी हां, अब किसान नीले रंग के गेहूं की खेती करके उसे विदेशों में निर्यात करेंगे। अभी इस दिशा में मध्यप्रदेश के किसानों ने इस बार नीले रंग के गेहूं की बुवाई भी की है और इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार भी उन्हें प्रोत्साहित कर रही है। इससे पहले यहां के किसानों द्वारा काले गेहूं की खेती भी की जा चुकी है जिसे काफी अच्छा रिस्पोन्स मिला था। अब किसानों ने नीले गेहूं की खेती पर अपना हाथ आजमाया है।

मध्यप्रदेश में किसान कर रहे हैं नीले गेहूं की खेती

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्यप्रदेश के किसान काले गेहूं की खेती के बाद अब यहां के किसानों ने नीले गेहूं की खेती करनी शुरू कर दी है। इस संबंध में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि है जी-20 के कृषि समूह की बैठक में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नीले गेहूं, शुगर फ्री आलू और बीज बैंक के रूप में हुए नवाचारों ने ध्यान आकर्षित किया है। इस जी-20 सम्मेलन में नीले रंग के गेहूं की स्टाल भी लगाई गई। स्टाल में जानकारी दी गई कि इस नीले रंग के गेहूं का बेकरी उत्पाद बनाने में इस्तेमाल हो रहा है। इस गेहूं प्रकार के गेहूं के निर्यात के लिए अगले साल के लिए आर्डर भी मिले हैं। ऐसे में नीले रंग के गेहूं की खेती यहां के किसानों की किस्मत को चमका सकती है। इसकी खेती करके यहां के किसानों को काफी बेहतर लाभ हो सकता है।

गेहूं निर्यात में मध्यप्रदेश पूरे देश में प्रथम

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश पूरे देश में गेहूं के निर्यात में पूरे देश में प्रथम है। काले गेहूं के निर्यात के बाद अब नीले रंग के गेहूं का उत्पादन भी प्रदेश में शुरू हो गया है। बेकरी के उत्पाद बनाने में काम में आने वाले नीले रंग के गेहूं की मांग दूसरे देशों से भी आ रही है। इसका पेटेंट भी करा लिया गया है।

नीले रंग के गेहूं की क्या होती है खासियत

नीले रंग के गेहूं न केवल रंग में सामान्य गेहूं से अलग होते हैं बल्कि सामान्य गेहूं से कई गुना पौष्टिक और सेहत के लिए लाभकारी भी होता हैं। इस प्रकार के गेहूं के इस्तेमाल से ब्लड शुगर लेवर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और बॉडी फैट लेवल को कम करने में सहायता मिलती है। नीले रंग के गेहूं की रोटियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं। वहीं इससे बेकरी के उत्पाद ब्रेड और बिस्कुट बनाए जाते हैं जो रंग में नीले होते हैं और सेहत के लिए भी काफी अच्छे होते हैं।

कैसे होती है नीले रंग के गेहूं की खेती

काले और नीले और बैंगनी रंग के गेहूं की बुवाई मध्य नबंवर से मध्य दिसंबर तक की जाती है। इसकी उपज दर 17 से 19 क्विंटल प्रति एकड तक प्राप्त की जा सकती है। बात करें इस गेहूं की रंग की तो गेहूं में पाए जाने वाले एंथोसायनिन के कारण इसका रंग अपने आप काला, नीला या बैंगनी हो जाता है। यह दाना बनने के दौरान प्राकृतिक रूप से होता है। काले रंग के गेहूं में एंथोसायनिन पिगमेंट के कारण इसका रंग काला बनाता है। इसी प्रकार नीले रंग के गेहूं में भी इसी तत्व के कारण इसका रंग नीला हो जाता है। हालांकि इसकी खेती साधारण गेहूं की तरह ही होती है लेकिन इसमें कुछ विशेष सावधानी किसानों को बरतनी पड़ती है। इसका बीज किसानों को कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। इसके भाव भी साधारण गेहूं के भाव से ज्यादा होते हैं ऐसे में नीले रंग के गेहूं की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

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