किसानों को कृषि यंत्रों पर मिली 481.73 लाख रुपए की सब्सिडी

Share Product प्रकाशित - 14 Feb 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

किसानों को कृषि यंत्रों पर मिली 481.73 लाख रुपए की सब्सिडी

कृषि यंत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी: किसानों ने जमकर की सब्सिडी पर कृषि यंत्रों की खरीदारी

किसानों को खेती-किसानी की उन्नत तकनीक और नवीन खेती की जानकारी देने के लिए सरकार की ओर से समय-समय पर कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की ओर से किसानों के लिए चार दिवसीय एग्रो बिहार, 2023 राज्य स्तरीय कृषि यंत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी का आयोजन गांधी मैदान, पटना में किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कृषि विभाग, बिहार और सी.आई.आई के सहयोग से किया गया। इस चार दिवसीय मेले में किसानों ने जमकर सब्सिडी पर कृषि यंत्रों की खरीदारी की। बताया जा रहा है कि इस मेले में आए किसानों ने करीब 11 करोड़ रुपए के कृषि यंत्रों की खरीदारी की जिस पर उन्हें 481.73 लाख रुपए की सब्सिडी प्राप्त हुई। बता दें कि बिहार सरकार की ओर से मेले में 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसमें अलग-अलग कृषि यंत्रों पर उनकी लागत के हिसाब से सब्सिडी दी जाती है। मेले में किसानों के लिए कृषि से संबंधित अन्य उपयोगी गतिविधियां भी आयोजित की गईं। ये मेला बिहार में 9 फरवरी से 12 फरवरी को लगाया गया था।

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आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में बिहार में लगे चार दिवसीय इस एग्रो बिहार 2023, राज्य स्तरीय कृषि यंत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी में हुई आकर्षक गतिविधियों और किसानों को इससे लाभ की चर्चा करते हुए बिहार सरकार की किसानों के लिए कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए चलाई गई कृषि यंत्रीकरण योजना के बारें में जानकारी देंगे ताकि राज्य के किसान इस योजना का लाभ उठा सकें। 

किसानों ने बड़ी संख्या में की कृषि यंत्रों की खरीदारी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मेले के अंतिम दिन किसानों ने जमकर कृषि यंत्रों की खरीदारी की। कृषि विभाग के सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार के अनुसार इस वर्ष इस प्रदर्शनी-सह-मेला में राज्य के किसानों ने बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों की खरीदारी की और राज्य सरकार की कृषि यंत्रीकरण योजना का लाभ प्राप्त किया। मेले की खास बात ये रही कि इसमें एक ही स्थान पर आधुनिक कृषि यंत्रों के निर्माता, विक्रेता एवं किसान का सीधा संवाद होता है और आधुनिक कृषि यंत्र भी मेले में उपलब्ध रहते हैं। बता दें कि बिहार सरकार की ओर से वर्ष 2011 से प्रतिवर्ष पटना में इस मेले का आयोजन किया जाता है।

किसानों को 665 कृषि यंत्रों पर मिली सब्सिडी

मेले में किसानों ने अनुदान पर कृषि यंत्रों की खरीद की जिससे किसानों को यहां सस्ती दर पर कृषि यंत्र उपलब्ध हुए। इतना ही नहीं यहां किसानों को स्वयं मोलभाव करने की छूट भी दी गई थी ताकि वे अपने हिसाब से कृषि यंत्रों की खरीद सकें। कृषि विभाग के सचिव के अनुसार इस मेले में किसानों ने चार दिनों के दौरान 11 करोड़ रुपए के कुल 665 कृषि यंत्रों की खरीदारी की है। इस पर सरकार की ओर से किसानों को करीब 481.73 लाख रुपए की सब्सिडी दी गई। राज्य सरकार की ओर से राज्य के किसानों को 90 प्रकार के कृषि यंत्रों को खरीदने पर 94.05 करोड़ रुपए का अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया गया है।  

किसानों ने की इन कृषि यंत्रों की खरीदारी

मेले के अंतिम दिन राज्य के विभिन्न जिलों से आए किसानों ने जिन कृषि यंत्रों की खरीदारी की उनमें सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, रीपर-कम-बाईंडर, स्ट्रॉ रीपर, राईस मिल, मल्टी क्रॉप थ्रेसर, सीड कम फटिलाइजर ड्रील, थ्रेसर सहित 187.77 लाख रुपए के 114 कृषि यंत्रों की खरीदारी की गई। इस पर सरकार की ओर किसानों को 76,18,600 रुपए का अनुदान दिया गया।

किसानों को कृषि यंत्रों पर मिली 80 प्रतिशत तक सब्सिडी

किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया गया। इसके तहत 9 से 11 टाइन का हैप्पी सीडर, बिना रैक का स्ट्रॉ बेलर, स्ट्रॉ रीपर, सुपर सीडर, रोटरी मल्चर, स्लैसर एवं स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम जैसे कृषि यंत्रों पर सामान्य वर्ग के किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार स्वचालित अथवा ट्रैक्टर चालित रीपर-कम बाईंडर पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।

मेले में इन कृषि यंत्रों की हुई सबसे ज्यादा खरीद

एग्रो बिहार 2023, राज्य स्तरीय कृषि यंत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा जिन कृषि यंत्रों की खरीद किसानों ने की उनमें फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र जैसे- स्ट्रॉ रीपर, रीपर-कम-बाईंडर, सुपर सीडर आदि शामिल हैं। इससे ये पता चलता है कि राज्य के किसान मृदा एवं पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति कितने जागरूक हैं। बता दें कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार की ओर से जागरूक किया जाता है, क्योंकि पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति कम होती है, वहीं पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में बिहार सरकार की ओर से अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले कृषि यंत्रों पर भारी सब्सिडी दी गई ताकि राज्य के किसान पराली न जलाकर उसका सही तरीके से प्रबंधन कर सकें।

इन जिलों के किसानों ने लिया मेले में भाग

एग्रो बिहार 2023, राज्य स्तरीय कृषि यंत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी में करीब 30 हजार से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। इसमें से आत्मा योजना के तहत इन चार दिवसों में सभी 38 जिलों से आए 17,630 किसानों को भ्रमण कराया गया। अंतिम दिन पटना, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा तथा सुपौल इन सात जिलों के किसानों को भ्रमण पर लाया गया। इस मेला-सह-प्रदर्शनी में विभिन्न कंपनी के कृषि यंत्र निर्माताओं की ओर से अपने कृषि यंत्रों का प्रदर्शन भी किया गया। मेले में कृषि यंत्रों के अलावा उद्‌यान, बीज, पौधा संरक्षण, भूमि संरक्षण, प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों का प्रदर्शन एवं बिक्री के साथ एग्रो प्रोसेसिंग यंत्रों का भी बिक्री और प्रदर्शन किया गया।

कृषि यंत्रीकरण योजना में कैसे मिलता है किसानों से सब्सिडी का लाभ

बिहार सरकार की ओर से किसानों को सस्ते कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के उद्‌देश्य से कृषि यंत्रीकरण योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को 90 प्रकार के विभिन्न कृषि यंत्रों पर 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। कृषि विभाग की ओर से इस योजना के तहत राज्य के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इसके लिए जिन किसानों ने इस योजना में आवेदन किया उन्हें मेले के जरिये सब्सिडी का लाभ प्रदान किया गया।

किसानों को दी मिट्‌टी परीक्षण की जानकारी

एग्रो बिहार 2023, राज्य स्तरीय कृषि यंत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी में 341 किसानों को चलन्त मिट्‌टी जांच प्रयोगशाला का निरीक्षण एवं मिट्‌टी परीक्षण योजना से संबंधित पुस्तिका वितरित की गई। इसके अलावा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के संबंध में जानकारी दी गई।

किसान पाठशाला का हुआ आयोजन

मेले के दौरान, मेला परिसर में किसान पाठशाला का आयोजन भी किया गया जिसमें प्रतिभागी किसानों को विभागीय पदाधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों ने विभाग की ओर से संचालित योजनाओं के बारे में जानकारीद दी। वहीं कृषि विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पटना के वैज्ञानिकों की ओर से जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल उत्पादन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। 

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