प्रकाशित - 20 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए ऐसी फसलों की खेती करनी चाहिए जिनकी बाजार में डिमांड हो और साथ ही इसका बेहतर दाम मिल सके। इस लिहाज से जैतून की खेती (olive cultivation) किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है। जैतून की खेती की खास बात यह है कि इसे एक बार उगाने के बाद आप इसकी खेती से 100 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं। जैतून की खेती के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ भी किसानों को प्रदान किया जाता है।
जैतून के तेल की कीमत बाजार में काफी अच्छी मिलती है और इसकी बाजार में मांग भी अच्छी है। इसी के साथ दुनिया भर के नामी होटलों में जैतून के फल से कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इसकी पत्तियों से चाय बनाई जाती है। इस तरह इसके फल, पत्तियों व तेल तीनों से ही किसानों को काफी लाभ हो सकता है। बता दें कि जैतून के तेल का उपयोग खाने के अलावा सौंदर्य प्रसाधन और दवाईयां बनाने में होता है। इसे देखते हुए जैतून की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान में अभी जैतून की खेती का रकबा बढ़कर करीब 1100 हैक्टेयर से अधिक हो गया है। राजस्थान में इसकी खेती इजरायल के सहयोग से 2007 में शुरू की गई थी। साल 2007 में जैतून के करीब एक लाख से अधिक पौधे इजरायल से लाए गए थे। गंगानगर के किसान दीपक सहारण के मुताबिक परंपरागत खेती के साथ उन्होंने जैतून की खेती शुरू की। इसके लिए करीब 5 साल पहले उन्होंने 15 हैक्टेयर खेत में सात हजार जैतून के पौधे लगाए। अब इन पौधों का बेहतर विकास हो रहा है। उनका कहना है कि राजस्थान के जैतून का तेल दुनियाभर में क्वालिटी के हिसाब से सबसे बेहतर माना जाता है। अब तो जैतून की पत्तियों से चाय भी बनाई जाने लगी है। इससे किसानों को दोहरा लाभ मिल सकता है। इसके पौधे की उम्र काफी ज्यादा होती है। ऐसे में यदि एक बार इसका पौधा ठीक से तैयार हो जाए तो इससे 100 साल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
जैतून के तेल (olive oil) की बाजार मांग काफी है। जैतून के एक लीटर तेल की कीमत 1,000 रुपए के करीब है। वहीं इसके फल की कीमत 60 रुपए किलोग्राम है। जैतून के एक पौधे से करीब 30 किलोग्राम फल प्राप्त किए जा सकते हैं। यदि किसान एक हैक्टेयर में जैतून की खेती करते हैं तो वे करीब 1250 जैतून के पौधे लगा सकते हैं। एक किलोग्राम जैतून के फसल से करीब 7 से 15 प्रतिशत तक जैतून का तेल प्राप्त होता है। राजस्थान सरकार किसानों से 60 रुपए किलोग्राम के हिसाब से जैतून के फल खरीद रही है। ऐसे में किसान इसके फल और तेल को बेचकर काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
जैतून के तेल में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। नारियल के तेल के साथ मिलाकर जैतून के तेल की मालिश शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। जैतून का तेल हमारे शरीर के खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करने में सहायता करता है। खाने में जैतून के तेल का इस्तेमाल एथरोस्क्लेरोसिस के खतरे को कम कर सकता है। यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है। जैतून का तेल मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है। एक शोध के अध्ययन के मुताबिक जैतून का तेल ओलिक एसिड रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में सहायक है। गठिया रोग में भी इसका तेल उपयोगी बताया जाता है। कब्ज की समस्या में भी इसे प्रयोग किया जाता है। इस तरह जैतून का तेल कई प्रकार के रोगों में उपयोगी है।
जैतून के पौधे की रोपाई साल में कभी भी की जा सकती है। हालांकि इसके पौधे का रोपण जुलाई से अगस्त में किया जाता है लेकिन जहां सिंचाई की सुविधा हो तो वहां इसके पौधे का रोपण दिसंबर से जनवरी में भी किया जा सकता है।
राजस्थान के लिए जैतून की चार किस्में अच्छी बताई गई है। इसमें बार्निया, अरबी क्युना, कोरोनीकी और कोर्टिना है। बता दें कि राजस्थान में जैतून की खेती काफी होती है। यहां के जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, नागौर, झुंझुनूं, जालोर व अलवर में इसकी खेती की जा सकती है।
जो किसान जैतून की खेती करना चाहते हैं, उन्हें इसका पौधा सरकारी नर्सरी से मिल सकता है। जयपुर में इसकी नर्सरी से पौधे तैयार किए जाने का काम होता है। किसान जयपुर की सरकारी नर्सरी या प्राइवेट नर्सरी से इसके पौधे प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा अमेजोन जैसी साइट भी जैतून का पौधा बेचती है, वहां से भी पौधे की खरीद-फरोख्त की जा सकती है।
जैतून की खेती तीन उद्देश्यों के लिए की जाती है, पहला इसका तेल, दूसरा फल और तीसरा इसकी पत्तियां। इन तीनों की ही बाजार में अच्छी मांग है और तीनों को बेचकर किसान काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। यदि आप जैतून के फलों के लिए इसकी खेती कर रहे हैं तो इसके पौधों की बुवाई में सामान्यत: कतार से कतार की दूरी 7 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 4 मीटर रखनी चाहिए। वहीं चाय के लिए इसकी खेती कर रहे हैं तो इसमें कतार से कतार की दूरी 4 मीटर और पौधे से पौधों की दूरी 2 मीटर होनी चाहिए। जैतून का पौधा रोपण के चार साल बाद फल देना शुरू करता है। वहीं साल में चार से सात बार में इसके पौधे से 50 किलोग्राम तक पत्तियां प्राप्त की जा सकती हैं।
राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को जैतून की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों का रूझान भी इसकी खेती की ओर बढ़ा है। राजस्थान सरकार की ओर से जैतून की खेती के लिए किसानों को करीब 50,000 रुपए की सब्सिडी (subsidy) दी जाती है। जैतून की खेती पर सब्सिडी से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप अपने क्षेत्र के निकटतम कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
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